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राज्यसभा की चेयर रेस, सिंधिया की जगह बीजेपी में किसके नाम पर भरोसे की मुहर - Rajya Sabha Election 2024

मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा जाने के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है. यहां एक सीट के लिए एक अनार सौ बीमार वाले हालात हैं. राज्यसभा चुनाव के लिए 14 अगस्त को अधिसूचना जारी होगी और नामांकन दाखिले की आखिरी तारीख 21 अगस्त है इसके बाद 3 सितंबर को चुनाव होंगे.

RAJYA SABHA ELECTION 2024
राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश में एक सीट खाली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 10, 2024, 5:42 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में फिर चुनाव की घंटी बजी है. इस बार राज्यसभा के लिए चुनाव है, लिहाजा बीजेपी संगठन के लिए ये चुनाव बाकी चुनाव से बड़ी चुनौती है. चुनौती इसलिए कि सांसद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक सीट खाली हुई है और इस एक सीट के लिए एक अनार सौ बीमार के हालात हैं. निगाहें इस पर हैं कि इस बार एमपी में बीजेपी किसे राज्यसभा भेजकर चौंकाती है. चुनाव आयोग के घोषित राज्यसभा चुनाव के कार्यक्रम के मुताबिक अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है. चुनाव की तारीख 3 सितंबर है और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे.

एमपी में राज्यसभा की एक सीट,कितनी बड़ी कतार

एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा जाने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट का इतिहास भी रोचक रहा है. असल में ये वही सीट है जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी से राज्यसभा में भेजने के साथ, एमपी बीजेपी में उसके राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ी टूट और बदलाव हुआ था. अब ये सीट खाली हुई है तो कई नेताओं की इस सीट पर निगाह है. कुछ वो जो पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नवाजे नहीं गए तो कुछ वो दिग्गज जो विधानसभा चुनाव हारकर बैठे हैं. इनमें सबसे ज्यादा जिन नामों की चर्चा है उनमें पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बाद बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया का नाम है.

'फिर चौंका सकती है पार्टी'

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "बीजेपी ने हाल में जिन नेताओं को राज्यसभा पहुंचाया वो नाम चौंकाने वाले थे लेकिन दूसरी तरफ पार्टी के कैडर के दायरे में सोचे तो उन्हें मौका मिला जो लंबे समय तक पार्टी का काम करते रहे और जिन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि वे मौका पा जाएंगे. इसलिए इसमें दो राय नहीं कि पार्टी इस बार भी ऐसे नामों को लेकर चौंका सकती है लेकिन चर्चा यही है इस बार पार्टी अपने कोर वोटर वाले वर्ग से किसी नेता को राज्यसभा भेज सकती है. लंबे समय तक बीजेपी बामन और बनियों की पार्टी कही जाती थी."

ये भी पढ़ें:

राज्यसभा की 12 सीटों के लिए चुनाव का ऐलान, इस दिन होगी वोटिंग

हैदराबादी माधवी लता दक्षिण नहीं सेंट्रल एक्सप्रेस से जाएंगी संसद, इस राज्य से राज्यसभा सीट पक्की

जिन्होंने कल्पना भी नहीं की थी वो पहुंचे संसद

माया नरोलिया से लेकर सुमित्रा वाल्मीकी तक और फिर बंशीलाल गुर्जर से लेकर उमेश नाथ महाराज तक. शुरुआत के तीन नाम तो बीजेपी के वो नेता हैं जो बड़ी खामोशी से अपना काम करते रहे हैं. दक्षिण भारत से एल मुरुगन को एमपी के रास्ते राज्यसभा भेजा गया है तो इन नामों के बाद ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि जो दौड़ में दिखाई दे रहे हैं, विजेता के तौर पर उनके नाम पर मुहर होगी.

भोपाल: मध्य प्रदेश में फिर चुनाव की घंटी बजी है. इस बार राज्यसभा के लिए चुनाव है, लिहाजा बीजेपी संगठन के लिए ये चुनाव बाकी चुनाव से बड़ी चुनौती है. चुनौती इसलिए कि सांसद और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक सीट खाली हुई है और इस एक सीट के लिए एक अनार सौ बीमार के हालात हैं. निगाहें इस पर हैं कि इस बार एमपी में बीजेपी किसे राज्यसभा भेजकर चौंकाती है. चुनाव आयोग के घोषित राज्यसभा चुनाव के कार्यक्रम के मुताबिक अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है. चुनाव की तारीख 3 सितंबर है और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे.

एमपी में राज्यसभा की एक सीट,कितनी बड़ी कतार

एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा जाने के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट का इतिहास भी रोचक रहा है. असल में ये वही सीट है जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी से राज्यसभा में भेजने के साथ, एमपी बीजेपी में उसके राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ी टूट और बदलाव हुआ था. अब ये सीट खाली हुई है तो कई नेताओं की इस सीट पर निगाह है. कुछ वो जो पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नवाजे नहीं गए तो कुछ वो दिग्गज जो विधानसभा चुनाव हारकर बैठे हैं. इनमें सबसे ज्यादा जिन नामों की चर्चा है उनमें पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बाद बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया का नाम है.

'फिर चौंका सकती है पार्टी'

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "बीजेपी ने हाल में जिन नेताओं को राज्यसभा पहुंचाया वो नाम चौंकाने वाले थे लेकिन दूसरी तरफ पार्टी के कैडर के दायरे में सोचे तो उन्हें मौका मिला जो लंबे समय तक पार्टी का काम करते रहे और जिन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि वे मौका पा जाएंगे. इसलिए इसमें दो राय नहीं कि पार्टी इस बार भी ऐसे नामों को लेकर चौंका सकती है लेकिन चर्चा यही है इस बार पार्टी अपने कोर वोटर वाले वर्ग से किसी नेता को राज्यसभा भेज सकती है. लंबे समय तक बीजेपी बामन और बनियों की पार्टी कही जाती थी."

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माया नरोलिया से लेकर सुमित्रा वाल्मीकी तक और फिर बंशीलाल गुर्जर से लेकर उमेश नाथ महाराज तक. शुरुआत के तीन नाम तो बीजेपी के वो नेता हैं जो बड़ी खामोशी से अपना काम करते रहे हैं. दक्षिण भारत से एल मुरुगन को एमपी के रास्ते राज्यसभा भेजा गया है तो इन नामों के बाद ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि जो दौड़ में दिखाई दे रहे हैं, विजेता के तौर पर उनके नाम पर मुहर होगी.

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