रतलाम: कलेक्ट्रेट में जन सुनवाई के दौरान आज एक बार फिर अजब नजारा देखने को मिला. ट्रांसफार्मर खराब होने से परेशान किसान खराब ट्रांसफार्मर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए. किसानों का कहना था कि ट्रांसफार्मर बार-बार जल रहे हैं. खुद के खर्चे से किसान ट्रांसफार्मर उतारकर लाते हैं लेकिन यहां बिना लेन-देन के नया ट्रांसफार्मर नहीं मिलता है.
नाराज किसान ट्रैक्टर पर ट्रांसफार्मर लाद कर जनसुनवाई में ही पहुंच गए. और कलेक्टर की गाड़ी के पास ट्रैक्टर ट्राली लगाकर धरने पर बैठ गए. करीब 1 घंटे तक चले धरने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर बिजली विभाग द्वारा किसानों को तत्काल नया ट्रांसफार्मर दिया गया. इसके बाद किसान धरना प्रदर्शन समाप्त करने को राजी हुए.
मेंटेनेंस के अभाव में लगातार जल रहे हैं ट्रांसफार्मर
किसानों का कहना है कि रबी सीजन की फसलों की बुवाई के साथ ही सिंचाई का सीजन शुरू हो चुका है. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ट्रांसफार्मर लगातार जल रहे हैं. जिसकी वजह से लगभग हर गांव से प्रतिदिन जले हुए ट्रांसफार्मर लेकर किसान विद्युत वितरण कंपनी के ट्रांसफार्मर डिपो पर पहुंच रहे हैं. लंबे इंतजार के बाद भी उन्हें ट्रांसफार्मर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
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किसाने ने कहा, लाइनमैन सहित कर्मचारी करते हैं पैसे की मांग
चितावद गांव से आए किसानों का आरोप है कि उन्हें चंबल कॉलोनी स्थित ट्रांसफार्मर डिपो के कर्मचारियों को 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक रिश्वत भी देनी पड़ रही है. फसल सूखने के डर से किसान स्वयं के खर्चे पर ट्रैक्टर ट्राली में ट्रांसफार्मर रखकर ला ही रहे हैं. यहां कर्मचारियों को घूस भी देना पड़ रहा है. किसानों के साथ धरने पर बैठे मानवेंद्र सिंह का कहना है कि बिना लेनदेन के तो कुछ होता ही नहीं है. ट्रांसफार्मर लेने जाने पर 5 से 10 दिन की वेटिंग बताते हैं. लाइनमैन सहित यहां के कर्मचारी पैसे की मांग करते हैं.
किसानों से बिजली बिल की वसूली होती है, लेकिन ट्रांसफार्मर खराब होने पर कोई सुनवाई नहीं
किसान नेता राजेश पुरोहित ने बताया कि विद्युत वितरण कंपनी किसानों से बिजली के बिल की को वसूली कर ही रही है. लेकिन ट्रांसफार्मर खराब हो जाने पर किसानों की कोई सुनवाई नहीं होती है. मेंटेनेंस के नाम पर सभी ग्रामीण क्षेत्रों में कोई कार्य नहीं किया गया है. हाईटेंशन लाइन के तार कई जगह जमीन छू रहे हैं. मेंटेनेंस नहीं होने ओर फॉल्ट की वजह से ट्रांसफार्मर खराब होते हैं. इसके बाद ट्रांसफार्मर सुधरवाने के लिए किसानों को ही सारी मेहनत करना पड़ती है. यहां किसानों से घूस भी मांगा जा रहा है.