ETV Bharat / state

प्रदेश की सरकारी स्कूलों में कला शिक्षकों के पदों के सृजन और भर्ती की क्या है कार्य योजना ? : हाईकोर्ट - RAJASTHAN HIGH COURT

हाईकोर्ट ने पूछा- प्रदेश की सरकारी स्कूलों में कला शिक्षकों के पदों के सृजन और भर्ती की क्या है कार्य योजना ?

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 9, 2024, 10:11 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में पूछा है कि प्रदेश की सभी सरकारी स्कूलों में कला शिक्षकों के पदों के सृजन और उन पर भर्तियां करने की क्या कार्य योजना है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश विमल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिएl. अदालत ने कहा कि जब कला विषय का अनिवार्य विषय है तो स्कूलों में कला शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि अन्य शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी देना एक व्यवस्था हो सकती है, जबकि हर स्कूल में अलग से कला शिक्षक होना चाहिए.

याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दूसरे विषयों के शिक्षकों में कला विषय पढ़ाने की क्षमता और योग्यता विकसित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित कर उनसे कला विषय पढवाया जा रहा है. राज्य सरकार ने माना कि ये शिक्षक अन्य शिक्षकों की तरह कला यानी चित्रकला और संगीत कला में स्नातक नहीं है. इस पर अदालत ने कला शिक्षकों के पदों के सृजन और भर्ती की कार्य योजना पेश करने को कहा है.

पढ़ें : प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट अपने आप में पासपोर्ट लेने से नहीं कर सकती वंचित, ना ही प्राधिकरण पुलिस रिपोर्ट मानने के लिए है बाध्य-हाईकोर्ट

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर स्कूल में चित्रकला और संगीत कला के विषय को अनिवार्य किया गया है. इसके बावजूद प्रदेश की करीब 70 हजार स्कूलों में कला शिक्षा देने के लिए कोई विशेषज्ञ शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया है. स्कूलों में कला विषय पढाने का काम दूसरे विषयों के शिक्षकों को सौंप दिया जाता है. यह शिक्षा सेवा नियम और एनसीटीई के मानकों के भी खिलाफ है.

याचिका में कहा गया कि कला शिक्षा बच्चों के रचनात्मक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है. योग्य कला शिक्षकों के अभाव में बच्चों के रचनात्मक विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है और इसके अभाव में उनमें मानसिक तनाव और हिंसात्मक प्रवृत्ति बढ़ रही है. याचिका में यह भी बताया गया कि आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार कला अनिवार्य विषय होने के बावजूद इसके लिए न तो कोई पद सृजित किया गया और ना ही कला शिक्षक के रूप में नियुक्ति का प्रावधान है. वहीं, कला शिक्षा के लिए बीते कई सत्रों में न तो पुस्तकों का प्रकाशन किया गया और ना ही इनका वितरण किया गया, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से इस संबंध में कार्य योजना की जानकारी मांगी है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में पूछा है कि प्रदेश की सभी सरकारी स्कूलों में कला शिक्षकों के पदों के सृजन और उन पर भर्तियां करने की क्या कार्य योजना है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश विमल शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिएl. अदालत ने कहा कि जब कला विषय का अनिवार्य विषय है तो स्कूलों में कला शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि अन्य शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी देना एक व्यवस्था हो सकती है, जबकि हर स्कूल में अलग से कला शिक्षक होना चाहिए.

याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दूसरे विषयों के शिक्षकों में कला विषय पढ़ाने की क्षमता और योग्यता विकसित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित कर उनसे कला विषय पढवाया जा रहा है. राज्य सरकार ने माना कि ये शिक्षक अन्य शिक्षकों की तरह कला यानी चित्रकला और संगीत कला में स्नातक नहीं है. इस पर अदालत ने कला शिक्षकों के पदों के सृजन और भर्ती की कार्य योजना पेश करने को कहा है.

पढ़ें : प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट अपने आप में पासपोर्ट लेने से नहीं कर सकती वंचित, ना ही प्राधिकरण पुलिस रिपोर्ट मानने के लिए है बाध्य-हाईकोर्ट

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर स्कूल में चित्रकला और संगीत कला के विषय को अनिवार्य किया गया है. इसके बावजूद प्रदेश की करीब 70 हजार स्कूलों में कला शिक्षा देने के लिए कोई विशेषज्ञ शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया है. स्कूलों में कला विषय पढाने का काम दूसरे विषयों के शिक्षकों को सौंप दिया जाता है. यह शिक्षा सेवा नियम और एनसीटीई के मानकों के भी खिलाफ है.

याचिका में कहा गया कि कला शिक्षा बच्चों के रचनात्मक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है. योग्य कला शिक्षकों के अभाव में बच्चों के रचनात्मक विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है और इसके अभाव में उनमें मानसिक तनाव और हिंसात्मक प्रवृत्ति बढ़ रही है. याचिका में यह भी बताया गया कि आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार कला अनिवार्य विषय होने के बावजूद इसके लिए न तो कोई पद सृजित किया गया और ना ही कला शिक्षक के रूप में नियुक्ति का प्रावधान है. वहीं, कला शिक्षा के लिए बीते कई सत्रों में न तो पुस्तकों का प्रकाशन किया गया और ना ही इनका वितरण किया गया, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से इस संबंध में कार्य योजना की जानकारी मांगी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.