राजनांदगांव: राजनांदगांव लोकसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को एक बार फिर मौका दिया और उन्हें चुनाव में खड़ा किया. इधर कांग्रेस ने भी राजनांदगांव सीट पर पूर्व सीएम और पाटन विधायक भूपेश बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है. बीजेपी के लिए राजनांदगांव सीट सबसे सेफ सीट मानी जाती है लेकिन इस बार कांग्रेस कैंडिडेट भूपेश बघेल के इस सीट से चुनाव लड़ने से समीकरण बदल सकते हैं.
कौन है संतोष पांडेय: संतोष पांडे का जन्म 31 दिसंबर 1967 को कबीरधाम जिले के सहसपुर में हुआ. उनके पिता का नाम शिव प्रसाद पांडेय और माता का नाम सोना देवी पांडेय है. सांसद संतोष पांडेय की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी पूरी तरीके से भाजपा से जुड़ी रही. पिता शिव प्रसाद पांडेय सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार मंडल अध्यक्ष रहे. माता सोना देवी पांडेय अविभाजित मध्य प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य रही. इनका परिवर संघ से जुड़ा रहा.
सांसद संतोष पांडेय कृषक परिवार से आते हैं. एलएलबी की पढ़ाई की है. परिवार पर संघ का प्रभाव होने के कारण वे भी संघ से जुड़े. भाजपा के मंडल अध्यक्ष से लेकर राजनांदगांव जिला के युवा मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे. भाजपा में दो बार प्रदेश महामंत्री के पद पर रहे. कृषि उपज मंडी कवर्धा के अध्यक्ष भी रहे. भाजपा शासन काल में खेल एवं युवा कल्याण आयोग के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. साल 2003 में विधानसभा परिसीमन होने से पहले वीरेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव भी लड़ा. युवा मोर्चा के प्रदेश प्रभारी रहे और दोनों विकास यात्रा के रथ प्रभारी रहे. इसके साथ ही प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रांत के सह संयोजक रहे. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से 17वीं लोकसभा में सांसद बने. वर्तमान में वह राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में राजनांदगांव लोकसभा से भाजपा के प्रत्याशी है.
कौन है भूपेश बघेल: दुर्ग जिले के पाटन से विधायक और छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री बने. 23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले में नंदकुमार बघेल और बिंदेश्वरी बघेल के घर किसान परिवार में पैदा हुए. 80 के दशक में युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में राजनीति की शुरुआत की. महासचिव और प्रदेश कांग्रेस के समन्यवय भी बने. 1993 में पहली बार संयुक्त मध्यप्रदेश में पाटन विधानसभा के लिए चुने गए. साल 1990 से 1994 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण के अध्यक्ष रहे. साल 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद पाटन से विधायक चुने गए. साल 2003 में फिर से विधायक बने लेकिन साल 2008 का चुनाव हार गए. साल 2013 में फिर से पाटन से जीत दर्ज की. साल 2018 में 15 साल के भाजपा शासन काल को खत्म करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने.
8 विधानसभा में पांच पर कांग्रेस 3 पर भाजपा के विधायक: राजनांदगांव लोकसभा सीट प्रमुख वीआईपी सीटों में से एक है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह यहां से विधायक हैं. राजनांदगांव लोकसभा सीट में 8 विधानसभा आते हैं. जिसमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़, खुज्जी, डोंगरगांव, मोहला मानपुर खैरागढ़, कवर्धा, पंडरिया शामिल है. इन 8 लोकसभा सीटों में 5 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं 3 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. इस लिहाज से देखे तो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की बढ़त है.
2009 से राजनांदगांव लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा: राजनांदगांव लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ गठन के बाद से लगातार बीजेपी के कब्जे में ही रही. लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा के मधुसूदन यादव ने 54.7 प्रतिशत वोटों से जीत हासिल की और सासंद बने. यादव को 437721 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के देवव्रत सिंह को 318647 वोट मिले और हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव 2019 में
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर किसके किसके बीच चुनाव: साल 2014 लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव विधायक रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह यहां से चुनाव लड़े और सांसद बने. अभिषेक सिंह को 643473 वोट मिले. अभिषेक सिंह को 56.15 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर वर्मा को इस चुनाव में 407562 वोट मिले. इनका वोट प्रतिशत 35.56 प्रतिशत रहा. लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने संतोष पांडे को मैदान में उतारा. कांग्रेस ने भोलाराम साहू को उम्मीदवार बनाया. संतोष पांडे को 662387 वोट मिले जबकि कांग्रेस के भोलाराम साहू को 550421 वोट मिले. 8.69 प्रतिशत वोटों के अंतर से भाजपा को जीत मिली.
लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे: आठ विधानसभा वाले राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में चार जिले राजनांदगांव, कवर्धा, खैरागढ़ छुईखदान गंडई,नवगठित मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिला शामिल हैं. जहां मूलभूत सुविधाएं ही प्रमुख मुद्दे हैं. बेरोजगारों के लिए रोजगार सहित कोई बड़ा उद्योग राजनांदगांव जिले में नहीं है. बड़ा उद्योग नहीं होने के कारण युवाओं को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है. नवगठित दोनों जिले का विकास भी किया जाना है. वनांचल जिला होने के कारण वनांचल क्षेत्र में भी विकास होने हैं. यहां के युवा लगातार बड़ा उद्योग की मांग करते आए हैं, लेकिन अब तक कोई उद्योग खड़ा नहीं किया गया है.
राजनीतिक समीकरण: राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र छत्तीसगढ़ में एक प्रमुख लोकसभा क्षेत्र में से एक है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह यहां से विधायक है. इसके साथ ही कई पूर्व मंत्री और कांग्रेस और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनांदगांव जिले से आते हैं. इस लिहाजा से यह जिला खास है. दोनों ही प्रमुख दलों ने एक बड़ा दाव यहां खेल है. भाजपा ने संतोष पांडे पर दाव लगाया है तो कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है. बीते तीन चुनावों में भाजपा ही यहां से संसद में जाती रही, अब देखना होगा कि हाई प्रोफाइल सीट पर कांग्रेस कैसे वोटर्स को लुभाने में कामयाब होती है.