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अफसरों ने रामचंद्रपुर के विकास को रामजी के भरोसे छोड़ा, बारिश में यहां जिंदगी बन जाती नरक - culvert absence in Balrampur

बलरामपुर रामानुजगंज जिले का रामचंद्रपुर विकासखंड घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है.यहां सैकड़ों छोटे-बड़े नदी नाले, यहां की पहाड़ियों से निकलते हैं. इन नदी नालों पर पुल पुलिया के अभाव में ग्रामीणों को बारिश के मौसम में आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

culvert absence in Balrampur
पुलिया न होने से आगावगम प्रभावित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 19, 2024, 5:04 PM IST

रामचंद्रपुर विकासखंड के लोधा गांव (ETV Bharat)

बलरामपुर रामानुजगंज: जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोधा के महाराजीन दामर पारा से मुख्य मार्ग के बीच दो नालों पर पुल पुलिया नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. खासकर बारिश के मौसम में लोगों को आने-जाने में दिक्कतें होती है. यहां करीब सौ घर हैं. यहां लगभग पांच सौ की आबादी को आवागमन में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बरसात के दिनों में कोई अचानक बिमार पड़ जाए या फिर किसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी हो जाए तो एंबुलेंस भी घर तक नहीं पहुंच सकती है. मरीज को किसी तरह खाट में लेटाकर ही मुख्य मार्ग तक पहुंचाया जाता है. यहां के स्कूली बच्चों को स्कूल जाने और वापस आने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

पुल न होने से ग्रामीण परेशान: रामचंद्रपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोधा के महाराजीन दामर पारा से मुख्य सड़क के बीच दो नालों पर पुल पुलिया नहीं है. इस कारण गांव के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस बारे में स्थानीय भगवान आयाम का कहना है, "महाराजीन दामर से मुख्य मार्ग के बीच दो नाला पड़ता है. यहां आने-जाने में बच्चों को ज्यादा दिक्कत होती है. बरसात में जब बाढ़ आ जाता है, तो बच्चों को स्कूल जाने और वापस आने में दिक्कत होता है. किसानों को भी दिक्कत होता है, क्योंकि शहर से खाद बीज लाने का यही रास्ता है, जिसके बीच में दो नाला पड़ जाता है. इस वजह से किसानों को भारी दिक्कत होता है. बहुत से ऐसे काम होते हैं, जिसके लिए हमें शहर में जाना पड़ता है. हम लोग बाहर पढ़ाई करते हैं. कॉलेज जाने में दिक्कत होता है. इसी रास्ते से नाला पार करते हुए जाना पड़ता है, जब बरसात होती है, तो सबसे ज्यादा दिक्कत होता है."

बारिश होता है, तो आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है. स्कूल जाने में हमें दिक्कत होती है. बाढ़ आ जाता है तो बाढ़ जब कम होता है, तब हम घर जाते हैं. कभी-कभार रात हो जाता है, तो उस पार ही रात को रह जाते हैं. -शिव नारायण नेटी, स्कूली छात्र

मरीजों को खाट पर लेटाकर पहुंचाते हैं सड़क तक: स्थानीय जनप्रतिनिधि और पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष मेहिलाल आयाम का कहना है, "हमारे गांव में लोधा मुख्य मार्ग से महाराजीन दामर में दो नदी पड़ता है. इन दोनों नदी में पुलिया की अति आवश्यकता है. पुलिया नहीं बनने से इस पारा के निवासियों को आवागमन में बरसात के मौसम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी कोई बिमार पड़ता है. बिमारी की स्थिति में उस व्यक्ति को बहुत दिक्कत होता है. यहां से खाट में लेटाकर मेन रोड तक ले जाना पड़ता है. तब जाकर उनको अस्पताल तक पहुंचा पाते हैं, ऐसा स्थिति होता है."

