बांसवाड़ा. प्रस्तावित माही न्यूक्लियर पावर प्लांट की जमीन विस्थापन पर आमने-सामने हुए स्थानीय लोग और पुलिस के बीच करीब 3 घंटे तनाव की स्थिति बनी रही. प्लांट के लिए जमीन खाली कर आने पहुंची पुलिस से स्थानीय लोग भिड़ गए और पथराव कर दिया. जवाब ने पुलिस ने लाठी चार्ज करते हुए आंसू गैस छोड़ी और रास्ता जाम कर रही महिलाओं को हटाया.
माही परमाणु बिजली घर को लेकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने आमजन से शांति बनाए रखने की अपील की है, साथ ही झूठी अफवाह फैलाकर भ्रमित करने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है. 3 घंटे तक पुलिस के साथ चले संघर्ष के बाद तीन पुलिसकर्मी जख्मी हो गए, जबकि कुछ ग्रामीणों को भी चोटें आई हैं. इस मामले में भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता समेत एक दर्जन लोगों को हिरासत में लिया गया है.
मौके पर हैं शांति के हालात : बांसवाड़ा पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाल के मुताबिक फिलहाल मौके पर शांति है. मौके से पुलिस जाप्ता को भी जिला मुख्यालय पर भेज दिया गया है. फिलहाल मौके पर प्रदर्शनकारी अब नजर नहीं आ रहे हैं. इस मामले में उपद्रव करने वाले आरोपियों को पुलिस ने चिन्हित कर लिया है. वहीं, कुछ बाइक्स को भी जब्त किया गया है.
गौरतलब है कि पीएम मोदी के हाथों अगस्त के आखिरी सप्ताह या सितंबर के पहले सप्ताह में इस पावर प्लांट का शिलान्यास प्रस्तावित है. बांसवाड़ा कलेक्टर डोक्टर इंद्रजीत यादव ने कहा है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने शांति बिगड़ने की कोशिश की, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है.
2800 मेगावाट का लगेगा पावर प्लांट : बांसवाड़ा जिले के छोटी सरवन में 2800 मेगावाट का न्यूक्लियर पावर प्लांट प्रस्तावित है, जिस पर 40,000 करोड़ रुपये अनुमानित लागत आएगी. 623 हेक्टेयर में बनने वाले पावर प्लांट में 5,000 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देने का दावा किया जा रहा है. जबकि 20,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने का भी दावा किया गया है. परमाणु बिजली घर निर्माण वाले इलाके के प्रस्तावित क्षेत्र में 6 गांव बारी, सजवानिया, रेल, खड़िया देव, आडीभीत और कटुम्बी में रहने वाले करीब 3 हजार लोगों को विस्थापित किया जाना है. इन परिवारों को सरकार की ओर से 415 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है. इसके बदले में 553 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है. इन गांवों से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए पास के खड़िया देव में 60 हेक्टेयर जमीन मकान बनाने के लिए ढूंढी गई है.
बांसवाड़ा परमाणु बिजलीघर को लेकर ग्रामीणों की माँग को जिला प्रशासन शांतिपूर्वक सुने और समाधान करने आगे बढ़े। जोर जबरदस्ती करके उनको हटाने की कार्यवाही नही करें। स्थानीय ग्रामीणजनो से भी अनुरोध है कि शांति बनाये रखें। pic.twitter.com/N8KOHgxtkA
— Rajkumar Roat (@roat_mla) August 2, 2024
इस तरह शुरू हुआ बवाल : न्यूक्लियर पावर प्लांट की प्रस्तावित जमीन पर बाउंड्री वॉल बनाकर इसकी जद में आ रहे लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा था. इस दौरान जब लोगों ने विरोध किया, तो न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ने पुलिस से मदद मांगी. मौके पर बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के 10 थानों का जाब्ता तैनात किया गया. जब जमीन पर बैठे आदिवासियों को हटाने का प्रयास किया गया, तो यह पहाड़ पर चढ़ गए और पथराव शुरू कर दिया. विरोध प्रदर्शन में स्थानीय महिलाओं ने नेशनल हाईवे 927-A (बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम) हाईवे को जाम कर दिया. पुलिस ने महिलाओं और लोगों को हटाने का प्रयास किया तो भगदड़ के बीच पथराव शुरू कर दिया गया. इस मामले में कोतवाली पुलिस ने बीएपी नेता हेमंत राणा समेत एक दर्जन लोगों को हिरासत में भी लिया है. पथराव में क्यूआरटी के जवान सहित तीन पुलिस कर्मियों को चोटिल होने के बाद महात्मा गांधी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया.
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आदिवासियों ने की थी यह मांग : पावर प्लांट के लिए ली जाने वाली जमीन से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों की मांग है कि इससे प्रभावित परिवार के सभी युवाओं को पावर प्लांट में रोजगार उपलब्ध कराया जाए. परिवार के हर व्यक्ति को अलग यूनिट मानकर घर और रोजगार मिले, इसके बाद ही यहां से विस्थापित किया जाए. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मांगों को पूरा करने से पहले ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गई, इसीलिए नाराजगी बढ़ गई. स्थानीय ग्रामीण का कहना है कि जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक विस्थापित नहीं होंगे.
बागीदौरा विधायक भी बोले विधानसभा में : बांसवाड़ा में पुलिस से हुई आदिवासियों की झड़प का मामला विधानसभा में भी उठा. भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक जय कृष्ण पटेल ने कहा कि इस प्रदर्शन के बीच आदिवासियों के साथ मारपीट की गई और उन्हें जेल में डाला गया. उन पर कार्रवाई के दौरान आंसू गैस भी छोड़ी गई. विधायक के बोलने के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि मौके पर सब शांतिपूर्ण चल रहा है और प्रारंभिक जांच के सामने आया है कि जमीन पहले से एनपीसीआईएल के पास है. गौरतलब है कि 18 जुलाई को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पर एक सभा में भी छोटी सरवन में प्रस्तावित न्यूक्लियर पावर प्लांट को निरस्त करने की मांग की गई थी.
सांसद रोत बोले- बनाए रखें शांति : बांसवाड़ा डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने तनाव को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट की है. उन्होंने कहा है कि बांसवाड़ा परमाणु बिजलीघर को लेकर ग्रामीणों की मांग को जिला प्रशासन शांतिपूर्वक सुने और समाधान करने के लिए आगे बढ़े. जोर-जबरदस्ती करके उनको हटाने की कार्रवाई नहीं करे. उन्होंने स्थानीय ग्रामीणजनों से भी अनुरोध किया है कि शांति बनाए रखें.