ETV Bharat / state

समाज ने दुत्कारा, फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेर रही भरतपुर की पैरा प्लेयर सोनिया चौधरी - PARA ATHLETE SONIA CHAUDHARY

कुछ लोग अपनी कमियों को किस्मत मानकर समझौता नहीं करते बल्कि ताकत बनाकर इतिहास रच जाते हैं. ऐसी ही कहानी है भरतपुर की सोनिया की...

भरतपुर की सोनिया चौधरी
भरतपुर की सोनिया चौधरी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

भरतपुर : 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है'. छोटे से गांव उसेर की बेटी और सांतरुक की बहू, सोनिया चौधरी ने अपने हौसले और मेहनत के बल पर इस कथन को चरितार्थ किया है. उन्होंने न केवल समाज की रूढ़ियों को तोड़ा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर भारत का नाम भी रोशन किया. जन्म से दिव्यांग सोनिया ने हाल ही में कंबोडिया में आयोजित इंटरनेशनल पैरा थ्रो बॉल मैच सीरीज में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया. यह सीरीज कंबोडिया में 5 से 7 दिसंबर के बीच आयोजित हुई थी. सीरीज में शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें बेस्ट प्लेयर का खिताब भी मिला. अपनी मां के सपोर्ट से सोनिया आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता का परचम फहरा रही हैं.

दर्द और हौसले का बचपन : सोनिया का बचपन संघर्षों से भरा था. गांव के सामान्य बच्चों के साथ खेलने की उनकी इच्छा हर बार किसी के धक्के से खत्म हो जाती. समाज के लोगों ने उन्हें अक्षम कहकर ताने दिए. पिता ने भी निराशाजनक व्यवहार किया, लेकिन सोनिया की मां वीरमति ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी बेटी का हौसला बढ़ाया और उसे पढ़ाई के लिए भरतपुर भेज दिया. सोनिया ने बताया कि बचपन में उन्हें बार-बार गिराया गया, लेकिन उनकी मां ने हमेशा उन्हें उठने का हौसला दिया. उनकी वजह से ही वो आज यहां हैं.

भरतपुर की पैरा प्लेयर सोनिया चौधरी (ETV Bharat)

पढे़ं. भरतपुर की पैराप्लेयर सोनिया चौधरी ने इंटरनेशनल थ्रो बॉल टूर्नामेंट में जीता गोल्ड मेडल

खेलों में कदम और प्रेरणा : सोनिया ने बताया कि उनकी खेलों की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने पैरालंपिक मेडलिस्ट देवेंद्र झांझड़िया का साक्षात्कार पढ़ा. इससे प्रेरित होकर उन्होंने खेलों में अपना भविष्य बनाने का निर्णय लिया. भरतपुर के लोहागढ़ स्टेडियम में प्रशिक्षण के दौरान भी उन्हें कई बार समाज के ताने सुनने पड़े, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय और मेहनत की. जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में कोच नरेंद्र तोमर ने उन्हें 2 साल तक नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया, जिससे सोनिया की प्रतिभा को नई दिशा मिली.

पैरा थ्रो बॉल मैच में सोनिया ने जीता गोल्ड
पैरा थ्रो बॉल मैच में सोनिया ने जीता गोल्ड (ETV Bharat)

चमक बिखेरती उपलब्धियां : सोनिया ने अपने जीवन की हर चुनौती को पीछे छोड़ते हुए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं. उन्होंने 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता, 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मेडल जीता, 2020-2022 में पैरा एथलेटिक्स में कांस्य पदक जीता, श्रीलंका और बांग्लादेश टी-20 में भी विजेता रहीं. नेपाल में शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता, 2024 में कंबोडिया में इंटरनेशनल पैरा थ्रोबॉल मैच सीरीज में गोल्ड मेडल और बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड जीता.

वापस लौटने पर किया गया स्वागत
वापस लौटने पर किया गया स्वागत (ETV Bharat Bharatpur)

पढ़ें. Rajasthan: प्रेरणा बने कोटा के प्रवीण, नी रिप्लेसमेंट के बाद चलाई 111 किलोमीटर साइकिल

परिवार का मजबूत सहारा : सोनिया की सफलता में उनके पति आरव कुंतल का भी बड़ा योगदान रहा. सोनिया ने बताया कि और कि जब वो खेल की प्रैक्टिस में व्यस्त होती हैं तो पति बेटी का पूरा ध्यान रखते हैं. पति का समर्थन उनकी सबसे बड़ी ताकत है. वहीं, ससुर हरि सिंह और सासु मां पार्वती देवी भी पूरा सहयोग करते हैं. संघर्ष कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता का परचम लहराने वाली सोनिया वर्तमान में जयपुर सचिवालय में यूडीसी के पद पर सेवारत हैं. सोनिया ने बताया कि उनका सपना है कि वे दिव्यांग बच्चों के लिए सहायता और प्रशिक्षण के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव ला सकें. इसके लिए वो और उनके पति आरव कुछ दिव्यांग व अनाथ बच्चों को नि:शुल्क भोजन, रहने की व्यवस्था, शिक्षा और खेलों की सुविधा उपलब्ध कराती हैं.

