जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आपराधिक मामले में सरकारी वकील को कहा है कि संबंधित पुलिस अधिकारी का शपथ पत्र पेश कर बताए कि अब अनुसंधान में आईपीसी की धारा 326 के तहत अपराध साबित नहीं हुआ और अन्य अपराध जमानती प्रकृति के हैं तो याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी क्यों किया गया. जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश पूजा शर्मा व सौरभ की याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीके शर्मा ने अदालत को बताया कि सार्थक शर्मा की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में पुलिस ने गलत तरीके से उसके साले याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया था. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सार्थक के परिजनों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए पुलिस को दबाव में लेकर याचिकाकर्ता को झूठे मामले में गिरफ्तार करवा दिया.
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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के पति सार्थक शर्मा ने उसके साथ मारपीट और अभद्रता कर उसे घर से निकाल दिया था. इस पर उसने अपने भाई सौरभ को बुलाया, लेकिन ससुराल पक्ष के लोगों ने उनके खिलाफ ही 8 दिसंबर, 2023 को जवाहर नगर थाने में मारपीट व सशस्त्र हमला सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज करा दिया. वहीं पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. जबकि मामले में धारा 326 के तहत अपराध साबित नहीं हुआ और अन्य धाराएं जमानती अपराधों से जुडी हुई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गिरफ्तार करने वाले अधिकारी का शपथ पत्र पेश करने को कहा है.