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हाईकोर्ट ने कहा- परीक्षा के निर्देशों की पालना करना भर्ती एजेंसी और परीक्षार्थी का दायित्व, याचिका खारिज - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा भर्ती 2024 से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 29, 2024, 9:33 PM IST

INSTRUCTIONS OF THE EXAMINATION,  PETITION DISMISSED
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज. (ETV Bharat gfx)

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा भर्ती-2024 से जुडे़ मामले में कहा है कि प्रतियोगी परीक्षा के निर्देशों की पालना करना भर्ती एजेंसी व परीक्षार्थी दोनों का ही दायित्व है. भर्ती परीक्षा की ओएमआर शीट को जांचने का काम मशीन करती है और इसमें अधूरे छोडे़ गए गोलों को मशीन नहीं पढ़ सकती है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी यह व्यवस्था दे चुका है कि हाईकोर्ट भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया में शिथिलता नहीं दिला सकता. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पायल व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए.

याचिका में दिया ये तर्कः याचिकाओं में कहा गया था कि उन्होंने आरजेएस भर्ती परीक्षा में भाग लिया था. इस दौरान उन्होंने ओएमआर शीट में उत्तर देते समय गोलों को सही तरीके से नहीं भरा है. ऐसे में मशीन सही तरीके से गोलों को नहीं जांच सकती और इससे उनकी पूरी मेहनत ही बेकार हो जाएगी. ऐसे में उन्हें कमी सुधारने का मौका दिया जाए.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने शिक्षकों को चयन प्रक्रिया में शामिल करने के दिए आदेश - Rajasthan High Court

कोर्ट ने राहत देने से किया इनकारः इसके जवाब में हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि भर्ती निर्देश में स्पष्ट लिखा गया है कि गोलों को पूरा भरना होगा. याचिकाकर्ताओं को इस कमी को सुधारने का अवसर दिया तो इससे परीक्षा की गोपनीयता भंग होगी और भर्ती प्रक्रिया में भी अनावश्यक देरी होगी. वहीं, ऐसी व्यवस्था से परीक्षार्थियों में भी गलत परंपरा को बढ़ावा मिलेगा. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवा भर्ती-2024 से जुडे़ मामले में कहा है कि प्रतियोगी परीक्षा के निर्देशों की पालना करना भर्ती एजेंसी व परीक्षार्थी दोनों का ही दायित्व है. भर्ती परीक्षा की ओएमआर शीट को जांचने का काम मशीन करती है और इसमें अधूरे छोडे़ गए गोलों को मशीन नहीं पढ़ सकती है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी यह व्यवस्था दे चुका है कि हाईकोर्ट भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया में शिथिलता नहीं दिला सकता. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पायल व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए.

याचिका में दिया ये तर्कः याचिकाओं में कहा गया था कि उन्होंने आरजेएस भर्ती परीक्षा में भाग लिया था. इस दौरान उन्होंने ओएमआर शीट में उत्तर देते समय गोलों को सही तरीके से नहीं भरा है. ऐसे में मशीन सही तरीके से गोलों को नहीं जांच सकती और इससे उनकी पूरी मेहनत ही बेकार हो जाएगी. ऐसे में उन्हें कमी सुधारने का मौका दिया जाए.

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कोर्ट ने राहत देने से किया इनकारः इसके जवाब में हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि भर्ती निर्देश में स्पष्ट लिखा गया है कि गोलों को पूरा भरना होगा. याचिकाकर्ताओं को इस कमी को सुधारने का अवसर दिया तो इससे परीक्षा की गोपनीयता भंग होगी और भर्ती प्रक्रिया में भी अनावश्यक देरी होगी. वहीं, ऐसी व्यवस्था से परीक्षार्थियों में भी गलत परंपरा को बढ़ावा मिलेगा. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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