जोधपुर. मारवाड़ के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने अगले शैक्षणिक सत्र से अनिवार्य विषय की श्रेणी में राजस्थानी भी जोड़ने का निर्णय लिया है. इसके तहत स्नातक के विद्यार्थियों को अब हिंदी, अंग्रेजी के अलावा राजस्थानी भी अनिवार्य विषय के रूप में ऑप्शन मिलेगा. तीन अनिवार्य विषय में से किसी एक का चयन करना होगा. राजस्थानी विषय को लागू करने की घोषणा कुलपति प्रो केएल श्रीवास्तव ने मायड़ भाषा दिवस पर की थी. जिस पर अभी पाठ्यक्रम तैयार करने का काम चल रहा है. वर्तमान में विश्वविद्यालय में बीए, बीकॉम और बीएससी करने वाले विद्यार्थियों को हिंदी या अंग्रेजी अनिवार्य विषय के तौर पर लेना पड़ता है. यह विषय तीन वर्ष में कभी भी उत्तीर्ण कर सकते हैं. अब इसमें अगले साल से राजस्थानी भी विकल्प होगा.
अकादमिक परिषद में होगा अनुमोदन: जेएनवीयू के राजस्थानी विभाग के प्रो गजेसिंह राजपुरोहित ने बताया कि इस साल राजस्थानी अनिवार्य विषय का पाठ्यक्रम लागू करना था. लेकिन तैयारियां नहीं होने से राजस्थानी को अनिवार्य विषय के तौर पर शामिल नहीं किया था. अब जुलाई-अगस्त में नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है. राजस्थानी विषय को अनिवार्य बनाने को लेकर विवि की अकादमिक परिषद में प्रस्ताव लाया जाएगा. जिसमें पाठ्यक्रम सहित अन्य नियमों पर मोहर लगाई जाएगी. इसके बाद सिंडिकेट में प्रस्ताव पास कर इसे लागू किया जाएगा.
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प्रदेश में सिर्फ पांच जगह है राजस्थानी विभाग: राजस्थान में निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों की संख्या 96 है. लेकिन सिर्फ पांच यूनिवर्सिटी में ही राजस्थानी विभाग है. खास बात यह है कि जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय में ही राजस्थानी विभाग नहीं है. जोधपुर के जेएनवीयू के अलावा एमडीएस अजमेर, मोहनलाल सुखाड़िया विवि उदयपुर, महाराजा गंगासिंह विवि बीकानेर और कोटा स्थिति वर्द्धमान महावीर विश्वविद्यालय में राजस्थानी विभाग कार्यरत है. एमडीएस यूनिवर्सिटी ने गत वर्ष ही राजस्थानी को अनिवार्य विषय में शामिल किया था.