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राजीव बिंदल ने विक्रमादित्य के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमा लिया वापस, कोर्ट के बाहर हुआ समझौता - Bindal withdraws defamation case

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 10, 2024, 7:57 PM IST

Rajeev Bindal withdraws defamation case filed against Vikramaditya Singh: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि केस में दायर याचिका को वापस ले लिया है. पढ़िए पूरी खबर...

राजीव बिंदल और विक्रमादित्य सिंह के बीच हुआ समझौता
राजीव बिंदल और विक्रमादित्य सिंह के बीच हुआ समझौता (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमे को हाईकोर्ट से वापस ले लिया है. इस मामले में डॉक्टर बिंदल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनका और प्रतिवादियों का आपसी समझौता हो गया है. प्रार्थी की ओर से कोर्ट के समक्ष लिखित समझौता भी पेश किया गया. इस समझौते के बाद कोर्ट ने विक्रमादित्य के खिलाफ दायर मानहानि से जुड़े दीवानी दावे को वापस लेने की इजाजत दे दी.

बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने विक्रमादित्य सिंह के अलावा नाहन विधानसभा क्षेत्र के दो अन्य कांग्रेसी नेता देशराज लबाना और सोमदत्त के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि मामले में याचिका दायर किया था. इस याचिका में प्रार्थी बिंदल ने आरोप लगाया था कि कांग्रेसी नेताओं ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनके चरित्र पर उंगलियां उठाने का प्रयास किया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रार्थी बिंदल के आवेदन पर उनके खिलाफ सोशल मीडिया सहित अन्य मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार और गलत टिप्पणियां करने पर प्रतिबंध व रोक लगा दी थी.

मामले में प्रार्थी बिंदल ने कोर्ट में कहा था कि वह छात्र जीवन से लेकर अब तक सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहा है. वह तीन बार सोलन और नाहन से विधायक भी चुना गया था और एक बार स्वास्थ्य मंत्री भी रहा. इतना ही नहीं वह पूरे देश की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी शामिल रहा है और समाज में उनका अच्छा खासा नाम है. समाज में उनका अच्छा रुतबा होने के कारण उन्हें एक बार विधान सभा अध्यक्ष भी बनाया गया था.

आरोप था कि इस सबकी जानकारी प्रतिवादियों को होने के बावजूद उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. प्रतिवादियों पर ऐसा फेसबुक अकाउंट, वॉट्सएप संदेश और ट्विटर जैसे अन्य सोशल मीडिया का सहारा लेकर करने का आरोप लगाया गया था. प्रार्थी का कहना था कि प्रतिवादी उनकी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, विश्वसनीयता, नैतिकता और काम करने की क्षमता पर संदेह पैदा करने के लिए दुष्प्रचार का प्रयास कर रहे हैं. इस दावे के बाद सभी पक्षकार आपसी समझौते की बात करते रहे और आखिरकार इस मामले को आपसी समझौते से निपटा लिया.

ये भी पढ़ें: अनिरुद्ध सिंह से ETV भारत की खास बातचीत, संजौली अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर कही ये बात, हिंदू संगठनों की दी सख्त हिदायत

शिमला: हिमाचल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमे को हाईकोर्ट से वापस ले लिया है. इस मामले में डॉक्टर बिंदल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनका और प्रतिवादियों का आपसी समझौता हो गया है. प्रार्थी की ओर से कोर्ट के समक्ष लिखित समझौता भी पेश किया गया. इस समझौते के बाद कोर्ट ने विक्रमादित्य के खिलाफ दायर मानहानि से जुड़े दीवानी दावे को वापस लेने की इजाजत दे दी.

बता दें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने विक्रमादित्य सिंह के अलावा नाहन विधानसभा क्षेत्र के दो अन्य कांग्रेसी नेता देशराज लबाना और सोमदत्त के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि मामले में याचिका दायर किया था. इस याचिका में प्रार्थी बिंदल ने आरोप लगाया था कि कांग्रेसी नेताओं ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनके चरित्र पर उंगलियां उठाने का प्रयास किया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रार्थी बिंदल के आवेदन पर उनके खिलाफ सोशल मीडिया सहित अन्य मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार और गलत टिप्पणियां करने पर प्रतिबंध व रोक लगा दी थी.

मामले में प्रार्थी बिंदल ने कोर्ट में कहा था कि वह छात्र जीवन से लेकर अब तक सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहा है. वह तीन बार सोलन और नाहन से विधायक भी चुना गया था और एक बार स्वास्थ्य मंत्री भी रहा. इतना ही नहीं वह पूरे देश की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी शामिल रहा है और समाज में उनका अच्छा खासा नाम है. समाज में उनका अच्छा रुतबा होने के कारण उन्हें एक बार विधान सभा अध्यक्ष भी बनाया गया था.

आरोप था कि इस सबकी जानकारी प्रतिवादियों को होने के बावजूद उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. प्रतिवादियों पर ऐसा फेसबुक अकाउंट, वॉट्सएप संदेश और ट्विटर जैसे अन्य सोशल मीडिया का सहारा लेकर करने का आरोप लगाया गया था. प्रार्थी का कहना था कि प्रतिवादी उनकी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, विश्वसनीयता, नैतिकता और काम करने की क्षमता पर संदेह पैदा करने के लिए दुष्प्रचार का प्रयास कर रहे हैं. इस दावे के बाद सभी पक्षकार आपसी समझौते की बात करते रहे और आखिरकार इस मामले को आपसी समझौते से निपटा लिया.

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