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फसलों के MSP आंदोलन में अब कक्का जी की हुंकार, ऐसी है सत्याग्रह की रूपरेखा - Shiv Kumar Sharma Kakkaji

सोयाबीन समेत अन्य फसलों के समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसान आंदोलनरत हैं. अब राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ भी इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ सत्याग्रह करने की तैयारी में है. महासंघ के प्रमुख शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने भी ताल ठोक दी है.

Shiv Kumar Sharma Kakkaji
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रमुख शिव कुमार शर्मा कक्काजी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 25, 2024, 1:48 PM IST

इंदौर। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रमुख शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने कहा "जल्द ही किसानों से जुड़ी 3 प्रमुख मांगों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो मध्य प्रदेश के किसान भी सड़कों पर सत्याग्रह करते नजर आएंगे." दरअसल, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ किसानों से जुड़ा एक बड़ा संगठन है, जो इन दिनों मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सोयाबीन के समर्थन मूल्य के अलावा कपास के न्यायोचित भाव के अलावा मिर्च की फसल को मसाले में शामिल करने जैसी प्रमुख मांग राज्य और केंद्र सरकार से करता रहा है.

मिर्च की फसल का मुद्दा भी बहुत अहम है

बुधवार को इंदौर प्रेस क्लब में महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने बताया "राज्य और केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर लगातार उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही हैं." उनका कहना "लंबे समय से किसान सोयाबीन का समर्थन मूल्य कम से कम ₹6000 करने की मांग कर रहे हैं. इसी प्रकार मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में होने वाली मिर्च की फसल को सब्जी के स्थान पर मसाले की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. वहीं कपास के भाव ₹11000 प्रति क्विंटल की मांग पर भी राज्य और केंद्र सरकार ने अब तक ध्यान नहीं दिया है. इसलिए किसान इस मामले में जल्द ही रणनीति बनाकर सत्याग्रह का ऐलान करेंगे."

फसलों के एमएसपी को लेकर अब कक्का जी की हुंकार (ETV BHARAT)

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का फॉर्मूला क्या है

उन्होंने कहा "स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में सीटू प्लस 50 के फार्मूले के अनुसार किसान की उपज का भुगतान निर्धारित किया गया है. जिसमें खेती की संपूर्ण लागत के अलावा खेत का लीज रेंट किसान परिवार की मेहनत और मशीनरी और टूल्स के उपयोग के साथ उनके दामों में गिरावट को यदि जोड़ दिया जाए तो प्राप्त उपज की, जो कीमत होगी उसे पर 50% मुनाफा जोड़कर दिए जाने का फार्मूला है, जिसकी मांग भी महासंघ द्वारा की जा रही है."

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सरकार ने की किसानों की लगातार उपेक्षा

उन्होंने कहा "बीते दिनों उनकी कृषि मंत्री से इन तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई है. जिसे शासन स्तर पर वित्त विभाग एवं अन्य दो विभागों की स्वीकृति नहीं मिलना बताकर सरकार द्वारा अन्नदाता किसानों की अपेक्षा की जा रही है." शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने कहा "ऐसे तमाम मुद्दों के साथ जल्द ही प्रदेश के किसान भी सत्याग्रह करते नजर आएंगे. इसे लेकर विचार विमर्श के बाद फैसला लिया जाएगा."

इंदौर। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रमुख शिव कुमार शर्मा कक्काजी ने कहा "जल्द ही किसानों से जुड़ी 3 प्रमुख मांगों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो मध्य प्रदेश के किसान भी सड़कों पर सत्याग्रह करते नजर आएंगे." दरअसल, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ किसानों से जुड़ा एक बड़ा संगठन है, जो इन दिनों मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सोयाबीन के समर्थन मूल्य के अलावा कपास के न्यायोचित भाव के अलावा मिर्च की फसल को मसाले में शामिल करने जैसी प्रमुख मांग राज्य और केंद्र सरकार से करता रहा है.

मिर्च की फसल का मुद्दा भी बहुत अहम है

बुधवार को इंदौर प्रेस क्लब में महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने बताया "राज्य और केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर लगातार उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही हैं." उनका कहना "लंबे समय से किसान सोयाबीन का समर्थन मूल्य कम से कम ₹6000 करने की मांग कर रहे हैं. इसी प्रकार मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में होने वाली मिर्च की फसल को सब्जी के स्थान पर मसाले की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. वहीं कपास के भाव ₹11000 प्रति क्विंटल की मांग पर भी राज्य और केंद्र सरकार ने अब तक ध्यान नहीं दिया है. इसलिए किसान इस मामले में जल्द ही रणनीति बनाकर सत्याग्रह का ऐलान करेंगे."

फसलों के एमएसपी को लेकर अब कक्का जी की हुंकार (ETV BHARAT)

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का फॉर्मूला क्या है

उन्होंने कहा "स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में सीटू प्लस 50 के फार्मूले के अनुसार किसान की उपज का भुगतान निर्धारित किया गया है. जिसमें खेती की संपूर्ण लागत के अलावा खेत का लीज रेंट किसान परिवार की मेहनत और मशीनरी और टूल्स के उपयोग के साथ उनके दामों में गिरावट को यदि जोड़ दिया जाए तो प्राप्त उपज की, जो कीमत होगी उसे पर 50% मुनाफा जोड़कर दिए जाने का फार्मूला है, जिसकी मांग भी महासंघ द्वारा की जा रही है."

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सरकार ने की किसानों की लगातार उपेक्षा

उन्होंने कहा "बीते दिनों उनकी कृषि मंत्री से इन तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई है. जिसे शासन स्तर पर वित्त विभाग एवं अन्य दो विभागों की स्वीकृति नहीं मिलना बताकर सरकार द्वारा अन्नदाता किसानों की अपेक्षा की जा रही है." शिवकुमार शर्मा कक्का जी ने कहा "ऐसे तमाम मुद्दों के साथ जल्द ही प्रदेश के किसान भी सत्याग्रह करते नजर आएंगे. इसे लेकर विचार विमर्श के बाद फैसला लिया जाएगा."

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