जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना करने वाले पुलिस निरीक्षक का गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं हो सकता है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. हाईकोर्ट में मामले में पारित आदेश की पालना नहीं करने और अवमानना का नोटिस मिलने पर भी पुलिस निरीक्षक की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई.
जस्टिस अली ने पुलिस अधिकारी का गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए आदेश में कहा कि किसी लोक सेवक को इस न्यायालय की ओर से पारित निर्देश का उल्लंघन करने या आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने एक याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एनडीपीएस के मामले में मादक पदार्थ जब्त करने वाले पुलिस निरीक्षक की मोबाइल टॉवर लोकेशन सम्बन्धित सेवा प्रदाता से प्राप्त कर विचारण न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था. इसका पुलिस अधिकारियों ने सम्मान नहीं किया और बाद में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश की भी अवहेलना की.
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सुनवाई के दौरान पुलिस निरीक्षक की ओर से उपस्थित हुए अधिवक्ता ने स्पष्टीकरण दिया कि उन्हें आदेश की प्रति नहीं मिली थी. हाईकोर्ट ने अदालत में राज्य की ओर से पैरवी करने वाले लोक अभियोजक के उपस्थित होने के बावजूद पुलिस अधिकारी की ओर से निजी अधिवक्ता के जरिए बिना हस्ताक्षर या मुहर के स्पष्टीकरण पेश किया गया. कोर्ट ने इस तरीके से स्पष्टीकरण पेश करने पर आश्चर्य जताते हुए आदेश में कहा कि लोक अभियोजक के माध्यम से पुलिस अधिकारी को तलब करने का भी प्रयास किया गया है, जिन्होंने प्रस्तुत किया कि उन्हें पुलिस से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
लोक अभियोजक का कहना है कि इस न्यायालय की ओर से पारित पुराने आदेशों के संबंध में आवश्यक जानकारी संबंधित अधिकारी को नियत समय के भीतर सूचित कर दी गई थी. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तारीख 23 अप्रैल को पुलिस निरीक्षक अशोक बिश्नोई को गिरफ्तारी वारंट से न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश पारित किया. आदेश की पालना के लिए पुलिस महानिदेशक को भी सूचित करने के निर्देश दिए गए.