ETV Bharat / state

राजस्थान में अब ऐसे सरकारी कर्मचारियों को घर भेजेगी भजनलाल सरकार! निर्देश से मचा हड़कंप - Bhajanlal Government In Action

Bhajanlal Government In Action, राजस्थान के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की अब खैर नहीं है, क्योंकि उनके भ्रष्ट आचरण और प्रशासनिक कर्तव्य निभाने में असमर्थता को देखते हुए राज्य की भजनलाल सरकार उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. इसके लिए संबंधित विभागों को नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई कर संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 24, 2024, 6:31 PM IST

Updated : May 24, 2024, 8:18 PM IST

Bhajanlal Government In Action
भ्रष्ट कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. भ्रष्ट आचरण और काम में लापरवाही बरतने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अब राज्य की भजनलाल सरकार सख्त एक्शन लेने जा रही है. मुख्य सचिव सुधांशु पंत के 16 मई को सीनियर ऑफिसर्स के साथ हुई बैठक में सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी को मजबूत करने के लिए अहम निर्देश दिए गए थे. साथ ही अब भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों की सूची तैयार की जा रही है. वहीं, अब राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देगी. इसको लेकर जारी निर्देश में साफ कर दिया गया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ नहीं कर रहे हैं, उन्हें सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जाए.

ये दिए आदेश : मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 16 मई को हुई सीनियर ऑफिसर्स मीटिंग में सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी मजबूत करने के लिए अहम निर्देश दिए गए. बैठक में मिले निर्देशों के बाद सभी विभागों के आलाधिकारियों को इससे अवगत करा दिया गया है. साथ ही यह भी साफ कर दिया गया है कि भ्रष्ट आचरण, राजकाज में अरुचि, प्रशासनिक काम में असमर्थता दिखाने वाले कर्मियों को अब अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी. इसको लेकर संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

इसे भी पढ़ें - अवैध खनन को लेकर एक्शन में भजनलाल सरकार, 5 दिन तक चलेगा संयुक्त अभियान

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सभी कर्मी निष्पक्षता, पारदर्शिता और अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए काम करें, इसलिए ये निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के 17 ए सेक्शन के तहत एसीबी के प्रकरणों की जांच संबंधी कार्मिक विभाग या संबंधित विभाग 31 मई तक लंबित प्रकरणों का निपटारा करें. राजकाज पर फाइल मूवमेंट, पीयूसी प्रदर्शित करने, संबंधित कर्म को ई पत्रावली भिजवाने, सर्च आसान करने जैसी तकनीकी खामियां सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को जल्द जारी करनी होगी. ए श्रेणी के विभागों को मंत्री से अनुमोदित कराकर तबादला नीति जल्द ARD को भेजनी होगी. साथ ही इन विभागों को जल्द कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करना होगा. आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री को यह मसौदा भेजना होगा. बी श्रेणी के विभागों को 8 दिनों में नीति का मसौदा ARD को भेजनी होगी.

अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नियम : बता दें कि मुख्य सचिव का यह आदेश सरकार के सभी विभागाध्यक्षों को भेजा गया है. इस आदेश में राजस्थान सिविल सेवा नियम 1996 के नियम 53(1) का हवाला दिया गया है. कर्मचारी और अधिकारी की स्क्रीनिंग की जाए, जिन्होंने 15 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु जो भी पहले पूर्ण कर ली है और असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण जनहितार्थ आवश्यक उपयोगिता खो चुके हैं.

इसे भी पढ़ें - एक्शन में भजनलाल सरकार, औचक निरीक्षण के दौरान एसएमएस अस्पताल से नदारद रहने वाले नर्सिंग अधिकारियों पर गिरी गाज

राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रावधान पहले से हैं. इन नियमों के अनुसार अधिकारी और कर्मचारी जिन्होंने अपने सेवाकाल के 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं और प्रशासनिक कर्तव्य निभाने में असमर्थ हैं या फिर असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण जनहितार्थ उपयोगिता खो चुके हैं. ऐसे सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर तीन महीने के नोटिस या तीन माह के वेतन भत्तों के भुगतान के साथ उन्हें तुरंत प्रभाव से राज्य सेवा से कार्यमुक्त किया जा सकेगा.

