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मिल्कीपुर में अभी उपचुनाव नहीं होने का असली कारण आया सामने, जानिए किसने अटकाया रोड़ा?

मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं कराए जाने पर भड़के अखिलेश,कांग्रेस ने भी साधा निशाना

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

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मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव कब? (Photo Credit; ETV Bharat)

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी. लेकिन मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर पेंच फंस गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं कराने का कारण हाईकोर्ट में दायर याचिका को बताया है. वहीं मिल्कीपुर के बहाने विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है. अखिलेश यादव और कांग्रेस के प्रवक्ता ने एक्स पर पोस्ट लिखकर हार के डर से चुनाव नहीं कराने का आरोप लगाया है.

दरअसल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा से अवधेश प्रसाद ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर भाजपा के बाबा गोरखनाथ रहे थे. उन्होंने इसी चुनाव को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी. बाबा गोरखनाथ ने जानकारी दी है कि, अवधेश प्रसाद ने नॉमिनेशन के समय जो हलफनामा नोटरी दाखिल किया था. उसकी डेट एक्सपायर थी जबकि नियम है नोटरी की डेट एक्सपायर है तो नॉमिनेशन कैंसिल कर दिया जाता है. कई प्रत्याशियों के पर्चे पहले भी रद्द हो चुके हैं. लेकिन इनका पर्चा नहीं रद्द हुआ.

वहीं इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर आक्रामक पोस्ट कर लिखा है कि, 'जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है'. इस पोस्ट के मायने निकाले जा रहे हैं कि, बीजेपी हार से डर से चुनाव नहीं करा रही है. इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने भी एक्स पर बयान जारी कर कहा कि, 'मिल्कीपुर में अयोध्या लोकसभा की तरह सबसे बड़ी हार होगी भाजपा की, एक देश एक चुनाव का राग अलापने वाली BJP एक साथ उपचुनाव भी न करा पाई, तमाम इंजन वाली भाजपा सरकार एक साथ उपचुनाव कराने से डर गई, 10 सीटों के उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में एक साथ चुनाव न कर कर बीजेपी ने लोकतंत्र और संविधान की हत्या की है, अयोध्या का अपमान किया है, लोगों के मौलिक मताधिकार के हक को छीना है , मिल्कीपुर के लोग इसका हिसाब किताब बीजेपी को सबसे बड़ी हार देकर करेंगे'.

बता दें कि, अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र पहले सामान्य सीट थी. लेकिन 2012 में मिल्कीपुर विधानसभा सुरक्षित हो गई. इसके पहले फैजाबाद में सोहावल विधानसभा सीट आस्तित्व में थी. लेकिन नए परिसीमन में सोहावल विधानसभा को समाप्त कर दिया गया. अवधेश प्रसाद पहले सोहावल सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ते थे, लेकिन 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित होने के बाद अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर विधानसभा में चुनावी मैदान में आ गए.

साल 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा से अवधेश प्रसाद और भाजपा से रामू प्रियदर्शी चुनाव मैदान में थे. सपा से अवधेश प्रसाद ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. फिर 2017 में सपा से अवधेश प्रसाद और भाजपा से बाबा गोरखनाथ थे. इस चुनाव में भाजपा के गोरखनाथ ने जीत दर्ज की थी और 2022 में सपा से फिर अवधेश प्रसाद और भाजपा से बाबा गोरखनाथ चुनाव मैदान में थे. इसमें अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने सपा के टिकट से चुनाव लड़कर संसद में कदम रखा. जिसके चलते अवधेश प्रसाद ने विधायक से इस्तीफा दे दिया. अब यहां उपचुनाव होना है.

यह भी पढ़ें:यूपी में 10 में से 9 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग, 23 को नतीजे; मिल्कीपुर उपचुनाव पर इसलिए फंसा पेंच

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी. लेकिन मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर पेंच फंस गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं कराने का कारण हाईकोर्ट में दायर याचिका को बताया है. वहीं मिल्कीपुर के बहाने विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है. अखिलेश यादव और कांग्रेस के प्रवक्ता ने एक्स पर पोस्ट लिखकर हार के डर से चुनाव नहीं कराने का आरोप लगाया है.

दरअसल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा से अवधेश प्रसाद ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर भाजपा के बाबा गोरखनाथ रहे थे. उन्होंने इसी चुनाव को लेकर लखनऊ हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी. बाबा गोरखनाथ ने जानकारी दी है कि, अवधेश प्रसाद ने नॉमिनेशन के समय जो हलफनामा नोटरी दाखिल किया था. उसकी डेट एक्सपायर थी जबकि नियम है नोटरी की डेट एक्सपायर है तो नॉमिनेशन कैंसिल कर दिया जाता है. कई प्रत्याशियों के पर्चे पहले भी रद्द हो चुके हैं. लेकिन इनका पर्चा नहीं रद्द हुआ.

वहीं इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर आक्रामक पोस्ट कर लिखा है कि, 'जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है'. इस पोस्ट के मायने निकाले जा रहे हैं कि, बीजेपी हार से डर से चुनाव नहीं करा रही है. इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने भी एक्स पर बयान जारी कर कहा कि, 'मिल्कीपुर में अयोध्या लोकसभा की तरह सबसे बड़ी हार होगी भाजपा की, एक देश एक चुनाव का राग अलापने वाली BJP एक साथ उपचुनाव भी न करा पाई, तमाम इंजन वाली भाजपा सरकार एक साथ उपचुनाव कराने से डर गई, 10 सीटों के उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में एक साथ चुनाव न कर कर बीजेपी ने लोकतंत्र और संविधान की हत्या की है, अयोध्या का अपमान किया है, लोगों के मौलिक मताधिकार के हक को छीना है , मिल्कीपुर के लोग इसका हिसाब किताब बीजेपी को सबसे बड़ी हार देकर करेंगे'.

बता दें कि, अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र पहले सामान्य सीट थी. लेकिन 2012 में मिल्कीपुर विधानसभा सुरक्षित हो गई. इसके पहले फैजाबाद में सोहावल विधानसभा सीट आस्तित्व में थी. लेकिन नए परिसीमन में सोहावल विधानसभा को समाप्त कर दिया गया. अवधेश प्रसाद पहले सोहावल सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ते थे, लेकिन 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित होने के बाद अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर विधानसभा में चुनावी मैदान में आ गए.

साल 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा से अवधेश प्रसाद और भाजपा से रामू प्रियदर्शी चुनाव मैदान में थे. सपा से अवधेश प्रसाद ने चुनाव में जीत दर्ज की थी. फिर 2017 में सपा से अवधेश प्रसाद और भाजपा से बाबा गोरखनाथ थे. इस चुनाव में भाजपा के गोरखनाथ ने जीत दर्ज की थी और 2022 में सपा से फिर अवधेश प्रसाद और भाजपा से बाबा गोरखनाथ चुनाव मैदान में थे. इसमें अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने सपा के टिकट से चुनाव लड़कर संसद में कदम रखा. जिसके चलते अवधेश प्रसाद ने विधायक से इस्तीफा दे दिया. अब यहां उपचुनाव होना है.

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