बलरामपुर: रजबंधा गांव में प्रसिद्ध रामचौरा पहाड़ी की ऊंची चोटी पर रामनवमी पर प्रभु श्री राम और मातासीता की विशेष पूजा की गई. रामचौरा समिति के लोगों और स्थानीय ग्रामीणों ने पहाड़ी पर ध्वज फहराया.
रामनवमी पर रामचौरा पहाड़ी पर विशेष पूजा: रामचौरा पहाड़ी की ऊंचाई लगभग 1000 फीट है. घने जंगल के बीच दुर्गम और कठिन रास्ता होने के बावजूद क्षेत्र के लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि पहाड़ी के सबसे ऊंची चोटी पर यहां मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. लेकिन यहां बरसों से प्रभु राम और माता सीता की मूर्ति विराजित हैं. रामनवमी पर रामचौरा समिति के लोग और स्थानीय ग्रामीण पहाड़ी पर पहुंचे. लगभग हजार मीटर पहाड़ी पर पैदल चलने के लिए ग्रामीण तड़के सुबह निकल गए. दुर्गम रास्तों से चढ़कर पहाड़ी की ऊंची चोटी पर पहुंचे. भगवा ध्वज फहराया, प्रभु राम और माता सीता की विशेष पूजा की गई. हवन के बाद आरती भी उतारी.
रामनवमी पर रामचौरा पहाड़ी पर विशेष पूजा की. घने जंगल में पहाड़ी के बीच 900 फीट की ऊंचाई पर आते हैं और पूजा करते हैं. रामनवमी और 15 अगस्त को विशेष पूजा की जाती है. - शैलेन्द्र रजक, सचिव रामचौरा समिति
रामचौरा पहाड़ी पर वनवास के दौरान आए थे भगवान राम और माता सीता: रामचौरा पहाड़ी को लेकर पूरे क्षेत्र में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वनवास काल के दौरान भ्रमण करते हुए भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण रामचौरा पहाड़ी पर आकर रूके थे. यहां दर्शन-पूजन करने पहुंचने वाले भक्तों का मानना है कि वह जो भी मनोकामना लेकर यहां आते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
रामचौरा पहाड़ी लगभग 1000 फीट ऊंची है. मान्यता है कि वनवास काल में प्रभु श्रीराम और माता सीता यहां रुके थे - लगन राम, स्थानीय श्रद्धालु
रामचौरा पहाड़ी पर रामनवमी का विशेष महत्व है. रामचौरा पहाड़ी चारों तरफ से घने जंगलों और पहाड़ों से घिरी हुई है. जहां आसपास जंगली जानवर भी घूमते नजर आ जाते हैं.पहाड़ी की ऊंची चोटी से क्षेत्र की जीवनदायिनी कन्हर नदी, धार्मिक स्थल तातापानी के साथ ही पड़ोसी राज्य झारखंड का नजारा भी देखने को मिलता है. पहाड़ी के नीचे ही रजबंधा गांव बसा हुआ है.