ETV Bharat / state

मनमोहन सिंह ने की थी झारखंड के आदिवासी हितों की रक्षा, पूर्व वित्तमंत्री ने साझा की उनसे जुड़ी यादें - RAMESHWAR ORAON MANMOHAN SINGH

डॉ मनमोहन सिंह के निधन से पूरे झारखंड में शोक की लहर है. उनके निधन पर रामेश्वर उरांव ने गहरा शोक व्यक्त किया है.

RAMESHWAR ORAON MANMOHAN SINGH
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 27, 2024, 3:37 PM IST

रांची: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. उनके निधन पर राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने गहरा शोक जताया है.

रामेश्वर उरांव और सुप्रियो भट्टाचार्या का बयान (ईटीवी भारत)

रामेश्वर उरांव ने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह ने इंदिरा गांधी के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के रूप में वर्ष 1971-72 में इंडियन इकोनॉमिक सर्विस में सेवा के दौरान दिल्ली में इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में गेस्ट फैकल्टी के रूप में दो कक्षाएं ली थी. उनसे जुड़ी यादों को साझा करते हुए राज्य के रामेश्वर उरांव ने कहा कि 2007 में जब डिलिमिटेशन कमीशन की रिपोर्ट लागू हो रही थी तब 2001 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की कम हुई. जनसंख्या के चलते ST रिज़र्व सीट घटने वाली थी. तब प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप से राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए लोकसभा में आरक्षित 05 सीटें और विधानसभा में 28 सीटें सुरक्षित रह पाई. अगर वह पहल नहीं करते तो राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व लोकसभा की सीट पांच से घटकर चार रह जाती और विधानसभा की सीट 28 से घटकर 22 रह जाती.

आदिवासी हितों को सुरक्षित रखने में डॉ मनमोहन सिंह का योगदान अहम-सुप्रियो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जब डिलिमिटेशन के चलते राज्य में आदिवासी रिजर्व सीट घटने वाली थी तो झारखंड के नेताओं का शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. तब उन्होंने पूरी बात समझकर झारखंड में डिमिलिटेशन नहीं होने दिया और आदिवासी आरक्षित सभी सीटें बची रह गयीं.

ये भी पढ़ें:

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुआ था सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन, जानिए क्या था ग्रीन हंट

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर झारखंड के नेताओं ने जताया शोक, कहा- देश के लिए बड़ी क्षति है

रांची: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. उनके निधन पर राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने गहरा शोक जताया है.

रामेश्वर उरांव और सुप्रियो भट्टाचार्या का बयान (ईटीवी भारत)

रामेश्वर उरांव ने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह ने इंदिरा गांधी के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के रूप में वर्ष 1971-72 में इंडियन इकोनॉमिक सर्विस में सेवा के दौरान दिल्ली में इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में गेस्ट फैकल्टी के रूप में दो कक्षाएं ली थी. उनसे जुड़ी यादों को साझा करते हुए राज्य के रामेश्वर उरांव ने कहा कि 2007 में जब डिलिमिटेशन कमीशन की रिपोर्ट लागू हो रही थी तब 2001 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की कम हुई. जनसंख्या के चलते ST रिज़र्व सीट घटने वाली थी. तब प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप से राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए लोकसभा में आरक्षित 05 सीटें और विधानसभा में 28 सीटें सुरक्षित रह पाई. अगर वह पहल नहीं करते तो राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व लोकसभा की सीट पांच से घटकर चार रह जाती और विधानसभा की सीट 28 से घटकर 22 रह जाती.

आदिवासी हितों को सुरक्षित रखने में डॉ मनमोहन सिंह का योगदान अहम-सुप्रियो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जब डिलिमिटेशन के चलते राज्य में आदिवासी रिजर्व सीट घटने वाली थी तो झारखंड के नेताओं का शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. तब उन्होंने पूरी बात समझकर झारखंड में डिमिलिटेशन नहीं होने दिया और आदिवासी आरक्षित सभी सीटें बची रह गयीं.

ये भी पढ़ें:

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुआ था सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन, जानिए क्या था ग्रीन हंट

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर झारखंड के नेताओं ने जताया शोक, कहा- देश के लिए बड़ी क्षति है

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.