भरतपुर : 'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है'. छोटे से गांव उसेर की बेटी और सांतरुक की बहू, सोनिया चौधरी ने अपने हौसले और मेहनत के बल पर इस कथन को चरितार्थ किया है. उन्होंने न केवल समाज की रूढ़ियों को तोड़ा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर भारत का नाम भी रोशन किया. जन्म से दिव्यांग सोनिया ने हाल ही में कंबोडिया में आयोजित इंटरनेशनल पैरा थ्रो बॉल मैच सीरीज में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया. यह सीरीज कंबोडिया में 5 से 7 दिसंबर के बीच आयोजित हुई थी. सीरीज में शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें बेस्ट प्लेयर का खिताब भी मिला. अपनी मां के सपोर्ट से सोनिया आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता का परचम फहरा रही हैं.

दर्द और हौसले का बचपन : सोनिया का बचपन संघर्षों से भरा था. गांव के सामान्य बच्चों के साथ खेलने की उनकी इच्छा हर बार किसी के धक्के से खत्म हो जाती. समाज के लोगों ने उन्हें अक्षम कहकर ताने दिए. पिता ने भी निराशाजनक व्यवहार किया, लेकिन सोनिया की मां वीरमति ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी बेटी का हौसला बढ़ाया और उसे पढ़ाई के लिए भरतपुर भेज दिया. सोनिया ने बताया कि बचपन में उन्हें बार-बार गिराया गया, लेकिन उनकी मां ने हमेशा उन्हें उठने का हौसला दिया. उनकी वजह से ही वो आज यहां हैं.

भरतपुर की पैरा प्लेयर सोनिया चौधरी (ETV Bharat)

पढे़ं. भरतपुर की पैराप्लेयर सोनिया चौधरी ने इंटरनेशनल थ्रो बॉल टूर्नामेंट में जीता गोल्ड मेडल

खेलों में कदम और प्रेरणा : सोनिया ने बताया कि उनकी खेलों की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने पैरालंपिक मेडलिस्ट देवेंद्र झांझड़िया का साक्षात्कार पढ़ा. इससे प्रेरित होकर उन्होंने खेलों में अपना भविष्य बनाने का निर्णय लिया. भरतपुर के लोहागढ़ स्टेडियम में प्रशिक्षण के दौरान भी उन्हें कई बार समाज के ताने सुनने पड़े, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय और मेहनत की. जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में कोच नरेंद्र तोमर ने उन्हें 2 साल तक नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया, जिससे सोनिया की प्रतिभा को नई दिशा मिली.

पैरा थ्रो बॉल मैच में सोनिया ने जीता गोल्ड
पैरा थ्रो बॉल मैच में सोनिया ने जीता गोल्ड (ETV Bharat)

चमक बिखेरती उपलब्धियां : सोनिया ने अपने जीवन की हर चुनौती को पीछे छोड़ते हुए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं. उन्होंने 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता, 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मेडल जीता, 2020-2022 में पैरा एथलेटिक्स में कांस्य पदक जीता, श्रीलंका और बांग्लादेश टी-20 में भी विजेता रहीं. नेपाल में शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता, 2024 में कंबोडिया में इंटरनेशनल पैरा थ्रोबॉल मैच सीरीज में गोल्ड मेडल और बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड जीता.

वापस लौटने पर किया गया स्वागत
वापस लौटने पर किया गया स्वागत (ETV Bharat Bharatpur)

पढ़ें. Rajasthan: प्रेरणा बने कोटा के प्रवीण, नी रिप्लेसमेंट के बाद चलाई 111 किलोमीटर साइकिल

परिवार का मजबूत सहारा : सोनिया की सफलता में उनके पति आरव कुंतल का भी बड़ा योगदान रहा. सोनिया ने बताया कि और कि जब वो खेल की प्रैक्टिस में व्यस्त होती हैं तो पति बेटी का पूरा ध्यान रखते हैं. पति का समर्थन उनकी सबसे बड़ी ताकत है. वहीं, ससुर हरि सिंह और सासु मां पार्वती देवी भी पूरा सहयोग करते हैं. संघर्ष कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता का परचम लहराने वाली सोनिया वर्तमान में जयपुर सचिवालय में यूडीसी के पद पर सेवारत हैं. सोनिया ने बताया कि उनका सपना है कि वे दिव्यांग बच्चों के लिए सहायता और प्रशिक्षण के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव ला सकें. इसके लिए वो और उनके पति आरव कुछ दिव्यांग व अनाथ बच्चों को नि:शुल्क भोजन, रहने की व्यवस्था, शिक्षा और खेलों की सुविधा उपलब्ध कराती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.