जयपुर. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के साथ 35 फीट ऊंचे रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले. इस दौरान छोटी काशी भगवान जगन्नाथ की जयकारों से गूंज उठी. भक्तों ने अपने हाथों से रथ को खींचकर मंगल कामना की तो कुछ श्रद्धालु रथ के आगे झाड़ू लगा संकीर्तन करते हुए चले. खास बात ये रही कि भगवान जगन्नाथ जिस रथ पर सवार हुए, वो हाइड्रोलिक रथ था जिसे जरूरत पड़ने पर ऊपर-नीचे भी किया जा सकता था.
'जय जगन्नाथ' के स्वर से गुंजायमान हो उठा शहर : 53 साल बाद भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा दो दिन निकाली गई. छोटी काशी में कुछ मंदिरों में रथ यात्रा महोत्सव रविवार को मनाया गया. वहीं, हरे कृष्ण मूवमेंट की ओर से सोमवार को गुलाबी नगरी की सड़कों पर भगवान जगन्नाथ की जयकारों के साथ रथ यात्रा निकाली गई. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के साथ जब रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले तो शहर 'जय जगन्नाथ' के स्वर से गुंजायमान हो उठा. जयपुर के कोने-कोने से भक्त इस रथ यात्रा से जुड़े और अपने हाथों से भगवान का रथ खींचकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया.
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हाइड्रोलिक रथ पर सवार हुए जगन्नाथ : हरे कृष्ण मूवमेंट के अमितासन दास ने बताया कि वार्षिक भव्य रथ यात्रा का शुभारंभ कलेक्ट्रेट सर्किल से हुआ जो खासा कोठी पुलिया, गवर्नमेंट हॉस्टल, पांच बत्ती सर्किल, अजमेरी गेट होते हुए रामनिवास बाग पहुंची. रथ यात्रा में विधायक गोपाल शर्मा भी मौजूद रहे, जिन्होंने रथ के आगे झाड़ू भी लगाई. उन्होंने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के साथ हाइड्रोलिक रथ पर सवार होकर गुलाबी नगरी में भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए निकले. उनके रथ को फूलों और रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया. भगवान के रथ के साथ गौर निताई आगे चले. वहीं, हजारों भक्तों ने रथ को हाथों से खींचते हुए करताल और मृदंग के साथ भगवान का गुणगान करते हुए नृत्य भी किया.
बता दें कि द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण को वृंदावन वापस ले जाने के लिए वृंदावन वासियों ने भगवान का रथ अपने हाथ से खींचा था. भगवान कृष्ण वृंदावन वासियों के इस प्रेम को देखकर भाव-विभोर हो गए थे. इसी की याद में हर वर्ष रथ यात्रा का आयोजन होता है.