जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में पूर्व में बसी कॉलोनियों में हो रहे बेतरतीब बहुमंजिला फ्लैट्स निर्माण और गांधीनगर में ओल्ड एमआरईसी कैंपस में प्रस्तावित बहुमंजिला आवास को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश बादल वर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
जनहित याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया की शहर में पूर्व में बसी कॉलोनियों के भूखंडों पर बिल्डर रोड की चौड़ाई के आधार पर बहुमंजिला फ्लैट्स का निर्माण कर रहे हैं, जबकि यहां भूखंडों के हिसाब से ही सुविधाएं विकसित की गई हैं. इसके अलावा गांधीनगर में न्यायाधीशों के निवास के पास ओल्ड एमआरईसी कैंपस में करीब 17 हजार वर्ग मीटर भूमि में भी बहुमंजिला आवास बनाने का निर्णय राज्य सरकार की ओर से लिया जा चुका है. राजकीय अधिकारी निवास के पुनर्विकास के नाम से यहां प्रथम चरण में 19 मंजिला 6 टावर बनाने का निर्णय लिया गया है. इनमें से 2 टावर की सभी इकाइयों को बेचा जाएगा. टोंक रोड से गांधी सर्किल की ओर जाने वाली इस रोड पर बनाए जाने वाले इस निर्माण के दो फ्लोर का व्यावसायिक उपयोग भी किया जाएगा.
याचिका में कहा गया कि यहां संपत्ति को आठ हजार रुपए की आरक्षित दर पर बेचना प्रस्तावित है, जबकि इस रोड की डीएससी खुद राज्य सरकार ने 73 हजार रुपए निर्धारित की है. वहीं, यहां सरकारी कर्मचारियों को पन्द्रह फीसदी की छूट भी दी जाएगी. इससे करीब 1400 करोड़ रुपए से अधिक की राजस्व हानि होगी. याचिका में बताया गया कि इस योजना का अनुमोदन मुख्यमंत्री के स्तर पर हो चुका है. इसके बावजूद पूर्व में मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत में गलत तथ्य पेश कर ऐसी किसी भी योजना पर निर्णय होने से मना कर दिया था. दूसरी ओर महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि ओल्ड एमआरईसी कैंपस पर निर्माण के मामले को खंडपीठ पूर्व में बंद कर चुकी है. ऐसे में अन्य जगह बन रहे फ्लैट्स के मामले को अलग से उस पर सुनवाई होनी चाहिए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.