जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने चार संतानों की विधवा मां को राहत देते हुए आरपीएससी को निर्देश दिया है कि वह तत्काल याचिकाकर्ता को उसकी श्रेणी के अनुसार स्कूल व्याख्याता पद पर नियुक्ति दे. अदालत ने माना कि योग्यता के आधार पर नियमित नियुक्ति की मांग करने वाली विधवा अभ्यर्थी के साथ दो बच्चों के प्रतिबंध से छूट देने के संबंध में अनुकंपा नियुक्ति की मांग करने वाली अन्य विधवाओं को दी गई छूट के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता. वह भी तब, जब सरकार ने विधवा अभ्यर्थियों की परेशानी को देखते हुए 16 मार्च 2023 को नोटिफिकेशन जारी कर इस विसंगति व भेदभाव को खत्म कर दिया हो. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सुनीता धवन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने विधवाओं और तलाकशुदा अभ्यर्थियों को दो बच्चों से ज्यादा बच्चों के प्रतिबंध से छूट दी है.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुनील समदड़िया ने बताया कि याचिकाकर्ता स्कूल व्याख्याता भर्ती में एससी विधवा वर्ग में मेरिट में आई थी. इसके बावजूद आरपीएससी ने उसे 11 दिसंबर 2018 को यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी कि उसके एक जून 2000 के बाद दो से ज्यादा संतान हैं. आरपीएससी की इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि उसके चार संतानों में से एक बच्चा दिव्यांग है और वह भर्ती की मेरिट में आई है.
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जब अनुकंपा नियुक्ति में विधवा महिलाओं के लिए दो संतान की बाध्यता नहीं है तो फिर योग्यता के आधार पर नियुक्ति में यह बाध्यता क्यों है. ऐसा करना विधवा महिलाओं के बीच में ही असमानता करना है, इसलिए याचिकाकर्ता को उसकी श्रेणी में नियुक्ति दी जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को स्कूल व्याख्याता पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं.