रतलाम: मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान सोमवार दोपहर से सुर्खियों में बने हुए हैं. वन मंत्रालय वापस लिए जाने से खफा हुए नागर सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देने और सांसद पत्नी अनीता चौहान का भी इस्तीफा दिलवाने का ऐलान कर दिया. दिन भर चली इस इस्तीफा पॉलिटिक्स का पटाक्षेप नागर सिंह चौहान को दिल्ली तलब किए जाने के बाद हुआ. आइए जानते हैं इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामे की इनसाइड स्टोरी. कैसे भाजपा के गले की फांस बन गया एक लोकसभा सीट पर 3 कैबिनेट मंत्री बनाने का फार्मूला. नागर सिंह चौहान ने क्यों दिखाए बगावती तेवर और कैसे अचानक उनके तेवरों में बदलाव आया.
1 लोकसभा सीट पर 3 कैबिनेट मंत्री बनाने का फार्मूला
दरअसल, रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट पर जीत के लिए इस सीट से 3 विधायकों को मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने का फार्मूला भाजपा संगठन ने लागू किया था. हालांकि यह पहले से ही तय था कि लोकसभा चुनाव के बाद किसी एक मंत्री को इस्तीफा देकर कैबिनेट में जगह खाली करनी होगी, लेकिन सोमवार को उस समय प्रदेश भाजपा संगठन के लिए मुसीबत खड़ी हो गई जब नागर सिंह चौहान ने मंत्री पद से इस्तीफा दे देने और सांसद पत्नी अनीता चौहान का भी इस्तीफा दिलवाने की बात कही.
कलेक्टर और एसपी ने की मंत्री से मुलाकात
अलीराजपुर में मंत्री नागर सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाले थे. मीडिया के लोग भी जमा होना शुरू हो गए. इसी दौरान अलीराजपुर कलेक्टर और एसपी नागर सिंह के बंगले पर पहुंचते हैं. बंद कमरे में मीटिंग होती है. भोपाल और दिल्ली में मोबाइल पर चर्चा होती है. इसके बाद नागर सिंह चौहान मीटिंग खत्म कर बंगले के बाहर आते हैं, लेकिन वह मीडिया से मुखातिब नहीं होते. मीडिया कर्मियों से भोपाल जाने का कहकर निकल जाते हैं. भोपाल में प्रदेश संगठन के नेताओं से मुलाकात के बाद मंत्री नागर सिंह चौहान को दिल्ली तलब किया गया है, जहां मंगलवार को उन्हें केंद्रीय संगठन के नेताओं से मुलाकात करनी है.
3 विधायकों को बनाया गया मंत्री
इस पूरे घटनाक्रम का टर्निंग प्वाइंट कलेक्टर और एसपी की मुलाकात साबित हुई. इसके बाद मंत्री नागर सिंह चौहान के बगावती तेवर थोड़े ठंडे पड़ गए. ये लोकसभा सीट हमेशा से ही भाजपा के लिए कठिन चुनौती रही है, जिसे जीतने के लिए 2023 विधानसभा चुनाव के बाद रतलाम झाबुआ और अलीराजपुर जिले से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया गया. रतलाम से चैतन्य कश्यप, झाबुआ से निर्मला भूरिया और अलीराजपुर से नागर सिंह चौहान प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे.
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संगठन के इशारे के बाद भी नहीं दिया इस्तीफा
नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को पार्टी ने लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और भाजपा का फार्मूला सफल भी हुआ. अनीता चौहान यहां बड़े अंतर से चुनाव जीतकर सांसद बन गईं, लेकिन पहले से तय रणनीति के तहत कैबिनेट में एक मंत्री की जगह खाली करनी थी, क्योंकि नागर सिंह चौहान की पत्नी सांसद हैं, इसलिए संगठन ने नागर सिंह चौहान को इशारा किया, लेकिन नागर सिंह चौहान ने इस्तीफा नहीं दिया. इसके बाद उनके पास से वन विभाग वापस ले लिया गया. इसके बाद उनके पास केवल अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ही बचा था. जिसे लेकर नागर सिंह चौहान ने पार्टी को बगावती तेवर दिखा दिए. बहरहाल नागर सिंह चौहान को सांसद पत्नी सहित पहले भोपाल और अब दिल्ली तलब किया गया है. जहां भाजपा शीर्ष नेतृत्व से उनकी मुलाकात होगी.