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हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग पर लगाई रोक, इन अधिकारियों को दिया नोटिस - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग पर लगाई रोक.

PARKING OF HEAVY FODDER VEHICLES,  BANS PARKING ON GOVERNMENT LAND
राजस्थान हाईकोर्ट . (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 12, 2024, 8:08 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने चौमूं की हाड़ौता ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख राजस्व सचिव, कलेक्टर और प्रमुख गृह सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश रामेश्वर प्रसाद व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि ग्राम पंचायत की सरपंच ने ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के अधिकारियों से मिलीभगत कर चारागाह भूमि और आम रास्ते को बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए भारी चारा वाहनों के लिए पार्किंग का ठेका दे दिया. याचिका में कहा गया कि काश्तकारी अधिनियम, पंचायती राज अधिनियम और भू राजस्व अधिनियम के तहत चारागाह भूमि और आम रास्ते की जमीन का अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं हो सकता है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने सीएस को किया तलब, सरकार पर लगाया एक लाख रुपए का हर्जाना, यह है मामला

वर्ष 2017 में संबंधित भूमि पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग के लिए 1.58 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया था. वहीं, बाद में स्थानीय उपखंड अधिकारी ने चारागाह भूमि होने के आधार पर टेंडर पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद भी इस भूमि पर मिलीभगत कर इस बार सिर्फ 31.21 लाख रुपए में चहेते ठेकेदार को टेंडर दे दिया. याचिका में यह भी कहा गया कि चारा वाहनों की पार्किंग से इस पर स्थित महिला महाविद्यालय की छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा हो गया है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यहां भारी चारा वाहन की पार्किंग पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने चौमूं की हाड़ौता ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख राजस्व सचिव, कलेक्टर और प्रमुख गृह सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश रामेश्वर प्रसाद व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि ग्राम पंचायत की सरपंच ने ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के अधिकारियों से मिलीभगत कर चारागाह भूमि और आम रास्ते को बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए भारी चारा वाहनों के लिए पार्किंग का ठेका दे दिया. याचिका में कहा गया कि काश्तकारी अधिनियम, पंचायती राज अधिनियम और भू राजस्व अधिनियम के तहत चारागाह भूमि और आम रास्ते की जमीन का अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं हो सकता है.

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वर्ष 2017 में संबंधित भूमि पर भारी चारा वाहनों की पार्किंग के लिए 1.58 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया था. वहीं, बाद में स्थानीय उपखंड अधिकारी ने चारागाह भूमि होने के आधार पर टेंडर पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद भी इस भूमि पर मिलीभगत कर इस बार सिर्फ 31.21 लाख रुपए में चहेते ठेकेदार को टेंडर दे दिया. याचिका में यह भी कहा गया कि चारा वाहनों की पार्किंग से इस पर स्थित महिला महाविद्यालय की छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा हो गया है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यहां भारी चारा वाहन की पार्किंग पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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