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राजगढ़ में उर्स का आगाज, बेअसर रही कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की नसीहत, सनातनी बोले-व्यापार अच्छा चलता है

Rajgarh Urs Fair: राजगढ़ में हजरत बाबा बदख्शांनी की दरगाह परिसर में उर्स मेले का आयोजन किया जा रहा है. यहां लगने वाले मेले में व्यापारी और श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. 15 मार्च को मेले का समापन होगा. बता दें कि उर्स मेले को लेकर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने हिंदू लोगों को नसीहत देते हुए कहा था कि सच्चे सनातनी उर्स में न जाएं, लेकिन उनकी नसीहत बेअसर रही.

Urs begins in Rajgarh
राजगढ़ में उर्स का आगाज
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 11, 2024, 4:01 PM IST

Updated : Mar 11, 2024, 4:21 PM IST

राजगढ़ में उर्स का आगाज

राजगढ़। राजस्थान के अजमेर में लगने वाले पहले नंबर के उर्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा उर्स राजगढ़ शहर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हजरत बाबा बदख्शांनी की दरगाह परिसर में प्रतिवर्ष दस मार्च से आयोजित किया जाता है. जिसकी 10 मार्च से गुस्ल के साथ शुरुवात हो चुकी है. जिसमें लगभग 5 दिनों तक कव्वाली की महफिल चलती रहेगी और रंग की महफिल के साथ इसका समापन होगा.

हर धर्म के लोग पहुंचते हैं उर्स में

उर्स परिसर में लगने वाला मेला लगभग 15 दिनों तक चलता रहेगा, जिसमें सभी धर्म के व्यापारी अच्छा खासा व्यापार कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है. क्योंकि उर्स व मेले के दौरान देश के अलग अलग हिस्से से जायरीन (श्रद्धालु) इसमें शिरकत करते हैं. चाहे वह किसी भी धर्म या मजहब के ही हों. किसी के लिए कोई पाबंदी नही है. आयोजन के लेकर देखिए ईटीवी भारत की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

कथवाचक देवकीनंदन ने सनातनियों को किया था उर्स में जाने से मना

बता दें कि उर्स के आयोजन को लेकर दिसंबर 2023 में राजगढ़ जिले के छापीहेड़ा में कथा सुनाने आए प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने अपनी कथा के दौरान कड़े शब्दों में सनातन धर्म का अनुसरण करने वाले सनातनियों से कहा था कि, ''यहां एक कोई त्योहार है जो विधर्मीयों का है, सनातनियों का नहीं है. ध्यान से सुन लो हमारा मैसेज, अगर तुम सच्चे सनातनी हो तो अपने धर्माचार्यों के वचनों का पालन करो, नहीं तो माना जाएगा तुम असली नहीं नकली सनातनी हो. आप ही के राजगढ़ में कोई उर्स उत्सव मनाया जाता है, मैंने ये सुना है उन लोगों से ज्यादा हमारे धर्म के लोग मेले में जाते हैं. अगर तुम्हे कृष्ण से और राम से प्रेम है तो ऐसी किसी भी जगह पर जाना बंद कर दो जहां हमारे देवी देवताओं की पूजा न होती हो.''

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गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है उर्स मेला

गौरतलब है कि राजगढ़ शहर में होने वाले उर्स का आयोजन हमेशा गंगा जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल रहा है. लगभग 30 साल पहले तक इसकी शुरुवात राजगढ़ के पारायण चौक में स्थित मंदिर से दरगाह परिसर तक लाई गई चादर पेश करने के बाद हुआ करती थी. उसी प्रकार गुड़ी पड़वा के एक दिन पूर्व मजार से मंदिर तक हनुमान जी का झंडा ले जाया जाता था. जिसमें सभी धर्मों के लोग बढ़ी संख्या में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे. लेकिन कई सालों से दोनों ही परंपराएं बंद हैं, लेकिन उर्स में लगने वाले मेले में व्यापारी अपना व्यापार करने के लिए पिछले वर्षों की तरह से इस वर्ष भी पहुंच रहे हैं.