वसुंधरा राजे के समय भी आया था आदेश : ऐसा नहीं है कि मौजूदा भजनलाल सरकार ही भ्रष्ट और लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों पर एक्शन लेने की तैयारी में है. इससे पहले वसुंधरा सरकार के समय में भी जून 2017 को भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट देने का आदेश जारी हुआ था. तत्कालीन मुख्य सचिव ओपी मीणा ने यह आदेश जारी किए थे. हालांकि, कर्मचारी संगठनों की नाराजगी के डर से बाद में आदेश ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. वहीं, कुछ कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दी गई थी, वो भी जबरन नहीं.

जयपुर. भ्रष्ट आचरण और काम में लापरवाही बरतने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अब राज्य की भजनलाल सरकार सख्त एक्शन लेने जा रही है. मुख्य सचिव सुधांशु पंत के 16 मई को सीनियर ऑफिसर्स के साथ हुई बैठक में सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी को मजबूत करने के लिए अहम निर्देश दिए गए थे. साथ ही अब भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों की सूची तैयार की जा रही है. वहीं, अब राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देगी. इसको लेकर जारी निर्देश में साफ कर दिया गया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ नहीं कर रहे हैं, उन्हें सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जाए.

ये दिए आदेश : मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 16 मई को हुई सीनियर ऑफिसर्स मीटिंग में सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी मजबूत करने के लिए अहम निर्देश दिए गए. बैठक में मिले निर्देशों के बाद सभी विभागों के आलाधिकारियों को इससे अवगत करा दिया गया है. साथ ही यह भी साफ कर दिया गया है कि भ्रष्ट आचरण, राजकाज में अरुचि, प्रशासनिक काम में असमर्थता दिखाने वाले कर्मियों को अब अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी. इसको लेकर संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

इसे भी पढ़ें - अवैध खनन को लेकर एक्शन में भजनलाल सरकार, 5 दिन तक चलेगा संयुक्त अभियान

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सभी कर्मी निष्पक्षता, पारदर्शिता और अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए काम करें, इसलिए ये निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के 17 ए सेक्शन के तहत एसीबी के प्रकरणों की जांच संबंधी कार्मिक विभाग या संबंधित विभाग 31 मई तक लंबित प्रकरणों का निपटारा करें. राजकाज पर फाइल मूवमेंट, पीयूसी प्रदर्शित करने, संबंधित कर्म को ई पत्रावली भिजवाने, सर्च आसान करने जैसी तकनीकी खामियां सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को जल्द जारी करनी होगी. ए श्रेणी के विभागों को मंत्री से अनुमोदित कराकर तबादला नीति जल्द ARD को भेजनी होगी. साथ ही इन विभागों को जल्द कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करना होगा. आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री को यह मसौदा भेजना होगा. बी श्रेणी के विभागों को 8 दिनों में नीति का मसौदा ARD को भेजनी होगी.

अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नियम : बता दें कि मुख्य सचिव का यह आदेश सरकार के सभी विभागाध्यक्षों को भेजा गया है. इस आदेश में राजस्थान सिविल सेवा नियम 1996 के नियम 53(1) का हवाला दिया गया है. कर्मचारी और अधिकारी की स्क्रीनिंग की जाए, जिन्होंने 15 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु जो भी पहले पूर्ण कर ली है और असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण जनहितार्थ आवश्यक उपयोगिता खो चुके हैं.

इसे भी पढ़ें - एक्शन में भजनलाल सरकार, औचक निरीक्षण के दौरान एसएमएस अस्पताल से नदारद रहने वाले नर्सिंग अधिकारियों पर गिरी गाज

राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रावधान पहले से हैं. इन नियमों के अनुसार अधिकारी और कर्मचारी जिन्होंने अपने सेवाकाल के 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं और प्रशासनिक कर्तव्य निभाने में असमर्थ हैं या फिर असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण जनहितार्थ उपयोगिता खो चुके हैं. ऐसे सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर तीन महीने के नोटिस या तीन माह के वेतन भत्तों के भुगतान के साथ उन्हें तुरंत प्रभाव से राज्य सेवा से कार्यमुक्त किया जा सकेगा.

वसुंधरा राजे के समय भी आया था आदेश : ऐसा नहीं है कि मौजूदा भजनलाल सरकार ही भ्रष्ट और लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों पर एक्शन लेने की तैयारी में है. इससे पहले वसुंधरा सरकार के समय में भी जून 2017 को भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट देने का आदेश जारी हुआ था. तत्कालीन मुख्य सचिव ओपी मीणा ने यह आदेश जारी किए थे. हालांकि, कर्मचारी संगठनों की नाराजगी के डर से बाद में आदेश ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. वहीं, कुछ कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दी गई थी, वो भी जबरन नहीं.

Last Updated : May 24, 2024, 8:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.