जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ राजस्थान, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व जोधपुर, दी बार एसोसिएशन जयपुर सहित प्रदेश की बार एसोसिएशन चुनाव में महिला अधिवक्ताओं को 33 फीसदी आरक्षण नहीं देने पर बीसीआर सहित संबंधित बार एसोसिएशनों से जवाब तलब किया है. अदालत ने इनके पदाधिकारियों से पूछा है कि बार एसोएिशनों में महिला अधिवक्ताओं का प्रतिनिधित्व बढाने व 33 फीसदी आरक्षित का लाभ देने के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस गणेश राम मीना की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता हेमा तिवाड़ी की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा कि नारी शक्ति वंदन अभियान-2023 के तहत महिला आरक्षण अधिनियम लाया गया. जिसके तहत संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया गया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने गत 26 सितंबर को अदिति चौधरी बनाम बार कौंसिल ऑफ दिल्ली व अन्य के मामले में बार कौंसिल ऑफ दिल्ली को निर्देश दिया है कि वह बार कौंसिल के चुनावों में महिला अधिवक्ताओं के लिए भी 33 फीसदी सीट आरक्षित रखें. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने भी बीसीआर को महिला अधिवक्ताओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए 28 अगस्त को प्रतिवेदन दिया था, लेकिन उसके प्रतिवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के पद पर महिला नियुक्त हो चुकी हैं, लेकिन बीसीआर में चेयरमैन व वाइस चेयरमैन के पद पर कभी भी कोई महिला नियुक्त नहीं हुई. इसलिए बीसीआर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व जोधपुर सहित अन्य जिला बार एसोसिएशनों में भी महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देते हुए 33 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने बार कौंसिल सहित संबंधित एसोसिएशनों से जवाब मांगा है.