झाबुआ। रतलाम संसदीय क्षेत्र से भाजपा द्वारा अनीता नागर सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाए जाने के 19 दिन बाद कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार के रूप में कांतिलाल भूरिया के नाम की घोषणा कर दी है. वे लगातार आठवीं बार इस संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. उनके खाते में पांच जीत और दो हार दर्ज है. ऐसे में अब मुकाबला काफी रोमांचक होने की उम्मीद है.
दरअसल, शनिवार देर रात कांग्रेस में अपनी चौथी लिस्ट जारी की थी. जिसमें रतलाम लोकसभा से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया का नाम भी था. ऐसे में गोपाल कॉलोनी स्थित उनके निवास पर कार्यकर्ताओं की भीड़ रही. यहां झाबुआ विधायक व युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया और जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रकाश रांका के नेतृत्व में सभी ने पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया. साथ ही जमकर आतिशबाजी भी की. कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने को लेकर भूरिया ने कहा-हाई कमान ने मुझ पर विश्वास किया है. इसके लिए मैं उनका आभारी हूं.'
इन सवालों के भी जवाब दिए:
सवाल: कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं को चुनाव में उतार रही है, इसकी क्या वजह है?
जवाब: हाई कमान ने निर्णय लिया है कि सीनियर और जूनियर सभी को इलेक्शन में उतारेंगे. मुझे भी टिकट दिया है और दिग्विजय सिंह को भी टिकट दिया है. हम सबको साथ लेकर चलेंगे और विकास की मुख्य धारा में जुड़ेंगे.
सवाल: कई कांग्रेस नेता बीजेपी में जा रहे हैं, इसे लेकर क्या कहना है?
जवाब: बीजेपी में जाने वाले अपने स्वार्थ के लिए जा रहे हैं. भाजपा उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करने के साथ जेल भेजने और ईडी का डर दिखा रही है. इसलिए भी वे भाजपा में जा रहे हैं. एक बार चुनाव शुरू हो जाने दो, फिर वे ही लोग अंदर से भाजपा का सफाया करने में लगेंगे.
1972 में छात्र राजनीति से की थी अपने सफर की शुरुआत:
कांतिलाल भूरिया का जन्म 1 जून 1950 को राणापुर विकासखंड के ग्राम मोरडूंडिया में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1972 में शहीद चंद्रशेखर आजाद शासकीय महाविद्यालय में छात्र नेता के रूप में की थी. 1974 में लॉ करने के बाद उनका चयन राज्य प्रशासनिक सेवा के जरिए डीएसपी पद के लिए हुआ था, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की बजाए राजनीति को चुना. भूरिया थांदला से वर्ष 1980 से 1996 तक पांच बार विधायक चुने गए. इस दौरान वे अर्जुन सिंह कैबिनेट में संसदीय सचिव रहे तो वहीं दिग्विजय सिंह सरकार में प्रदेश के आजाक मंत्री बने.
1998 में पहली बार सांसद चुने गए. इसके बाद 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में भी जीत हासिल की. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके साल भर बाद ही 2015 में सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन से खाली हुई सीट पर हुए उप चुनाव में उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की. जबकि 2019 में उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके कुछ समय बाद झाबुआ विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया. इस चुनाव में एक बार फिर वे विधायक निर्वाचित हो गए.
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केंद्र में मंत्री भी रहे
सांसद रहते हुए भूरिया को 2003 में यूपीए-1 में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री बनाया गया, तो वहीं यूपीए-2 में वे केंद्रीय ट्राइबल मिनिस्टर बने. 2011 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी गई थी, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.