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हरिद्वार में धूमधाम से मनाई गई रामकृष्ण परमहंस की 189वीं जयंती, साधु संतों ने उनकी शिक्षा को बताया अनुकरणीय

Ramakrishna Paramhansas birth anniversary celebrated in Haridwarआध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस की आज 189वीं जयंती है. हरिद्वार के कनखल स्थित रामकृष्ण सेवा आश्रम में संतों ने जयंती को धूमधाम से मनाया. यहां पहले शोभा यात्रा निकाली गई. उसके बाद सेवाश्रम परिसर में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित हुआ. बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए साधु संतों ने आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि सभा के दौरान संतों ने रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक चेतना के बारे में चर्चा की.

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रामकृष्ण परमहंस जयंती
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 12, 2024, 1:50 PM IST

हरिद्वार: रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल में सिद्ध योगी रामकृष्ण परमहंस की आज 189वीं जयंती मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत आज सुबह मंगल आरती, ध्यान पूजा चंडी पाठ से हुई. इस अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन की अध्यक्षता महामंडलेश्वर भगवत स्वरूप महाराज ने की. इस अवसर पर कई महामंडलेश्वर, महंत और साधु संत उपस्थित थे.

रामकृष्ण परमहंस की जयंती: रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल के सचिव दया स्वामी दयामूर्त्यानंद महाराज ने सभी संतों का माल्यार्पण किया कर स्वागत किया. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अनेक सिद्धियां प्राप्त कर मानव सेवा के लिए कार्य किया. उनके विचार और उनका जीवन अनुकरणीय है. इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन मठ और मंदिर को फूलों से सजाया गया.

आध्यात्मिक गुरु थे रामकृष्ण परमहंस: इस दौरान साधु संतों ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे. मां काली के प्रति इनकी गहरी श्रद्धा और आस्था थी. लेकिन इसी के साथ इन्होंने धर्मों की एकता पर भी जोर दिया. ईश्वर के दर्शन के लिए इन्होंने कम उम्र से ही कठोर साधना और भक्ति शुरू कर दी थी. कहा जाता है कि उन्हें मां काली के साक्षात दर्शन हुए थे.

7 साल की उम्र में हुआ था आध्यात्मिक अनुभव: महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने बताया कि रामकृष्ण परमहंस जब महज 6-7 वर्ष के थे, तभी उन्हें आध्यात्मिक अनुभव हुआ था. एक दिन सुबह के समय वे खेत में धान की संकरी पगडंडियों पर चावल के मुरमुरे खाते हुए टहल रहे थे. उस वक्त मौसम कुछ ऐसा था कि मानो अब घनघोर वर्षा होगी. रामकृष्ण परमहंस ने देखा कि सारस पक्षी का एक झुंड बादलों की चेतावनी के खिलाफ भी उड़ान भर रहा था और चारों ओर आसमान में काली घटा छा गई.

रामकृष्ण परमहंस ने धर्मों की एकता पर दिया था जोर : रामकृष्ण परमहंस की सारी चेतना उस प्राकृतिक मनमोहक दृश्य में समा गई और उन्हें खुद की कोई सुधबुध भी न रही और वे अचेत होकर गिर पड़े. बताया जाता है कि यही रामकृष्ण परमहंस का पहला आध्यात्मिक अनुभव था, जिससे उनके आगे की आध्यात्मिक दिशा तय हुई. इस तरह से कम उम्र में ही रामकृष्ण परमहंस का झुकाव अध्यात्म और धार्मिकता की ओर हुआ.
ये भी पढ़ें: 12th March Panchang : आज है फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया, फुलेरा दूज व रामकृष्ण जयंती

हरिद्वार: रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल में सिद्ध योगी रामकृष्ण परमहंस की आज 189वीं जयंती मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत आज सुबह मंगल आरती, ध्यान पूजा चंडी पाठ से हुई. इस अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन की अध्यक्षता महामंडलेश्वर भगवत स्वरूप महाराज ने की. इस अवसर पर कई महामंडलेश्वर, महंत और साधु संत उपस्थित थे.

रामकृष्ण परमहंस की जयंती: रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल के सचिव दया स्वामी दयामूर्त्यानंद महाराज ने सभी संतों का माल्यार्पण किया कर स्वागत किया. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अनेक सिद्धियां प्राप्त कर मानव सेवा के लिए कार्य किया. उनके विचार और उनका जीवन अनुकरणीय है. इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन मठ और मंदिर को फूलों से सजाया गया.

आध्यात्मिक गुरु थे रामकृष्ण परमहंस: इस दौरान साधु संतों ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे. मां काली के प्रति इनकी गहरी श्रद्धा और आस्था थी. लेकिन इसी के साथ इन्होंने धर्मों की एकता पर भी जोर दिया. ईश्वर के दर्शन के लिए इन्होंने कम उम्र से ही कठोर साधना और भक्ति शुरू कर दी थी. कहा जाता है कि उन्हें मां काली के साक्षात दर्शन हुए थे.

7 साल की उम्र में हुआ था आध्यात्मिक अनुभव: महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने बताया कि रामकृष्ण परमहंस जब महज 6-7 वर्ष के थे, तभी उन्हें आध्यात्मिक अनुभव हुआ था. एक दिन सुबह के समय वे खेत में धान की संकरी पगडंडियों पर चावल के मुरमुरे खाते हुए टहल रहे थे. उस वक्त मौसम कुछ ऐसा था कि मानो अब घनघोर वर्षा होगी. रामकृष्ण परमहंस ने देखा कि सारस पक्षी का एक झुंड बादलों की चेतावनी के खिलाफ भी उड़ान भर रहा था और चारों ओर आसमान में काली घटा छा गई.

रामकृष्ण परमहंस ने धर्मों की एकता पर दिया था जोर : रामकृष्ण परमहंस की सारी चेतना उस प्राकृतिक मनमोहक दृश्य में समा गई और उन्हें खुद की कोई सुधबुध भी न रही और वे अचेत होकर गिर पड़े. बताया जाता है कि यही रामकृष्ण परमहंस का पहला आध्यात्मिक अनुभव था, जिससे उनके आगे की आध्यात्मिक दिशा तय हुई. इस तरह से कम उम्र में ही रामकृष्ण परमहंस का झुकाव अध्यात्म और धार्मिकता की ओर हुआ.
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