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प्रदेश में अवैध निर्माणों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में अवैध निर्माणों को लेकर राज्य सरकार और जेडीए से जवाब मांगा है.

HIGH COURT SOUGHT REPLY,  COURT SOUGHT REPLY FROM GOVERNMENT
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 29, 2025, 7:55 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं होने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में कोताही बरतने के मामले में राज्य सरकार और जेडीए सहित अन्य से जवाब पेश करने को कहा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल और विज्ञान शाह को याचिका की कॉपी मुहैया कराए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी और अधिवक्ता टीएन शर्मा ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 दिसंबर को एक मामले की सुनवाई करते हुए देश की सभी प्रदेश सरकार को कहा था कि वे अवैध निर्माण रोकने के संबंध में स्थानीय प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें. वहीं, अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जाए. याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद भी मास्टर प्लान और जोनल प्लान के खिलाफ जाकर बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहे हैं. जिसके चलते लोगों का कॉलोनियों में रहना दूभर हो रहा है.

पढ़ेंः कोटा में अमीन पठान की क्रिकेट अकादमी पर वन विभाग की कार्रवाई, अवैध निर्माण ध्वस्त

याचिका में कहा गया कि राजधानी के कई इलाकों में जीरो सेटबैक पर निर्माण किया गया है. इस संबंध में याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कई बार जेडीए और राज्य सरकार को शिकायत की गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के लिए कहा गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कोई अधिकारी इस आदेश की पालना ना करे तो उसे अदालती आदेश की अवमानना मानी जाए. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह 17 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करे. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार और जेडीए से जवाब तलब किया है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं होने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में कोताही बरतने के मामले में राज्य सरकार और जेडीए सहित अन्य से जवाब पेश करने को कहा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल और विज्ञान शाह को याचिका की कॉपी मुहैया कराए.

जनहित याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी और अधिवक्ता टीएन शर्मा ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 दिसंबर को एक मामले की सुनवाई करते हुए देश की सभी प्रदेश सरकार को कहा था कि वे अवैध निर्माण रोकने के संबंध में स्थानीय प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें. वहीं, अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई की जाए. याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद भी मास्टर प्लान और जोनल प्लान के खिलाफ जाकर बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहे हैं. जिसके चलते लोगों का कॉलोनियों में रहना दूभर हो रहा है.

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याचिका में कहा गया कि राजधानी के कई इलाकों में जीरो सेटबैक पर निर्माण किया गया है. इस संबंध में याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कई बार जेडीए और राज्य सरकार को शिकायत की गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के लिए कहा गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यदि कोई अधिकारी इस आदेश की पालना ना करे तो उसे अदालती आदेश की अवमानना मानी जाए. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह 17 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करे. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार और जेडीए से जवाब तलब किया है.

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