व्यापारियों ने माना सालाना बोनस

ईटीवी भारत ने सालान उर्स में आए हुए व्यापारियों से बात की तो, उन्होंने बताया कि ''उर्स उनके लिए सलाना बोनस की तरह है और वे कई वर्षो से उर्स में अपनी दुकान लगाकर मुनाफा कमा रहे हैं. यहां उनके साथ कोई भेदभाव नही होता बल्कि उनकी अच्छी कमाई भी होती है.''

राजगढ़ में उर्स का आगाज

राजगढ़। राजस्थान के अजमेर में लगने वाले पहले नंबर के उर्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा उर्स राजगढ़ शहर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हजरत बाबा बदख्शांनी की दरगाह परिसर में प्रतिवर्ष दस मार्च से आयोजित किया जाता है. जिसकी 10 मार्च से गुस्ल के साथ शुरुवात हो चुकी है. जिसमें लगभग 5 दिनों तक कव्वाली की महफिल चलती रहेगी और रंग की महफिल के साथ इसका समापन होगा.

हर धर्म के लोग पहुंचते हैं उर्स में

उर्स परिसर में लगने वाला मेला लगभग 15 दिनों तक चलता रहेगा, जिसमें सभी धर्म के व्यापारी अच्छा खासा व्यापार कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है. क्योंकि उर्स व मेले के दौरान देश के अलग अलग हिस्से से जायरीन (श्रद्धालु) इसमें शिरकत करते हैं. चाहे वह किसी भी धर्म या मजहब के ही हों. किसी के लिए कोई पाबंदी नही है. आयोजन के लेकर देखिए ईटीवी भारत की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.

कथवाचक देवकीनंदन ने सनातनियों को किया था उर्स में जाने से मना

बता दें कि उर्स के आयोजन को लेकर दिसंबर 2023 में राजगढ़ जिले के छापीहेड़ा में कथा सुनाने आए प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने अपनी कथा के दौरान कड़े शब्दों में सनातन धर्म का अनुसरण करने वाले सनातनियों से कहा था कि, ''यहां एक कोई त्योहार है जो विधर्मीयों का है, सनातनियों का नहीं है. ध्यान से सुन लो हमारा मैसेज, अगर तुम सच्चे सनातनी हो तो अपने धर्माचार्यों के वचनों का पालन करो, नहीं तो माना जाएगा तुम असली नहीं नकली सनातनी हो. आप ही के राजगढ़ में कोई उर्स उत्सव मनाया जाता है, मैंने ये सुना है उन लोगों से ज्यादा हमारे धर्म के लोग मेले में जाते हैं. अगर तुम्हे कृष्ण से और राम से प्रेम है तो ऐसी किसी भी जगह पर जाना बंद कर दो जहां हमारे देवी देवताओं की पूजा न होती हो.''

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गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है उर्स मेला

गौरतलब है कि राजगढ़ शहर में होने वाले उर्स का आयोजन हमेशा गंगा जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल रहा है. लगभग 30 साल पहले तक इसकी शुरुवात राजगढ़ के पारायण चौक में स्थित मंदिर से दरगाह परिसर तक लाई गई चादर पेश करने के बाद हुआ करती थी. उसी प्रकार गुड़ी पड़वा के एक दिन पूर्व मजार से मंदिर तक हनुमान जी का झंडा ले जाया जाता था. जिसमें सभी धर्मों के लोग बढ़ी संख्या में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे. लेकिन कई सालों से दोनों ही परंपराएं बंद हैं, लेकिन उर्स में लगने वाले मेले में व्यापारी अपना व्यापार करने के लिए पिछले वर्षों की तरह से इस वर्ष भी पहुंच रहे हैं.

व्यापारियों ने माना सालाना बोनस

ईटीवी भारत ने सालान उर्स में आए हुए व्यापारियों से बात की तो, उन्होंने बताया कि ''उर्स उनके लिए सलाना बोनस की तरह है और वे कई वर्षो से उर्स में अपनी दुकान लगाकर मुनाफा कमा रहे हैं. यहां उनके साथ कोई भेदभाव नही होता बल्कि उनकी अच्छी कमाई भी होती है.''

Last Updated : Mar 11, 2024, 4:21 PM IST
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