जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में नियुक्ति के लिए समान जिले का विकल्प देने वाले शिक्षक और कर्मचारियों को बोनस के रूप में दस अंक देने के प्रावधान को भेदभावपूर्ण मानते हुए रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को बिना बोनस अंक दिए चयन प्रक्रिया को जारी रखने की छूट दी है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि समान जिले में काम करने के आधार पर बोनस अंक देने का कोई अर्थ नहीं है और यह मनमाना और कर्मचारियों व शिक्षकों के बीच भेदभाव करने वाला है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश मोहनलाल शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि गत वर्ष भी समान नियमों के आधार पर इन स्कूलों में भर्ती हुई थी, लेकिन उसमें बोनस के रूप में कोई अंक नहीं दिए गए थे. इसके अलावा वर्ष 2023 के नियमों में भी बोनस अंक का कोई प्रावधान नहीं है. याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने गत 11 जुलाई को राजस्थान सिविल सेवा अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में कार्मिकों की नियुक्ति के लिए विशेष चयन और सेवा की विशेष शर्त नियम, 2023 के तहत महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे. इसकी शर्त संख्या 9 में प्रावधान किया गया कि कार्मिक की ओर से वर्तमान पदस्थापित जिले में नियुक्ति का विकल्प देने पर उसे बोनस के तौर पर दस अंक अतिरिक्त दिए जाएंगे.
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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि भर्ती नियम, 2023 में बोनस अंक का कोई प्रावधान नहीं है और ना ही पूर्व की भर्ती में इस तरह के बोनस अंक दिए गए. इसके अलावा संबंधित जिले में पदस्थापित होने के आधार पर बोनस अंक देना शिक्षकों के बीच भेदभाव पैदा करना है. ऐसे में इस शर्त को रद्द किया जाना चाहिए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह सामान्य भर्ती न होकर पहले से कार्यरत शिक्षकों की भर्ती है. इसके माध्यम से पहले से नियुक्ति कार्मिकों की उपयुक्तता की पहचान की जाती है. इसके अलावा भर्ती वर्ष 2023 के नियमों के हो रही है और याचिका में इस नियम की कानूनी वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने बोनस अंक देने की शर्त को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया है.