रतलाम: रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले अनुवंशिक रोग सिकल सेल एनीमिया के बारे में आम लोगों में जानकारी का अभाव रहता है और इसी वजह से कई लोग अपनी जान तक गंवा देते है. इस बीमारी के बारे में जागरूकता लाने और इससे पीड़ित मरीजों की मदद के लिए रतलाम मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर अपनी टीम के साथ जुटे हुए हैं. रतलाम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर संजय दुबे ग्रामीण क्षेत्र में कैंप लगाकर मरीजों की पहचान करने और उन्हें निशुल्क उपचार देने का कार्य भारती जन कल्याण समिति के माध्यम से कर रहे है.
सिकल सेल से पीड़ित 62 मरीजों को खोजा
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सैलाना और बाजना में सिकल सेल के मरीज बड़ी संख्या में मिल रहे हैं. खासबात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के सरकारी आंकड़े में सिकल सेल एनीमिया रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या से अधिक मरीज जिले में डॉ दुबे और उनकी टीम ने खोज लिए हैं. तत्पर भारतीय जनकल्याण समिति के माध्यम से आदिवासी अंचल में अब तक 62 सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित मरीजों को खोजा गया है. जिन्हें इस बीमारी के लक्षण कम करने वाली दवाइयों का वितरण भी संस्था द्वारा किया जा रहा है.
क्या है सिकल सेल एनीमिया
डॉ संजय दुबे ने बताया कि "सिकल सेल रोग एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है जो रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है. यह रोग हीमोग्लोबिन की कमी के कारण होता है. सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों में रेड ब्लड सेल्स सिकल या चंद्रमा के आकार की होती हैं. इसी वजह से इसे सिकल सेल रोग कहा जाता है. यह एक अनुवांशिक बीमारी है जो संक्रमित माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है. इस बीमारी की वजह से रेड ब्लड सेल्स सामान्य से कम समय तक जीवित रहती हैं."
"इस बीमारी की वजह से मरीज को थकान, सांस की तकलीफ, और शरीर में पीलापन और बदन दर्द जैसी समस्या रहती है . सिकल सेल एनीमिया का कोई स्थाई इलाज संभव नहीं है. लेकिन शरीर पर इसका प्रभाव कम करने के लिए दवाएं और अन्य उपचार उपलब्ध हैं. इस रोग से पीड़ित लोग यदि नियमित रूप से चिकित्सा जांच करवाए और हेल्दी जीवनशैली अपनाए तो वह लंबे समय तक सामान्य जीवन जी सकते है."
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मरीज के उपचार दौरान मिली प्रेरणा
डॉ संजय दुबे ने बताया कि "उन्हें रतलाम मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए एक मरीज का उपचार करते समय इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली. वह मरीज हमारे पास जून माह में आया था तो उसका हीमोग्लोबिन बेहद कम था. उसे ब्लड चढ़ाना पड़ रहा था. जब उसकी जांच करवाई गई तो वह सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित पाया गया. ये मरीज आदिवासी क्षेत्र से था. इसके बाद वह और उनकी टीम रविवार और छुट्टी के दिनों में ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाते हैं. जहां संदिग्ध मरीज मिलने पर उसका रक्त परीक्षण करवाया जाता है. सिकल सेल एनीमिया का मरीज मिलने पर उसे बीमारी के बारे में जागरूक करने के साथ ही निशुल्क दवाइयां और उपचार उपलब्ध करवाया जाता है."