रतलाम। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्य प्रदेश की रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट के लिए 72.86 प्रतिशत मतदान हुआ. रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में कुल 20,72,288 मतदाता हैं. जिसमें 10लाख 29,902 पुरुष मतदाता और 10 लाख 42,330 महिला मतदाता शामिल हैं. खास बात यह है कि आदिवासी अंचल की इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है.
साल 2019 में बीजेपी की हुई थी जीत
एसटी के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट पर कुल 12 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. जहां भारतीय आदिवासी पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी की अनीता नागर सिंह चौहान और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया के बीच है. 1998 से लेकर 2015 के उपचुनाव तक इस सीट पर कांतिलाल भूरिया ने पांच बार जीत दर्ज की है. 2014 में पहली बार कांतिलाल भूरिया को दिलीप सिंह भूरिया के सामने हार का सामना करना पड़ा था. वहीं 2019 में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुमान सिंह डामोर ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 90 हजार वोटों से हराया था. हालांकि इस बार कांग्रेस कड़ी चुनौती पेश कर रही है. इस सीट पर 5 बार चुनाव जीत चुके कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया अपना अंतिम चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा को कड़ी टक्कर देते नजर आए.
रतलाम में 4 तो झाबुआ में 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर, सैलाना सहित 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. विधानसभा चुनाव के नतीजे में रतलाम शहर, रतलाम ग्रामीण, पेटलावद और अलीराजपुर कुल 4 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. वहीं ,जोबट, थांदला और झाबुआ 3 सीटों पर कांग्रेस और सैलाना सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी को जीत मिली थी.
बीजेपी-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला
बहरहाल यहां के मतदान में राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं. यहां की 17% आबादी शहरी क्षेत्र और 83% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. कांग्रेस और भाजपा के बीच यहां कड़ा मुकाबला है. वहीं भारतीय आदिवासी पार्टी यहां अधिक मात्रा में वोट लेकर दोनों में से किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकती है.