इस प्रकरण में संभवतः रिपोर्ट लिया गया है. जिला पंचायत में उपलब्ध है और उसका कोस्ट थोड़ा ज्यादा रहा था. उसको चेक करा रहे हैं. चेक कराने के बाद उसको विचार में रखेंगे कि लोगों को सुविधा बने भविष्य में. -रिमिजियस एक्का, कलेक्टर बलरामपुर

बता दें कि लोधा के महराजीन दामर पारा के ग्रामीणों ने पिछले साल बारिश में पत्थरों को भरकर वाहनों के आवागमन की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया था, लेकिन नाले में तेज बहाव के चलते पत्थर भी बह गया. अब यहां के ग्रामीण शासन-प्रशासन से पुल पुलिया निर्माण कराए जाने की गुहार लगा रहे हैं.

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रामचंद्रपुर विकासखंड के लोधा गांव (ETV Bharat)

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पुल न होने से ग्रामीण परेशान: रामचंद्रपुर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोधा के महाराजीन दामर पारा से मुख्य सड़क के बीच दो नालों पर पुल पुलिया नहीं है. इस कारण गांव के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस बारे में स्थानीय भगवान आयाम का कहना है, "महाराजीन दामर से मुख्य मार्ग के बीच दो नाला पड़ता है. यहां आने-जाने में बच्चों को ज्यादा दिक्कत होती है. बरसात में जब बाढ़ आ जाता है, तो बच्चों को स्कूल जाने और वापस आने में दिक्कत होता है. किसानों को भी दिक्कत होता है, क्योंकि शहर से खाद बीज लाने का यही रास्ता है, जिसके बीच में दो नाला पड़ जाता है. इस वजह से किसानों को भारी दिक्कत होता है. बहुत से ऐसे काम होते हैं, जिसके लिए हमें शहर में जाना पड़ता है. हम लोग बाहर पढ़ाई करते हैं. कॉलेज जाने में दिक्कत होता है. इसी रास्ते से नाला पार करते हुए जाना पड़ता है, जब बरसात होती है, तो सबसे ज्यादा दिक्कत होता है."

बारिश होता है, तो आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है. स्कूल जाने में हमें दिक्कत होती है. बाढ़ आ जाता है तो बाढ़ जब कम होता है, तब हम घर जाते हैं. कभी-कभार रात हो जाता है, तो उस पार ही रात को रह जाते हैं. -शिव नारायण नेटी, स्कूली छात्र

मरीजों को खाट पर लेटाकर पहुंचाते हैं सड़क तक: स्थानीय जनप्रतिनिधि और पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष मेहिलाल आयाम का कहना है, "हमारे गांव में लोधा मुख्य मार्ग से महाराजीन दामर में दो नदी पड़ता है. इन दोनों नदी में पुलिया की अति आवश्यकता है. पुलिया नहीं बनने से इस पारा के निवासियों को आवागमन में बरसात के मौसम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी कोई बिमार पड़ता है. बिमारी की स्थिति में उस व्यक्ति को बहुत दिक्कत होता है. यहां से खाट में लेटाकर मेन रोड तक ले जाना पड़ता है. तब जाकर उनको अस्पताल तक पहुंचा पाते हैं, ऐसा स्थिति होता है."

इस प्रकरण में संभवतः रिपोर्ट लिया गया है. जिला पंचायत में उपलब्ध है और उसका कोस्ट थोड़ा ज्यादा रहा था. उसको चेक करा रहे हैं. चेक कराने के बाद उसको विचार में रखेंगे कि लोगों को सुविधा बने भविष्य में. -रिमिजियस एक्का, कलेक्टर बलरामपुर

बता दें कि लोधा के महराजीन दामर पारा के ग्रामीणों ने पिछले साल बारिश में पत्थरों को भरकर वाहनों के आवागमन की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया था, लेकिन नाले में तेज बहाव के चलते पत्थर भी बह गया. अब यहां के ग्रामीण शासन-प्रशासन से पुल पुलिया निर्माण कराए जाने की गुहार लगा रहे हैं.

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