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अब नहीं मिलेगी बेतरतीब टाउनशिप बसाने की अनुमति, डेवलपर्स को 7 साल तक करना होगा मेंटेनेंस - New Township Policy Draft

New Township Policy Draft, राज्य की भजनलाल सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके तहत अब डवलपर्स पर नकेल कसी जाएगी. ड्राफ्ट के अनुसार टाउनशिप में भूखंड या मकान बेचने के बाद भी करीब सात साल तक उसके रखरखाव की जिम्मेदारी डवलपर्स की होगी.

New Township Policy Draft
नहीं मिलेगी बेतरतीब टाउनशिप बसाने की अनुमति (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 30, 2024, 7:36 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके तहत डवलपर्स पर नकेल कसी जाएगी. ड्राफ्ट के अनुसार टाउनशिप में भूखंड या मकान बेचने के बाद भी करीब 7 साल तक उसके रखरखाव की जिम्मेदारी डवलपर्स की होगी. वहीं, शहरों में अब चिह्नित इलाकों में ही टाउनशिप लाई जा सकेगी. उसमें भी किसी एक क्षेत्र में 75% एरिया का लेआउट प्लान मंजूर होने के बाद ही अगले क्षेत्र में टाउनशिप डवलपमेंट के लिए ओपन किया जाएगा. यानी अब बेतरतीब टाउनशिप बसाने की अनुमति नहीं मिलेगी.

राज्य सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर आम जनता से संबंध में सुझाव आमंत्रित किए हैं. नए ड्राफ्ट के अनुसार शहरों में अब जहां सुविधा होगी, वहीं टाउनशिप बनेगी. सरकार की ओर से जारी प्रदेश की नई टाउनशिप पॉलिसी के प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार इंटीग्रेटेड रेजिडेंशियल टाउनशिप के लिए चिह्नित इलाके की बाध्यता नहीं होगी. टाउनशिप के लिए डवलपर्स को सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता कराना भी अनिवार्य होगा. यही नहीं टाउनशिप एरिया के बीच से 40% हिस्से में ग्रुप हाउसिंग विकसित करना होगा. इसके अलावा 2 हेक्टेयर से ज्यादा बड़ी टाउनशिप में खेल के मैदान के लिए कम से कम तीन प्रतिशत जगह छोड़ना जरूरी होगा.

इसे भी पढ़ें - राज्य सरकार ने जारी की टाउनशिप पॉलिसी, किए कई बड़े बदलाव

इसके अलावा टाउनशिप पॉलिसी ड्राफ्ट में डवलपर्स पर और भी बंदिशें लगाई गई हैं. डवलपर को टाउनशिप के कुल भूखंड का 2.5% बिक्री योग्य हिस्सा आरक्षित करना होगा. डवलपर इस हिस्से को टाउनशिप डवलप होने के 7 साल तक नहीं बेच सकेगा. नई पॉलिसी ड्राफ्ट में 7 साल तक टाउनशिप के रखरखाव की जिम्मेदारी भी डवलपर की ही होगी. विकास कार्य में कमी रही तो नगरीय निकाय या विकास प्राधिकरण इन भूखंडों को बेचकर काम करा सकेंगे. इस संबंध में नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों का मानना है कि टाउनशिप में रहने वाले लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ही टाउनशिप पॉलिसी के ड्राफ्ट में इन प्रावधानों को शामिल किया गया है.

वहीं, प्रदेश में टाउनशिप पॉलिसी ड्राफ्ट के साथ-साथ नई बिल्डिंग बायलॉज का ड्राफ्ट भी जारी किया गया है. जिसके तहत शहरों की आवासीय योजनाओं और कॉलोनी में छोटे भूखंड पर न तो बिल्डर ज्यादा फ्लैट बना सकेंगे और ना ही ज्यादा ऊंची इमारत का निर्माण कर सकेंगे. आवासीय योजनाओं में हाईराइज बिल्डिंग की परिभाषा को बदलते हुए 15 मीटर से ऊंची इमारत को हाईराइज बिल्डिंग माना जाएगा. ऐसे में अब शहरों में ज्यादा ऊंची बिल्डिंग नहीं बन पाएगी. साथ ही 500 वर्ग मीटर से छोटे भूखंड पर फ्लैट्स भी नहीं बन सकेंगे. इसके अलावा 2500 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के भूखंड पर ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करना अनिवार्य होगा. इन बिल्डिंग में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए हरियाली का हिस्सा भी छोड़ना होगा. वहीं हर इकाई के लिए कार पार्किंग और फायर ब्रिगेड की भी उपयुक्त व्यवस्था करनी होगी.

