ETV Bharat / state

भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) SC-ST के हितों के खिलाफ नहीं, जनहित याचिका खारिज - Rajasthan High Court

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 17, 2024, 8:25 PM IST

PIL Dismissed in HC, हाईकोर्ट ने भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) SC-ST के हितों के खिलाफ नहीं माना है. ऐसे में जनहित याचिका खारिज कर दी है. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय क्षेत्र की कृषि भूमि के गैर-कृषि कार्य में उपयोग को लेकर उसे राज्य सरकार के अधीन करने के संबंध में लागू भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) को एससी-एसटी वर्ग के हितों के खिलाफ मानने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि यह धारा न तो संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है और ना ही यह एससी, एसटी वर्ग के अधिकारों को प्रभावित करती है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश नवीन कुमार मीणा की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि नगरीय क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि का गैर कृषि के तौर पर उपयोग करने पर राज्य सरकार भूमि को अपने अधीन ले सकती है. वहीं, संबंधित जमीन के राज्य सरकार में निहित होने के बाद वह उसे किसी भी को आवंटित कर सकती है. यह धारा काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 के विपरीत है. धारा 42 के तहत एससी के स्वामित्व की जमीन का किसी अन्य का बेचान करने पर वह अवैध होता है और जमीन वापस एससी वर्ग के मालिक को मिल जाती है.

पढ़ें : समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष व महारानी कॉलेज प्रिंसिपल के निलंबन पर रोक बरकरार - Rajasthan High Court

ऐसे में धारा 90ए(8) के एससी,एसटी वर्ग को प्राप्त अधिकार के खिलाफ होने के कारण उसे रद्द किया जाए. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि धारा 42 के तहत संरक्षण का लाभ उस स्थिति में ही मिलता है, जब कृषि भूमि को बेचा गया हो. जबकि धारा 90ए(8) वहां लागू होती है, जहां नगरीय क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि को बिना परिवर्तित कराए गैर कृषि कार्य के उपयोग में लाया जाए. इसके अलावा नियमानुसार प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का मौका देकर कार्रवाई करने का प्रावधान है. ऐसे में यह धारा 42 के खिलाफ नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय क्षेत्र की कृषि भूमि के गैर-कृषि कार्य में उपयोग को लेकर उसे राज्य सरकार के अधीन करने के संबंध में लागू भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) को एससी-एसटी वर्ग के हितों के खिलाफ मानने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि यह धारा न तो संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है और ना ही यह एससी, एसटी वर्ग के अधिकारों को प्रभावित करती है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश नवीन कुमार मीणा की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90ए(8) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि नगरीय क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि का गैर कृषि के तौर पर उपयोग करने पर राज्य सरकार भूमि को अपने अधीन ले सकती है. वहीं, संबंधित जमीन के राज्य सरकार में निहित होने के बाद वह उसे किसी भी को आवंटित कर सकती है. यह धारा काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 के विपरीत है. धारा 42 के तहत एससी के स्वामित्व की जमीन का किसी अन्य का बेचान करने पर वह अवैध होता है और जमीन वापस एससी वर्ग के मालिक को मिल जाती है.

पढ़ें : समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष व महारानी कॉलेज प्रिंसिपल के निलंबन पर रोक बरकरार - Rajasthan High Court

ऐसे में धारा 90ए(8) के एससी,एसटी वर्ग को प्राप्त अधिकार के खिलाफ होने के कारण उसे रद्द किया जाए. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि धारा 42 के तहत संरक्षण का लाभ उस स्थिति में ही मिलता है, जब कृषि भूमि को बेचा गया हो. जबकि धारा 90ए(8) वहां लागू होती है, जहां नगरीय क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि को बिना परिवर्तित कराए गैर कृषि कार्य के उपयोग में लाया जाए. इसके अलावा नियमानुसार प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का मौका देकर कार्रवाई करने का प्रावधान है. ऐसे में यह धारा 42 के खिलाफ नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.