बलरामपुर : हमारे आस पास मौजूद नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है. यह साल भर आंशिक या पूर्णतः चारों तरफ से जल से घिरा हुआ होता है. भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से होकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है. इन वेट्लैंड्स को छोटे-बड़े तालाब, पोखर, झील और नदियों की शक्ल में देखा जा सकता है. पर्यावरण के नजरिए से वेटलैंड के कई लाभ हैं.
वेटलैंड्स का संरक्षण और संवर्धन जरूरी : वेटलैंड्स के संबंध में फॉरेस्ट विभाग के एसडीओ अनिल सिंह पैकरा ने बताया, "छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड्स प्राधिकरण के अंतर्गत हमने रामानुजगंज के वन वाटिका पार्क में यह कार्यक्रम आयोजित किया है. वेटलैंड्स का संरक्षण और संवर्धन कैसे किया जाए इसके लिए रामानुजगंज फॉरेस्ट रेंज में हमने जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया है."
"शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं जनप्रतिनिधि और आसपास के स्थानीय जन-समुदाय को आमंत्रित किया है. छत्तीसगढ़ में जितने भी छोटे-बड़े वेटलैंड्स हैं, उनका संरक्षण किए जाने का प्रयास किया जा रहा है." - अनिल सिंह पैकरा, एसडीओ फॉरेस्ट विभाग
क्यों महत्वपूर्ण है वेटलैंड ? : वेटलैंड्स को बायोलॉजिकल सुपर मार्केट भी कहा जाता है, क्योंकि ये विस्तृत भोज्य जाल का निर्माण करते हैं. जिस तरह से इंसान के शरीर में जल को शुद्ध करने का काम किडनी करता है. ठीक उसी प्रकार वेटलैंड का तंत्र जल चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषित अवयवों को निकाल देता है. कार्बन अवशोषण और भू-जल स्तर में वृद्धि जैसी महत्वपूर्ण भूमिका भी वेटलैंड्स निभाते हैं. इसलिए वेटलैंड्स पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देते हैं.