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निजी विवि से डिप्लोमा करने वालों को शिक्षक पद पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षा भर्ती 2022 से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

HIGH COURT SOUGHT A REPLY,  DIPLOMA FROM PRIVATE UNIVERSITY
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 21, 2024, 8:53 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती-2022 में यूपी के निजी विवि से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को चयन के बाद नियुक्ति नहीं देने पर राज्य सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि चयन के बाद भी इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति क्यों नहीं दी गई?. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश मनोहर लाल व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से वर्ष 2022 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती निकाली गई. जिसमें द्विवर्षीय डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए. याचिकाकर्ताओं ने भाग लिया और उनका चयन हो गया. वहीं, दस्तावेज सत्यापन के दौरान उन्हें यह कहते हुए प्रोविजनल कर दिया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की ग्लोकल विश्वविद्यालय से यह डिप्लोमा किया है.

पढ़ेंः कर्मचारियों की वरिष्ठता मेरिट के बजाए नियुक्ति तिथि से तय करने पर मांगा जवाब - Rajasthan High Court

याचिका में कहा गया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने उनकी नियुक्ति के लिए विभाग को अपनी सिफारिश भी भेज दी, लेकिन राज्य सरकार ने पद सुरक्षित रखे बिना उन्हें अस्थायी सूची में डाल दिया. याचिका में कहा गया कि उन्होंने अधिनियम के जरिए स्थापित निजी विवि से डिप्लोमा किया है. यह विवि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त भी है. इसके अलावा कानूनी प्रावधानों के अनुसार विवि को डिग्री और डिप्लोमा जारी करने का अधिकार है. याचिकाकर्ता चयनित अभ्यर्थी हैं, यदि विभाग ने सभी पदों पर अन्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी तो याचिकाकर्ता नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती-2022 में यूपी के निजी विवि से डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को चयन के बाद नियुक्ति नहीं देने पर राज्य सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड से जवाब तलब किया है. अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि चयन के बाद भी इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति क्यों नहीं दी गई?. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश मनोहर लाल व अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से वर्ष 2022 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती निकाली गई. जिसमें द्विवर्षीय डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए. याचिकाकर्ताओं ने भाग लिया और उनका चयन हो गया. वहीं, दस्तावेज सत्यापन के दौरान उन्हें यह कहते हुए प्रोविजनल कर दिया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की ग्लोकल विश्वविद्यालय से यह डिप्लोमा किया है.

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याचिका में कहा गया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने उनकी नियुक्ति के लिए विभाग को अपनी सिफारिश भी भेज दी, लेकिन राज्य सरकार ने पद सुरक्षित रखे बिना उन्हें अस्थायी सूची में डाल दिया. याचिका में कहा गया कि उन्होंने अधिनियम के जरिए स्थापित निजी विवि से डिप्लोमा किया है. यह विवि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त भी है. इसके अलावा कानूनी प्रावधानों के अनुसार विवि को डिग्री और डिप्लोमा जारी करने का अधिकार है. याचिकाकर्ता चयनित अभ्यर्थी हैं, यदि विभाग ने सभी पदों पर अन्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी तो याचिकाकर्ता नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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