ETV Bharat / state

अब अलीगढ़ में जामा मस्जिद की जगह शिव मंदिर होने का दावा, 15 फरवरी को होगी सुनवाई - UPARKOT JAMA MASJID

संभल, बागपत, बदायूं के बाद मंदिर-मस्जिद विवाद में जुड़ा नया नाम, आरटीआई कार्यकर्ता ने कोर्ट में दाखिल की याचिका.

कोर्ट ने स्वीकार की याचिका, सुनवाई अगले महीने.
कोर्ट ने स्वीकार की याचिका, सुनवाई अगले महीने. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 7:34 AM IST

अलीगढ़ : संभल, बागपत, बदायूं, फिरोजाबाद और बरेली के बाद अब अलीगढ़ में भी मंदिर-मस्जिद का नया विवाद सामने आया है. यहां की ऐतिहासिक ऊपरकोट जामा मस्जिद के मंदिर होने का दावा किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है इस स्थान पर पहले शिव मंदिर था. सोमवार को उन्होंने सिविल जज कोर्ट में याचिका दाखिल की. उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया गया है. मामले में 15 फरवरी को सुनवाई होनी है.

आरटीआई एक्टिविस्ट और भ्रष्टाचार विरोधी सेना के नेता पंडित केशव देव गौतम का दावा है कि ऊपरकोट इलाके में पहले हिंदू राजाओं का बड़ा किला हुआ करता था. किले के स्थान पर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर जामा मस्जिद की स्थापना की गई. उन्होंने पुरातत्व विभाग और नगर निगम से आरटीआई के माध्यम से जानकारी प्राप्त की. इसमें इस स्थान पर पहले बौद्ध स्तूप, जैन मंदिर या शिव मंदिर होने का उल्लेख किया गया.

दरअसल, पंडित केशव देव ने नगर निगम से आरटीआई के जरिए पूछा था कि जामा मस्जिद किसकी जमीन पर बनी है, इसका निर्माण कब हुआ और मस्जिद पर मालिकाना हक किसका है. नगर निगम ने जवाब दिया कि मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है और इसके निर्माण के संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. निगम ने यह भी स्पष्ट किया कि मस्जिद का मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास नहीं है.

इन तथ्यों के आधार पर पंडित केशव देव ने सिविल जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में उन्होंने मस्जिद को बेदखल कर शिव मंदिर की पुनर्स्थापना की मांग की. कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और 15 फरवरी 2025 को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है.

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब यूपी के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार के मामलों की संख्या बढ़ रही है. संभल में जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर के अवशेषों पर बनाने का दावा किया गया. कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ. बदायूं और बागपत में भी प्राचीन मस्जिदों की जगह मंदिर होने के दावे किए गए.

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निचली अदालतों को आदेश दिया है कि मंदिर-मस्जिद विवादों में बिना स्पष्ट अनुमति के कोई भी सर्वेक्षण आदेश पारित न किया जाए. कोर्ट ने कहा कि पहले पूजा स्थल अधिनियम, 1991 पर याचिकाओं का निपटारा होना चाहिए, ताकि इन विवादों को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके.

यह भी पढ़ें : स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- मस्जिदों के नीचे मंदिर तलाशना बंद करें, नहीं तो मंदिरों में खोजे जाने लगेंगे बौद्ध मठ

अलीगढ़ : संभल, बागपत, बदायूं, फिरोजाबाद और बरेली के बाद अब अलीगढ़ में भी मंदिर-मस्जिद का नया विवाद सामने आया है. यहां की ऐतिहासिक ऊपरकोट जामा मस्जिद के मंदिर होने का दावा किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है इस स्थान पर पहले शिव मंदिर था. सोमवार को उन्होंने सिविल जज कोर्ट में याचिका दाखिल की. उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया गया है. मामले में 15 फरवरी को सुनवाई होनी है.

आरटीआई एक्टिविस्ट और भ्रष्टाचार विरोधी सेना के नेता पंडित केशव देव गौतम का दावा है कि ऊपरकोट इलाके में पहले हिंदू राजाओं का बड़ा किला हुआ करता था. किले के स्थान पर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर जामा मस्जिद की स्थापना की गई. उन्होंने पुरातत्व विभाग और नगर निगम से आरटीआई के माध्यम से जानकारी प्राप्त की. इसमें इस स्थान पर पहले बौद्ध स्तूप, जैन मंदिर या शिव मंदिर होने का उल्लेख किया गया.

दरअसल, पंडित केशव देव ने नगर निगम से आरटीआई के जरिए पूछा था कि जामा मस्जिद किसकी जमीन पर बनी है, इसका निर्माण कब हुआ और मस्जिद पर मालिकाना हक किसका है. नगर निगम ने जवाब दिया कि मस्जिद सार्वजनिक भूमि पर बनी है और इसके निर्माण के संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. निगम ने यह भी स्पष्ट किया कि मस्जिद का मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास नहीं है.

इन तथ्यों के आधार पर पंडित केशव देव ने सिविल जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में उन्होंने मस्जिद को बेदखल कर शिव मंदिर की पुनर्स्थापना की मांग की. कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और 15 फरवरी 2025 को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है.

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब यूपी के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार के मामलों की संख्या बढ़ रही है. संभल में जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर के अवशेषों पर बनाने का दावा किया गया. कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ. बदायूं और बागपत में भी प्राचीन मस्जिदों की जगह मंदिर होने के दावे किए गए.

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निचली अदालतों को आदेश दिया है कि मंदिर-मस्जिद विवादों में बिना स्पष्ट अनुमति के कोई भी सर्वेक्षण आदेश पारित न किया जाए. कोर्ट ने कहा कि पहले पूजा स्थल अधिनियम, 1991 पर याचिकाओं का निपटारा होना चाहिए, ताकि इन विवादों को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके.

यह भी पढ़ें : स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- मस्जिदों के नीचे मंदिर तलाशना बंद करें, नहीं तो मंदिरों में खोजे जाने लगेंगे बौद्ध मठ

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.