गोरखपुर: बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में अब तीमारदारों और डॉक्टर के बीच में मारपीट की घटना नहीं घटेगी. यहां अक्सर तीमारदार और डाक्टरों के बीच मारपीट होने की घटना हो जाती है. इससे डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए परेशानी खड़ी होती है, लेकिन नए साल से इस कॉलेज के प्रिंसिपल एक ऐसी व्यवस्था की यहां शुरुआत करने जा रहे हैं, जिससे विवाद भी नहीं होगा और बेहतर इलाज भी मिलेगा.
यहां रैपिड इमरजेंसी टीम की 24 घंटे तैनाती होगी. इस टीम को एक नोडल अफसर भी मॉनिटर करेंगे और वह भी 24 घंटे ऑन लाइन रहेंगे. घटना या किसी गंभीर स्थिति में इमरजेंसी में मरीज को लेकर आने वाले परिजन, इस टीम से मदद लेकर इलाज पा सकेंगे. यहां नोडल अफसर का नंबर भी जगह- जगह डिस्प्ले होगा, जिस पर भी फोन कर समस्या बताई जा सकेगी, जिससे विवाद रुकेगा और इलाज की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर रामकुमार जायसवाल ने बताया कि पिछली घटी घटनाओं से सबक लेते हुए और उस पर पूरी तरह विराम लगाने के उद्देश्य से एक योजना पर काफी दिनों से विचार चल रहा था, जो अब आगामी 6 जनवरी से क्रियाशील हो जाएगी. इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में हर 8 घंटे की शिफ्ट में दो रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्य तैनात रहेंगे. यह स्वयं यहां आने वाले मरीज और उनके परिजनों पर नजर रखेंगे.
उन्होंने बताया कि किसी विवाद की स्थिति में अपनी सक्रियता बढ़ाकर पीड़ित के परिजनों से जानकारी लेंगे. उसे अपने स्तर से भी दूर करने का प्रयास करेंगे, लेकिन अगर कोई स्थिति गंभीर बनती है तो वह इस संबंध में व्यवस्था को सुचार बनाने के लिए बनाए गए नोडल अवसर से भी संपर्क करेंगे. इनका एक व्हाट्सएप ग्रुप भी काम करेगा. उस पर भी जानकारी साझा की जा सकेगी. साथ ही फोन भी किया जाएगा. मरीज को अगर भर्ती और इलाज में कोई दिक्कत हो रही है, दवा और जांच की सुविधा पाने में कठिनाई आ रही है यानी जो भी दिक्कत है वह उठा कर रहा है तो यह रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्य उसके निदान का रास्ता उसे सुझाएंगे. जरूरत होगी तो उसे उस केंद्र पर भी पहुंचाएंगे, जहां से उसकी समस्या का समाधान हो सकेगा.
डॉ. जायसवाल ने ऐसे रैपिड रिस्पांस टीम के सदस्यों को आई कार्ड भी जारी कर दिया है. उन्होंने ऐसे आई कार्ड को ईटीवी भारत के कैमरे पर भी प्रदर्शित किया है और कहां है कि इसके माध्यम से इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में सुचिता बरकरार रहेगी. कोई भी बाहरी या उपद्रवी व्यक्ति जाकर वहां कोई हंगामा या अपराध नहीं कर सकेगा और न ही कोई फर्जी तरीके से मेडिकल कर्मी बनके इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में अपनी दलाली या अवैध काम को आगे बढ़ा पाएगा.
उन्होंने कहा कि रैपिड रिस्पांस टीम को इसीलिए आई कार्ड जारी किया जा रहा है, जिससे उनकी पहचान आसानी से हो सके. मेडिकल कॉलेज का कोई भी जिम्मेदार अफसर, डॉक्टर अगर ट्रामा सेंटर में पहुंचता है, तो उसे रैपिड रिस्पांस टीम से मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि नए वर्ष में इस योजना की शुरुआत से निश्चित रूप से मेडिकल कॉलेज की छवि अच्छी बनेगी. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज इसमें सफल हुआ तो निश्चित रूप से यह प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज और सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए सुविधा का एक बड़ा माध्यम बनेगा, जिसे अपनाकर वहां भी स्थिति को नियंत्रित और विवाद को खत्म किया जा सकेगा. छवि को मजबूती मिलेगी.
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