जयपुर. राज्य सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके तहत डवलपर्स पर नकेल कसी जाएगी. ड्राफ्ट के अनुसार टाउनशिप में भूखंड या मकान बेचने के बाद भी करीब 7 साल तक उसके रखरखाव की जिम्मेदारी डवलपर्स की होगी. वहीं, शहरों में अब चिह्नित इलाकों में ही टाउनशिप लाई जा सकेगी. उसमें भी किसी एक क्षेत्र में 75% एरिया का लेआउट प्लान मंजूर होने के बाद ही अगले क्षेत्र में टाउनशिप डवलपमेंट के लिए ओपन किया जाएगा. यानी अब बेतरतीब टाउनशिप बसाने की अनुमति नहीं मिलेगी.

राज्य सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर आम जनता से संबंध में सुझाव आमंत्रित किए हैं. नए ड्राफ्ट के अनुसार शहरों में अब जहां सुविधा होगी, वहीं टाउनशिप बनेगी. सरकार की ओर से जारी प्रदेश की नई टाउनशिप पॉलिसी के प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार इंटीग्रेटेड रेजिडेंशियल टाउनशिप के लिए चिह्नित इलाके की बाध्यता नहीं होगी. टाउनशिप के लिए डवलपर्स को सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता कराना भी अनिवार्य होगा. यही नहीं टाउनशिप एरिया के बीच से 40% हिस्से में ग्रुप हाउसिंग विकसित करना होगा. इसके अलावा 2 हेक्टेयर से ज्यादा बड़ी टाउनशिप में खेल के मैदान के लिए कम से कम तीन प्रतिशत जगह छोड़ना जरूरी होगा.

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इसके अलावा टाउनशिप पॉलिसी ड्राफ्ट में डवलपर्स पर और भी बंदिशें लगाई गई हैं. डवलपर को टाउनशिप के कुल भूखंड का 2.5% बिक्री योग्य हिस्सा आरक्षित करना होगा. डवलपर इस हिस्से को टाउनशिप डवलप होने के 7 साल तक नहीं बेच सकेगा. नई पॉलिसी ड्राफ्ट में 7 साल तक टाउनशिप के रखरखाव की जिम्मेदारी भी डवलपर की ही होगी. विकास कार्य में कमी रही तो नगरीय निकाय या विकास प्राधिकरण इन भूखंडों को बेचकर काम करा सकेंगे. इस संबंध में नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों का मानना है कि टाउनशिप में रहने वाले लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ही टाउनशिप पॉलिसी के ड्राफ्ट में इन प्रावधानों को शामिल किया गया है.

वहीं, प्रदेश में टाउनशिप पॉलिसी ड्राफ्ट के साथ-साथ नई बिल्डिंग बायलॉज का ड्राफ्ट भी जारी किया गया है. जिसके तहत शहरों की आवासीय योजनाओं और कॉलोनी में छोटे भूखंड पर न तो बिल्डर ज्यादा फ्लैट बना सकेंगे और ना ही ज्यादा ऊंची इमारत का निर्माण कर सकेंगे. आवासीय योजनाओं में हाईराइज बिल्डिंग की परिभाषा को बदलते हुए 15 मीटर से ऊंची इमारत को हाईराइज बिल्डिंग माना जाएगा. ऐसे में अब शहरों में ज्यादा ऊंची बिल्डिंग नहीं बन पाएगी. साथ ही 500 वर्ग मीटर से छोटे भूखंड पर फ्लैट्स भी नहीं बन सकेंगे. इसके अलावा 2500 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के भूखंड पर ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण करना अनिवार्य होगा. इन बिल्डिंग में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए हरियाली का हिस्सा भी छोड़ना होगा. वहीं हर इकाई के लिए कार पार्किंग और फायर ब्रिगेड की भी उपयुक्त व्यवस्था करनी होगी.

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