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'लोकायुक्त की क्या औकात जो मुझे नोटिस दे' रतलाम रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगमायुक्त का ऑडियो वायरल - Ratlam Civic Center Registry Scam

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 12, 2024, 6:50 PM IST

रतलाम के सिविक सेंटर रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार का एक ऑडियो वायरल है. जिसमें वे कह रहे हैं कि लोकायुक्त की क्या औकात कि मुझे नोटिस दे. वहीं इस भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त उज्जैन पुलिस ने हाल ही में तत्कालीन निगम आयुक्त सहित 36 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

RATLAM CIVIC CENTER REGISTRY SCAM
उपायुक्त विकास सोलंकी और तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार (Etv Bharat)

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम में बहुचर्चित सिविक सेंटर रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगम आयुक्त सहित 36 लोगों के विरुद्ध लोकायुक्त उज्जैन पुलिस ने धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमितता का मामला दर्ज किया है. इसके बाद अब तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार का एक ऑडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें वह लोकायुक्त को लेकर अभद्र टिप्पणी करते सुनाई दे रहे हैं. ऑडियो में अखिलेश गहरवार और एक स्थानीय पत्रकार के बीच बातचीत हो रही है. जिसमें वह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 'लोकायुक्त की क्या औकात कि मुझे नोटिस दे'. यह ऑडियो मार्च 2024 का बताया जा रहा है.

रतलाम रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगमायुक्त का ऑडियो हुआ वायरल (Etv Bharat)

भू-माफियाओं से साठगांठ कर किया गया भ्रष्टाचार

दरअसल, सिविक सेंटर फर्जी रजिस्ट्री के मामले को निगम के सम्मेलन में भाजपा पार्षदों द्वारा उठाया गया था. जिसमें निगम के अधिकारियों द्वारा भू माफियाओं से साठगांठ कर सिविक सेंटर के 27 प्लॉटों को कम दामों पर रजिस्ट्री करवा कर रातों-रात नामांतरण करा दिया गया था. इन अधिकारियों ने षड़यंत्र पूर्वक सिविक सेंटर स्थित 27 प्लॉटों की सालों पुरानी तय की गई दरों पर रजिस्ट्री करवा दी थी, जबकि यह जमीन राजस्व विभाग की है. तत्कालीन कलेक्टर भास्कर लक्ष्यकार की रिपोर्ट पर शासन ने अखिलेश गहरवार को निलंबित किया था. वहीं, अब इस मामले में लोकायुक्त उज्जैन पुलिस ने तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार, उपायुक्त विकास सोलंकी, जिला रजिस्ट्रार कार्यालय के उपपंजीयक प्रसन्न गुप्ता सहित कुल 36 लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमितता के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है. इसके बाद इन भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तारी का डर सता रहा है.

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भाजपा पार्षद ने बताया किस तरह हुआ भष्टाचार

नगर निगम में भाजपा पार्षदों ने इस मुद्दे को उठाया था. जिस नगर निगम में आम आदमी को नामांतरण के लिए महीनों लग जाते हैं, वहां इन प्लॉटों का नामांतरण रातों-रात हो गया. वहीं, कुछ प्लॉट की दोबारा रजिस्ट्री भी करवा दी गई. भाजपा पार्षद हितेश कामरेड का कहना है कि ''इन अधिकारियों के अलावा नगर निगम के अन्य अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए. जिन्होंने नियम विरुद्ध और समय सीमा के पहले सभी 27 प्लॉट का एक्सप्रेस नामांतरण करने में भूमिका निभाई है.''

(नोटः ईटीवी भारत इस वायरल ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है.)

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम में बहुचर्चित सिविक सेंटर रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगम आयुक्त सहित 36 लोगों के विरुद्ध लोकायुक्त उज्जैन पुलिस ने धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमितता का मामला दर्ज किया है. इसके बाद अब तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार का एक ऑडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें वह लोकायुक्त को लेकर अभद्र टिप्पणी करते सुनाई दे रहे हैं. ऑडियो में अखिलेश गहरवार और एक स्थानीय पत्रकार के बीच बातचीत हो रही है. जिसमें वह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 'लोकायुक्त की क्या औकात कि मुझे नोटिस दे'. यह ऑडियो मार्च 2024 का बताया जा रहा है.

रतलाम रजिस्ट्री मामले में तत्कालीन निगमायुक्त का ऑडियो हुआ वायरल (Etv Bharat)

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दरअसल, सिविक सेंटर फर्जी रजिस्ट्री के मामले को निगम के सम्मेलन में भाजपा पार्षदों द्वारा उठाया गया था. जिसमें निगम के अधिकारियों द्वारा भू माफियाओं से साठगांठ कर सिविक सेंटर के 27 प्लॉटों को कम दामों पर रजिस्ट्री करवा कर रातों-रात नामांतरण करा दिया गया था. इन अधिकारियों ने षड़यंत्र पूर्वक सिविक सेंटर स्थित 27 प्लॉटों की सालों पुरानी तय की गई दरों पर रजिस्ट्री करवा दी थी, जबकि यह जमीन राजस्व विभाग की है. तत्कालीन कलेक्टर भास्कर लक्ष्यकार की रिपोर्ट पर शासन ने अखिलेश गहरवार को निलंबित किया था. वहीं, अब इस मामले में लोकायुक्त उज्जैन पुलिस ने तत्कालीन निगम आयुक्त अखिलेश गहरवार, उपायुक्त विकास सोलंकी, जिला रजिस्ट्रार कार्यालय के उपपंजीयक प्रसन्न गुप्ता सहित कुल 36 लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमितता के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है. इसके बाद इन भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तारी का डर सता रहा है.

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नगर निगम में भाजपा पार्षदों ने इस मुद्दे को उठाया था. जिस नगर निगम में आम आदमी को नामांतरण के लिए महीनों लग जाते हैं, वहां इन प्लॉटों का नामांतरण रातों-रात हो गया. वहीं, कुछ प्लॉट की दोबारा रजिस्ट्री भी करवा दी गई. भाजपा पार्षद हितेश कामरेड का कहना है कि ''इन अधिकारियों के अलावा नगर निगम के अन्य अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए. जिन्होंने नियम विरुद्ध और समय सीमा के पहले सभी 27 प्लॉट का एक्सप्रेस नामांतरण करने में भूमिका निभाई है.''

(नोटः ईटीवी भारत इस वायरल ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है.)

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