जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग पीड़िता से दुष्कर्म के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे युवक को 15 दिन की अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस शुभा मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी राकेश की चतुर्थ अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिए.
अदालत ने आदेश में यह कहाः अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पर सह अभियुक्त से मिलकर पीड़िता के नाबालिग रहने के दौरान सामुहिक दुष्कर्म करने का आरोप है. पीड़िता ने 1 अक्टूबर, 2021 को निचली अदालत में याचिकाकर्ता और सह आरोपी पर उसे बेहोश कर ले जाने और दुष्कर्म करने का बयान दिया था. ऐसे में याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
याचिका में दिया ये तर्कः याचिका में कहा गया कि पीड़िता की वर्ष 2021 में याचिकाकर्ता से सगाई हुई थी. इसके बाद दोनों आपस में मिलने लगे, लेकिन यह बात पीड़िता के पिता को पसंद नहीं आई. ऐसे में उन्होंने याचिकाकर्ता के खिलाफ दबाव डालकर कालाडेरा थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी. इसके बाद पीड़िता को बड़ी उम्र के व्यक्ति को बेचने का प्रयास भी किया गया. पीड़िता अब वयस्क हो चुकी है और याचिकाकर्ता के साथ विवाह करना चाहती है. इसके अलावा निचली अदालत में प्रकरण पर सुनवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत को फैसला सुनाने पर स्टे दे रखा है. ऐसे में उसे पन्द्रह दिन की अंतरिम जमानत दी जाए.
पीड़िता ने बयान में यह कहाः सुनवाई के दौरान पीड़िता ने पेश होकर कहा कि उसने पूर्व में अपने पिता के दबाव में बयान दिए थे. वह वयस्क हो चुकी है और याचिकाकर्ता से शादी करना चाहती है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए पीड़िता के पिता की ओर से अधिवक्ता अनुराग पारीक ने कहा कि अभियुक्त और पीड़िता की सगाई की बात झूठी है. वास्तव में मामला प्रेम प्रसंग का न होकर सामूहिक दुष्कर्म का है. इसमें याचिकाकर्ता व एक अन्य पर आरोप लगाए गए हैं. अदालत पूर्व में भी याचिकाकर्ता की जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. ऐसे में इस अंतरिम जमानत याचिका को भी खारिज किया जाए. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.