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CLG सदस्यों की नियुक्ति को लेकर डिप्टी सीएम बैरवा के खिलाफ परिवाद वापस - Rajasthan Deputy Cm

महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-11 का बड़ा फैसला. सीएलजी सदस्यों की नियुक्ती मामले में उपमुख्यमंत्री बैरवा के खिलाफ दायर परिवाद खारिज.

Deputy Cm Prem Chand Bairwa
डिप्टी सीएम बैरवा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 4, 2024, 9:16 PM IST

जयपुर: सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति को लेकर डिप्टी सीएम बैरवा के खिलाफ परिवाद वापस हो गया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आपराधिक कानून के तहत परिवादी को मामले में परिवाद पेश करने की शक्ति नहीं होने की जानकारी दी. अदालत ने कहा कि नए आपराधिक कानून के तहत सम्बंधित लोक सेवक के खिलाफ उसका वरिष्ठ अधिकारी परिवाद दायर कर सकता है. ऐसे में परिवादी ने अपना परिवाद वापस लेने की अनुमति मांगी. इस पर अदालत ने परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया.

परिवादी बलराम जाखड़ ने अपने परिवाद में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को आरोपी बताने हुए कहा था कि राजस्थान पुलिस के नियम 55 में प्रावधान है कि सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति पुलिस अधीक्षक की ओर से की जाएगी. वहीं, नियम 12 के तहत ऐसे किसी व्यक्ति को सीएलजी सदस्य के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, जो कि राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ हो. इसके बावजूद, डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने गत 21 जून को अपने लेटर पैड पर 15 सीएलजी सदस्यों को मनोनीत कर उसकी सूची मौजमाबाद थानाधिकारी को भेज दी. जबकि नियमानुसार यह शक्ति सिर्फ पुलिस अधीक्षक को प्राप्त है.

पढ़ें : बेटे के बाद अब डिप्टी CM बैरवा की बढ़ीं मुश्किलें, सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति को लेकर परिवाद पेश - Complaint filed against Deputy CM

इसके अलावा इस मनोनयन में नियम 12 के प्रावधानों की पालना भी जरूरी है. गौरतलब है कि बीते दिनों डिप्टी सीएम बैरवा का एक लेटर पैड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें मौजमाबाद थानाधिकारी को संबोधित करते हुए 15 लोगों को थाने में सीएलसी सदस्य के तौर पर मनोनीत करने के लिए लिखा गया था.

जयपुर: सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति को लेकर डिप्टी सीएम बैरवा के खिलाफ परिवाद वापस हो गया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आपराधिक कानून के तहत परिवादी को मामले में परिवाद पेश करने की शक्ति नहीं होने की जानकारी दी. अदालत ने कहा कि नए आपराधिक कानून के तहत सम्बंधित लोक सेवक के खिलाफ उसका वरिष्ठ अधिकारी परिवाद दायर कर सकता है. ऐसे में परिवादी ने अपना परिवाद वापस लेने की अनुमति मांगी. इस पर अदालत ने परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया.

परिवादी बलराम जाखड़ ने अपने परिवाद में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को आरोपी बताने हुए कहा था कि राजस्थान पुलिस के नियम 55 में प्रावधान है कि सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति पुलिस अधीक्षक की ओर से की जाएगी. वहीं, नियम 12 के तहत ऐसे किसी व्यक्ति को सीएलजी सदस्य के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, जो कि राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ हो. इसके बावजूद, डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने गत 21 जून को अपने लेटर पैड पर 15 सीएलजी सदस्यों को मनोनीत कर उसकी सूची मौजमाबाद थानाधिकारी को भेज दी. जबकि नियमानुसार यह शक्ति सिर्फ पुलिस अधीक्षक को प्राप्त है.

पढ़ें : बेटे के बाद अब डिप्टी CM बैरवा की बढ़ीं मुश्किलें, सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति को लेकर परिवाद पेश - Complaint filed against Deputy CM

इसके अलावा इस मनोनयन में नियम 12 के प्रावधानों की पालना भी जरूरी है. गौरतलब है कि बीते दिनों डिप्टी सीएम बैरवा का एक लेटर पैड सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें मौजमाबाद थानाधिकारी को संबोधित करते हुए 15 लोगों को थाने में सीएलसी सदस्य के तौर पर मनोनीत करने के लिए लिखा गया था.

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