जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सेंट्रल पार्क स्थित लक्ष्मी विलास और कनक भवन का उपयोग गांधी दर्शन म्यूजियम व महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंस के लिए करने के मामले में तत्कालीन सीएस निरंजन आर्य सहित तत्कालीन यूडीएच सचिव कुंजीलाल मीणा और तत्कालीन जेडीसी गौरव गोयल को नए सिरे से अवमानना नोटिस जारी किया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश योगेश यादव की अवमानना याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि इन अधिकारियों को पूर्व में भी जारी नोटिस की तामील नहीं हुई है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि जिन अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है, उनमें से सीएस रिटायर हो चुके हैं. जबकि दो अन्य का तबादला हो चुका है. इसलिए इन पदों पर वर्तमान में कार्यरत अफसरों को पक्षकार बनाया जाए. इस पर याचिकाकर्ता की ओर अधिवक्ता विमल चौधरी व अधिवक्ता योगेश टेलर ने कहा कि वर्तमान अधिकारियों ने अवमानना की ही नहीं तो उन्हें पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है.
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याचिका में बताया गया कि हाईकोर्ट ने संजय त्यागी की याचिका में राज्य सरकार को आदेश दिया था कि होटल और कनक भवन की जमीन का कब्जा लें और भविष्य में इस जमीन का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाए. इसके लिए इसे अवाप्त किया है. इस आदेश के बाद जेडीए ने मई 2017 में लक्ष्मी विलास होटल व कनक भवन का कब्जा लिया था, लेकिन राज्य सरकार ने यहां पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ साइंसेज ऑफ गवर्नेंस की तर्ज पर महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस व सोशल साइंस बनाया है. राज्य सरकार का यह कृत्य अदालती आदेश की अवमानना की श्रेणी में आता है. इसलिए अदालती आदेशों की अवहेलना करने वाले अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.