जयपुर: प्रदेश के नगरीय निकायों में अब हर दूसरे महीने की 20 तारीख को बोर्ड बैठक आयोजित की जाएगी. इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक कुमार पाल गौतम ने अधिसूचना जारी की. हालांकि, राजस्थान नगर पालिका अधिनियम में नगरीय निकायों में साधारण सभा की बैठक 60 दिन में एक बार होना, यानी साल में कम से कम 6 बार होने का प्रावधान है, लेकिन एक भी नगरीय निकाय इसका उदाहरण पेश नहीं कर पाया. ऐसे में अब विभागीय अधिसूचना जारी की गई है.
शहरी विकास को लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों अपने विचार व्यक्त करने के लिए बोर्ड बैठक सबसे उचित प्लेटफॉर्म है, लेकिन अधिकतर स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि इससे महरूम है. ऐसे में प्रदेश के 280 नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का उचित मंच देने का राज्य सरकार ने फैसला लेते हुए अधिसूचना जारी की है.
अधिसूचना में ये प्रावधान किए गए थे :
- निकाय में गठित बोर्ड की बैठक - पिछली बैठक से प्रत्येक दूसरे महीने की 20 तारीख (इससे ज्यादा बैठक रखने के लिए निकाय स्वतंत्र है.
- निकाय स्तरीय भवन मानचित्र समिति की बैठक - प्रत्येक महीने की 5 और 25 तारीख.
- निकाय स्तरीय भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक - प्रत्येक महीने की 10 तारीख.
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि राजकीय अवकाश होने की स्थिति में बैठक अगले कार्य दिवस को संपादित की जा सकती है. यदि इन निर्देशों की पालना नहीं की जाती तो राजस्थान नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी.
इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक और ग्रेटर निगम के डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट ने राज्य सरकार के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि स्थानीय निकाय शहरी विकास का महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन ज्यादातर स्थानीय निकाय में सरकारी अधिकारियों या चुने हुए जनप्रतिनिधियों की हठधर्मिता के कारण साधारण सभा नहीं हो रही. इसका दुष्परिणाम स्थानीय निकाय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उठाना पड़ता है.
इस संबंध में उन्होंने अक्टूबर में मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री को पत्र लिखकर साधारण सभा को लेकर ध्यान आकर्षित कराया और अब सरकार ने आदेश जारी कर स्थानीय निकायों को मजबूती देने का काम किया है. उन्होंने बीजेपी नेतृत्व वाली सभी नगरीय निकायों के प्रमुखों को राज्य सरकार के फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू करने का आग्रह किया.