अलवर. प्रदेश में ऐसे बहुत ही कम जिले है, जिनमें रक्षाबंधन के पर्व पर आसमान पतंग से अटा रहता है. अलवर जिला भी उन्हें चुनिंदा जिलों में से एक है जहां रक्षाबंधन के पर्व पर बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पतंग उड़ाई जाती है. इसके लिए पतंग का बाजार पहले से ही सजने लगता है. रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर देर रात तक बाजार में पतंगबाजी के दीवानों की अच्छी चहल पहल दिखाई पड़ती है. हालांकि इस बार मानसून में हो रही बरसात अच्छी होने के चलते पतंग बाजी के दीवानों के उल्लास पर बारिश की छींटे पड़ती दिखाई दे सकती हैं. इसी के चलते रक्षाबंधन से कुछ दिनों पहले तक पतंग के कारोबार में नरमी देखी जा रही थी. लेकिन रक्षाबंधन से एक दिन पहले देर रात तक शहरवासी बड़ी संख्या में पतंग खरीदने के लिए पहुंचे.
मालाखेड़ा बाजार में पतंग की दुकान लगाने वाले व्यापारी राहुल ने बताया कि राखी से एक दिन पहले पूरी रात बाजार खुलता है. सुबह से ही लोग अपने घरों की छत पर चढ़कर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं. इसलिए एक दिन पहले ही लोग बाजार पहुंचकर पतंग व मांझा खरीदते हैं. रविवार को भी बड़ी संख्या में लोगों ने पतंग की खरीदारी की, जिससे कई दुकानों का स्टॉक खत्म सा हो गया है. उन्होंने कहा कि इस बार बाजार में अच्छा काम रहा, जिससे लोगों को अच्छी आय भी हुई.
व्यापारी राहुल ने बताया कि बाजार में इस बार पतंगबाजों द्वारा बड़ी पतंग की डिमांड है. साथ ही बच्चों के लिए पोकेमोन, डोरेमोन, मोदी जैसी पतंग की खूब डिमांड की गई. उन्होंने बताया कि अलग-अलग दुकानों पर अलग-अलग वैरायटी हैं जिसे जो पसंद आ रही है वह उस दुकान से पतंग खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक की पतंग उपलब्ध है. साथ ही मांझे के बारे में उन्होंने बताया कि डेढ़ सौ रुपए से लेकर 1400 रुपए तक के मांझे भी बाजार में उपलब्ध है, जिन्हें लोग खरीद रहे हैं.
पहले उड़ती थी 4 महीने, अब महज 4 घंटे रहता है क्रेज : पतंग बाजार में एक अन्य व्यापारी ने बताया कि पहले व अब के जमाने में कई बदलाव आए हैं. जहां पहले पतंगबाजों द्वारा 4 महीने पहले से ही पतंगबाजी की जाती थी लेकिन अब यह पतंग बाजी मात्र चार से पांच घंटे तक सीमित होकर रह गई. पहले लोग पूरे परिवार के साथ घर की छत पर चढ़कर मौज मस्ती करते हुए पतंग बाजी का आनंद लेते थे लेकिन अब सुबह वह शाम की पतंगबाजी ही रह गई है.
सुनाई देगा वो कटा, वो मारा का शोर अलवर शहर में पतंगबाजो ने अपनी मन पसंदीदा पतंग व मांझे की खरीदारी की है. इसके बाद रक्षाबंधन के दिन आसमान में पतंग एक दूसरे से पेंच लड़ाते हुए नजर आएंगे और वो काटा वो मारा का शोर सुनाई देगा.