जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने आरसीए को भंग करने और एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश आरसीए के पूर्व सचिव भवानी शंकर सामोता व अन्य की अपील पर दिए. हालांकि, अदालत ने यह विधिक प्रश्न खुला रखा है कि क्रीडा परिषद का चेयरमैन ही खेल सचिव होता है और वह परिषद की शिकायत को लेकर की गई कार्रवाई के खिलाफ अपीलीय अधिकारी के तौर पर अपील सुन सकता है या नहीं?
सुनवाई के दौरान अपीलार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत से आग्रह किया कि वे सहकारिता रजिस्ट्रार के आदेश को क्रीड़ा परिषद के चेयरमैन और अपीलीय अधिकारी के समक्ष चुनौती देंगे. ऐसे में उन्हें अपील को वापस लेने की अनुमति दी जाए. वहीं, इस विधिक बिंदु को खुला रखा जाए कि खेल सचिव के तौर पर अपीलीय अधिकारी अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई के खिलाफ अपील सुन सकता है या नहीं?
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अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एकलपीठ ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वे रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपीलीय अधिकारी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराते. अपील में कहा कि सहकारिता रजिस्ट्रार ने आरसीए भंग की दी थी और उन्हें एकलपीठ से कोई राहत नहीं मिली थी. क्रीड़ा परिषद की शिकायत पर ही रजिस्ट्रार ने एसोसिएशन भंग की थी. इसलिए खेल सचिव के यहां पर याचिका दायर करने का कोई अर्थ ही नहीं था क्योंकि वह ही परिषद के चेयरमैन व अपीलीय अधिकारी है.
गौरतलब है कि सहकारिता रजिस्ट्रार ने गत 28 मार्च को आरसीए को भंग कर दिया था. इसके खिलाफ एकलपीठ में याचिका दायर की गई थी, लेकिन एकलपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील पेश करें.