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सोयाबीन से बनाएं सोना, फसल पर डोरे चलाकर मिलेगा ये फायदा, होगी बंपर पैदावार - Ratlam Weed Control In Soybean Crop - RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP

रतलाम क्षेत्र में सोयाबीन की फसल 15 से 20 दिनों की हो गई है. फसल में खरपतवार का नियंत्रण करने के लिए किसान स्प्रे का सहारा लेते हैं. इन दिनों बारिश न होने के कारण खेतों में नमी की कमी है. इसको देखते हुए किसान पारंपरिक विधि डोरे चलाकर खरपतवार को नियंत्रित कर रहे हैं.

RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP
खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान पारंपरिक विधि का ले रहे सहारा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 8, 2024, 9:59 PM IST

रतलाम। मध्य प्रदेश की प्रमुख फसल सोयाबीन अब 15 से 20 दिन की अवस्था में पहुंच चुकी है. वर्तमान की स्थिति में फसल में खरपतवार प्रबंधन की आवश्यकता होती है. अधिकांश किसान खरपतवार नाशकों का स्प्रे कर खरपतवार का नियंत्रण करते हैं, लेकिन रतलाम क्षेत्र में बारिश नहीं होने व खेतों में नमी की कमी होने पर यह खरपतवार नाशक स्प्रे कारगर नहीं होते हैं. ऐसे में पारंपरिक विधि डोरे व करपे चलाकर सोयाबीन की फसल में खरपतवार का नियंत्रण किया जाता है.

RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP
आजकल ट्रैक्टर की मदद से चलाए जाते हैं डोरे (ETV Bharat)

पहले बैलों की जोड़ी से चलाया जाता था डोरे

बता दें कि सोयाबीन उत्पादक किसान डोरे चलाने के लिए बैलों की जोड़ी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब ट्रैक्टर में जुगाड़ के पतले पहिए लगाकर सोयाबीन की खड़ी फसल में डोरे चलाने का कार्य किया जाता है. सोयाबीन की फसल में डोर चलाने से न सिर्फ खरपतवार का नियंत्रण होता है, बल्कि पौधे की जड़ों में नमी भी संरक्षित होती है. जो बारिश नहीं होने की स्थिति में पौधे को सूखने से बचाती है.

RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP
सोयाबीन की लाइनों के बीच उगी खरपतवार को किया जाता नष्ट (ETV Bahrat)

खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान चलाते हैं डोरे

सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने अथवा करपे चलाने का विशेष महत्व होता है. शुरुआती दौर में बैलों की मदद से सोयाबीन के पौधों की लाइनों के बीच डोरे चलाए जाते थे. जिससे सोयाबीन की लाइनों के बीच उगी खरपतवार नष्ट हो जाती थी. बीते कुछ वर्षों में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाइयां का उपयोग शुरू हो गया, लेकिन खेत में नमी नहीं होने या बारिश का दौर नहीं होने की स्थिति में खरपतवार का नियंत्रण डोरे चला कर ही किया जाता है.

डोरे चलाने से सोयाबीन की फसल को होता है लाभ

आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में बैल उपलब्ध नहीं होने की वजह से ट्रैक्टर की मदद से डोरे चलाए जाते हैं. ट्रैक्टर के पहियों से सोयाबीन की फसल में नुकसान ना हो इसके लिए 4 इंच चौड़ाई के ट्रैक्टर के टायर का जुगाड़ ट्रैक्टर में लगाया जाता है और सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने का कार्य किया जाता है.

यहां पढ़ें...

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फसल में डोरे चलाने के क्या फायदे

सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने से लाइनों के बीच में उगी खरपतवार का नियंत्रण होता है. पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ जाती है. वहीं, खेत में नमी भी संरक्षित होती है. जिससे बारिश नहीं होने पर भी हफ्ते भर तक पौधा नमी की वजह से पोषित होता है. सोयाबीन के पौधों की संख्या भी नियंत्रित रहती है. जिससे सोयाबीन के पौधों का फैलाव अच्छा होता है.

रतलाम। मध्य प्रदेश की प्रमुख फसल सोयाबीन अब 15 से 20 दिन की अवस्था में पहुंच चुकी है. वर्तमान की स्थिति में फसल में खरपतवार प्रबंधन की आवश्यकता होती है. अधिकांश किसान खरपतवार नाशकों का स्प्रे कर खरपतवार का नियंत्रण करते हैं, लेकिन रतलाम क्षेत्र में बारिश नहीं होने व खेतों में नमी की कमी होने पर यह खरपतवार नाशक स्प्रे कारगर नहीं होते हैं. ऐसे में पारंपरिक विधि डोरे व करपे चलाकर सोयाबीन की फसल में खरपतवार का नियंत्रण किया जाता है.

RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP
आजकल ट्रैक्टर की मदद से चलाए जाते हैं डोरे (ETV Bharat)

पहले बैलों की जोड़ी से चलाया जाता था डोरे

बता दें कि सोयाबीन उत्पादक किसान डोरे चलाने के लिए बैलों की जोड़ी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब ट्रैक्टर में जुगाड़ के पतले पहिए लगाकर सोयाबीन की खड़ी फसल में डोरे चलाने का कार्य किया जाता है. सोयाबीन की फसल में डोर चलाने से न सिर्फ खरपतवार का नियंत्रण होता है, बल्कि पौधे की जड़ों में नमी भी संरक्षित होती है. जो बारिश नहीं होने की स्थिति में पौधे को सूखने से बचाती है.

RATLAM WEED CONTROL IN SOYBEAN CROP
सोयाबीन की लाइनों के बीच उगी खरपतवार को किया जाता नष्ट (ETV Bahrat)

खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान चलाते हैं डोरे

सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने अथवा करपे चलाने का विशेष महत्व होता है. शुरुआती दौर में बैलों की मदद से सोयाबीन के पौधों की लाइनों के बीच डोरे चलाए जाते थे. जिससे सोयाबीन की लाइनों के बीच उगी खरपतवार नष्ट हो जाती थी. बीते कुछ वर्षों में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाइयां का उपयोग शुरू हो गया, लेकिन खेत में नमी नहीं होने या बारिश का दौर नहीं होने की स्थिति में खरपतवार का नियंत्रण डोरे चला कर ही किया जाता है.

डोरे चलाने से सोयाबीन की फसल को होता है लाभ

आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में बैल उपलब्ध नहीं होने की वजह से ट्रैक्टर की मदद से डोरे चलाए जाते हैं. ट्रैक्टर के पहियों से सोयाबीन की फसल में नुकसान ना हो इसके लिए 4 इंच चौड़ाई के ट्रैक्टर के टायर का जुगाड़ ट्रैक्टर में लगाया जाता है और सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने का कार्य किया जाता है.

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फसल में डोरे चलाने के क्या फायदे

सोयाबीन की फसल में डोरे चलाने से लाइनों के बीच में उगी खरपतवार का नियंत्रण होता है. पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ जाती है. वहीं, खेत में नमी भी संरक्षित होती है. जिससे बारिश नहीं होने पर भी हफ्ते भर तक पौधा नमी की वजह से पोषित होता है. सोयाबीन के पौधों की संख्या भी नियंत्रित रहती है. जिससे सोयाबीन के पौधों का फैलाव अच्छा होता है.

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