रामपुर : भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने संभल में 1978 में हुए दंगे में आजम खान की अहम भूमिका होने के आरोप लगाए हैं. मुजफ्फरनगर के दंगों में भी सपा नेता के शामिल होने की बात कही है. उन्होंने फिर से इसकी जांच कराने की मांग की है.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान भले ही सीतापुर जेल में बंद हों लेकिन अभी भी उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. अब भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मीडिया से बातचीत में आजम खान के कट्टर विरोधी रहे आकाश सक्सेना ने कहा कि संभल के दंगे हो या मुजफ्फरनगर के दंगे, इसे कराने से लेकर आरोपियों को छुड़ाने में आजम खान की अहम भूमिका रही है.
भाजपा विधायक ने कहा कि संभल के दंगे की बारीकी से जांच की जरूरत है. 1978 में ये दंगा हुआ था. 1993 में दिसंबर महीने में समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है, और 23 दिसंबर को शासन से एक पत्र जारी होता है. इसमें 1978 के दंगे में आरोपियों पर दर्ज आठ मुकदमों को वापस ले लिया जाता है.
भाजपा विधायक ने आरोप लगाया कि आजम खान ने ही उन दंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही सबसे पहली कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को वही लेकर आए थे, कि दंगे के 8 अहम मुकदमों को वापस ले लिया जाए. उसके बाद से वह सारी फाइलें गायब हैं. यह बहुत गंभीर विषय हैं.
आकाश सक्सेना ने कहा कि आजम का दंगों से बहुत पुराना वास्ता रहा है. यह पूछे जाने पर कि आप बहुत बड़ा आरोप लगा रहे हैं, इस पर विधायक ने कहा कि रामपुर में आजम खान पर दर्ज मुकदमों की मैं पैरवी कर रहा हूं, अगर हम देखें तो यह सिर्फ 50% मुकदमे हैं, 50% से ज्यादा और भी मामले हैं, जिनमें आजम पूरी तरीके से शामिल हैं.
यह पूछे जाने पर यह किस मामले के मुकदमे हैं, इस पर आकाश सक्सेना ने बताया कि सरकार अगर कोई मुकदमा वापस लेती है तो उसकी गंभीरता देखी जाती है. सीधा सा नियम है कि हाईकोर्ट से अनुमति लेने के बाद, मुकदमों की गंभीरता देखे जाने के बाद इन्हें वापस लिया जाता है. ऐसे मुकदमे प्रदर्शन के मुकदमे होते हैं, धरने के होते हैं, लेकिन कोई ऐसा मुकदमा वापस नहीं जाता जिसमें सैकड़ों लोगों का कत्ल किया गया हो. आजम के दबाव में ही ये मुकदमे वापस लिए गए थे.
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