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ओरण व गोचर जमीन को बचाने को लेकर रविन्द्र सिंह फिर बैठे धरने पर, की ये मांग

जैसलमेर के बईया गांव में ओरण व गोचर जमीन को बचाने के लिए विधायक रविंद्र सिंह भाटी धरने में शामिल हो गए.

Protest by Ravindra Singh Bhati
विधायक रविंद्र सिंह भाटी (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जैसलमेर: जिले के बईया गांव में ओरण व गोचर जमीन को निजी कंपनी के सोलर प्लांट के लिए दिए जाने के विरोध में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी शामिल हो गए. इस दौरान विधायक ने मौके पर करवाए जा रहे काम को बंद करने की मांग की.

गौरतलब है कि बीते दिनों से चल रहे विरोध के बीच रविन्द्र सिंह भाटी धरने पर बैठ गए. विधायक भाटी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण भी धरनास्थल पर पहुंचे. इस दौरान भाटी ने संबंधित अधिकारियों के साथ खुलकर चर्चा की. साथ ही मौके पर करवाए जा रहे काम को भी बंद करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब तक सोलर प्लांट स्थापित करने या नहीं करने को लेकर कोई निर्णय नहीं होता है, तब तक मौके पर कोई भी कार्य नहीं होना चाहिए.

पढ़ें: जैसलमेर में ओरण भूमि को बचाने के लिए विधायक रविंद्र भाटी चलाएंगे अभियान

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य लॉ एंड ऑर्डर खराब करना नहीं है. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ओरण के मुद्दे का समाधान होने के बाद अगर कंपनी द्वारा किसी भी प्रकार का कार्य उक्त जमीन पर करवाया जाता है, तो इससे ग्रामीणों को कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि करीब 15 से 20 दिन हो गए हैं, लेकिन इससे संबंधित किसी भी अधिकारियों व कंपनी के सिर पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि यह किसी का व्यक्तिगत नहीं बल्कि सभी के हितों का मामला है.

पढ़ें: ओरण गोचर भूमि के मुद्दे पर रविन्द्र सिंह भाटी ने आवाज की बुलंद, कहा-2-3 महीने जेल भी जाना पड़ा तो तैयार

उन्होंने कहा कि संबंधित मल्टी नेशनल कंपनी स्वयं पीछे रहकर प्रशासन और पुलिस को आगे कर रही है ताकि फोर्स और गांव वालों के बीच टकराव की स्थिति बने. उन्होंने संबंधित तहसीलदार को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप भी इस मामले में अपने स्तर पर पूरी पैरवी कर रहे हैं, लेकिन जब तक इसका परिणाम सामने नहीं आएगा तब तक इसका कोई मतलब नहीं है.

पढ़ें: ओरण और गोचर भूमि को बचाने के लिए विधायक भाटी का बड़ा ऐलान, गोवंश को साथ लेकर करेंगे आंदोलन

उन्होंने कहा कि यह गलती सिस्टम की है. अगर सिस्टम के लोग पूर्व में मौके पर जाकर फिजिकल वैरिफीकेशन करते और यहां के ग्रामीणों से बातचीत करते, तो आज यह नौबत नहीं आती. उन्होंने कहा कि अगर आज इस ओरण की जमीन पर निजी कंपनी को काम शुरू करने दिया जाता है तो भविष्य में हर गांव की ओरण और गोचर की जमीनें निजी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी. उन्होंने कहा कि एक तरफ गोवंश और अन्य जीव जंतुओं को बचाने तथा प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की बात की जाती है, लेकिन जब ओरण और गोचर जमीन ही अगर खत्म हो जाएगी तो प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा.

जैसलमेर: जिले के बईया गांव में ओरण व गोचर जमीन को निजी कंपनी के सोलर प्लांट के लिए दिए जाने के विरोध में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी शामिल हो गए. इस दौरान विधायक ने मौके पर करवाए जा रहे काम को बंद करने की मांग की.

गौरतलब है कि बीते दिनों से चल रहे विरोध के बीच रविन्द्र सिंह भाटी धरने पर बैठ गए. विधायक भाटी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण भी धरनास्थल पर पहुंचे. इस दौरान भाटी ने संबंधित अधिकारियों के साथ खुलकर चर्चा की. साथ ही मौके पर करवाए जा रहे काम को भी बंद करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब तक सोलर प्लांट स्थापित करने या नहीं करने को लेकर कोई निर्णय नहीं होता है, तब तक मौके पर कोई भी कार्य नहीं होना चाहिए.

पढ़ें: जैसलमेर में ओरण भूमि को बचाने के लिए विधायक रविंद्र भाटी चलाएंगे अभियान

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य लॉ एंड ऑर्डर खराब करना नहीं है. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ओरण के मुद्दे का समाधान होने के बाद अगर कंपनी द्वारा किसी भी प्रकार का कार्य उक्त जमीन पर करवाया जाता है, तो इससे ग्रामीणों को कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि करीब 15 से 20 दिन हो गए हैं, लेकिन इससे संबंधित किसी भी अधिकारियों व कंपनी के सिर पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि यह किसी का व्यक्तिगत नहीं बल्कि सभी के हितों का मामला है.

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उन्होंने कहा कि संबंधित मल्टी नेशनल कंपनी स्वयं पीछे रहकर प्रशासन और पुलिस को आगे कर रही है ताकि फोर्स और गांव वालों के बीच टकराव की स्थिति बने. उन्होंने संबंधित तहसीलदार को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप भी इस मामले में अपने स्तर पर पूरी पैरवी कर रहे हैं, लेकिन जब तक इसका परिणाम सामने नहीं आएगा तब तक इसका कोई मतलब नहीं है.

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उन्होंने कहा कि यह गलती सिस्टम की है. अगर सिस्टम के लोग पूर्व में मौके पर जाकर फिजिकल वैरिफीकेशन करते और यहां के ग्रामीणों से बातचीत करते, तो आज यह नौबत नहीं आती. उन्होंने कहा कि अगर आज इस ओरण की जमीन पर निजी कंपनी को काम शुरू करने दिया जाता है तो भविष्य में हर गांव की ओरण और गोचर की जमीनें निजी कंपनियों के हाथों में चली जाएगी. उन्होंने कहा कि एक तरफ गोवंश और अन्य जीव जंतुओं को बचाने तथा प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की बात की जाती है, लेकिन जब ओरण और गोचर जमीन ही अगर खत्म हो जाएगी तो प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा.

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