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अयोध्या में रामलला को दोपहर 1.30 पर बांधी जाएगी राखी, गाजे-बाजे के साथ श्रृंगी ऋषि आश्रम से लाई गईं - Rakshabandhan in Ram temple

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 9:02 PM IST

प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला रक्षाबंधन रामलला और सभी भाइयों के लिए अति विशिष्ट होने जा रहा है. सावन शुक्ल पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 30 मिनट पर सभी विग्रहों को बड़ी बहन शांता की ओर से जरी और मोतियों से बनी राखी बांधी जाएगी.

अयोध्या में रामलला को दोपहर 1.30 पर बांधी जाएगी राखी
अयोध्या में रामलला को दोपहर 1.30 पर बांधी जाएगी राखी (Photo Credit; ETV Bharat)

अयोध्या: प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला रक्षाबंधन रामलला और सभी भाइयों के लिए अति विशिष्ट होने जा रहा है. सावन शुक्ल पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 30 मिनट पर सभी विग्रहों को बड़ी बहन शांता की ओर से जरी और मोतियों से बनी राखी बांधी जाएगी. श्रृंगी ऋषि आश्रम से भगवान रामलला, भरत, लक्षमण और शत्रुघ्न की कलाई पर शोभायमान किए जाने के लिए राखी, फल और मिष्ठान का उपहार बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा के माध्यम से अयोध्या पहुंचा. फिर श्री श्रृंग ऋषि बाबा महोत्सव सेवा समिति ने विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद रक्षा सूत्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य व निर्मोही अखाड़ा के महन्त दीनेन्द्र दास की उपस्थिति में मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को समर्पित कर दिया.

अयोध्या में रामलला को दोपहर 1.30 पर बांधी जाएगी राखी (Video Credit; ETV Bharat)

समर्पित राखियां बेहद खास हैं. इसे श्रृंगी ऋषि आश्रम की दो दर्जन महिलाओं ने तैयार किया है. जो अनादि काल से भगवान राम सहित चारों भाइयों की बड़ी बहन शांता निभाती चली आ रही हैं. श्रृंगी ऋषि आश्रम में राखी तैयार करने वालीं महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि वह इसी पल की प्रतीक्षा कर रही थीं कि रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हों तो उन्हें रक्षा सूत्र बांधा जाए. इसी भक्ति भाव और आस्था से अभिभूत हो जरी और मोतियों से गुथकर रक्षासूत्र तैयार किया, जिसे पुजारी वेद मंत्र उच्चारण के साथ रामलला सहित चारों भाइयों की कलाई पर बांधेंगे.

पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि यह पुरानी परम्परा है. आज भी इसे श्रृंगी ऋषि आश्रम और उस गांव से जुड़े लोग निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं. रामलला के लिए सुन्दर राखी बनाकर लाई गई है, जिसे रामलला को बांधा जाएगा.

श्रृंगी ऋषि आश्रम के महंत रामप्यारे दास ने कहा कि महिलाओं ने इन राखियों को तैयार किया है. सभी लोगों की बहुत ही इच्छा थी कि इस राखी के उत्सव को मनाया जाए. इसके लिए सबसे पहले इन राखियों का श्रृंगी ऋषि आश्रम पर विधिविधान पूर्वक पूजन-अर्चन किया गया. धूमधाम से अयोध्या में पुजारी को समर्पित किया गया है.

यह भी पढ़ें : अयोध्या के राम मंदिर में बुजुर्ग और महिलाएं बिना लाइन के कर सकेंगी दर्शन; ट्रस्ट ने बनाई योजना - Ayodhya Ram Mandir

अयोध्या: प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला रक्षाबंधन रामलला और सभी भाइयों के लिए अति विशिष्ट होने जा रहा है. सावन शुक्ल पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 30 मिनट पर सभी विग्रहों को बड़ी बहन शांता की ओर से जरी और मोतियों से बनी राखी बांधी जाएगी. श्रृंगी ऋषि आश्रम से भगवान रामलला, भरत, लक्षमण और शत्रुघ्न की कलाई पर शोभायमान किए जाने के लिए राखी, फल और मिष्ठान का उपहार बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा के माध्यम से अयोध्या पहुंचा. फिर श्री श्रृंग ऋषि बाबा महोत्सव सेवा समिति ने विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद रक्षा सूत्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य व निर्मोही अखाड़ा के महन्त दीनेन्द्र दास की उपस्थिति में मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को समर्पित कर दिया.

अयोध्या में रामलला को दोपहर 1.30 पर बांधी जाएगी राखी (Video Credit; ETV Bharat)

समर्पित राखियां बेहद खास हैं. इसे श्रृंगी ऋषि आश्रम की दो दर्जन महिलाओं ने तैयार किया है. जो अनादि काल से भगवान राम सहित चारों भाइयों की बड़ी बहन शांता निभाती चली आ रही हैं. श्रृंगी ऋषि आश्रम में राखी तैयार करने वालीं महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि वह इसी पल की प्रतीक्षा कर रही थीं कि रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हों तो उन्हें रक्षा सूत्र बांधा जाए. इसी भक्ति भाव और आस्था से अभिभूत हो जरी और मोतियों से गुथकर रक्षासूत्र तैयार किया, जिसे पुजारी वेद मंत्र उच्चारण के साथ रामलला सहित चारों भाइयों की कलाई पर बांधेंगे.

पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि यह पुरानी परम्परा है. आज भी इसे श्रृंगी ऋषि आश्रम और उस गांव से जुड़े लोग निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं. रामलला के लिए सुन्दर राखी बनाकर लाई गई है, जिसे रामलला को बांधा जाएगा.

श्रृंगी ऋषि आश्रम के महंत रामप्यारे दास ने कहा कि महिलाओं ने इन राखियों को तैयार किया है. सभी लोगों की बहुत ही इच्छा थी कि इस राखी के उत्सव को मनाया जाए. इसके लिए सबसे पहले इन राखियों का श्रृंगी ऋषि आश्रम पर विधिविधान पूर्वक पूजन-अर्चन किया गया. धूमधाम से अयोध्या में पुजारी को समर्पित किया गया है.

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