जयपुर: प्रदेश में 13 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है. भारतीय जनता पार्टी 6 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है. इनमें से दौसा में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और सलूंबर में पूर्व विधायक स्वर्गीय अमृतलाल मीणा की पत्नी सविता देवी मीणा को दिया गया है. इन दोनों टिकटों को लेकर भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाया जा चुका है.
इस बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा इशारा दे चुके हैं कि जीत के लिए कांग्रेस को भी नेताजी के परिवार से कोई एतराज नहीं होगा. वॉर रूम के बाहर मीडिया से बात करते हुए रंधावा ने कहा था कि अगर किसी नेता की संतान अच्छा काम कर रही है, तो उन्हें टिकट देने में कोई एतराज नहीं है. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा था कि मैं भी परिवारवाद से ही आता हूं. मेरे पिता मंत्री और पीसीसी के अध्यक्ष रहे थे.
7 सीटों पर नेताजी के रिश्तेदार कतार में : राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों में से सभी सात सीट पर कांग्रेस नेताओं के परिजन टिकटों की दावेदारी जता रहे हैं या फिर उस पंक्ति में शुमार हैं. इन सीटों में अलवर की रामगढ़, झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, सलूंबर और चौरासी के नाम शामिल हैं. खास बात है कि कांग्रेस के नजरिए से बीते दो दशक से इन सीटों पर परिवार या व्यक्ति ही असरदार रहे हैं.
झुंझुनू में ओला विरासत के भरोसे कांग्रेस : शेखावाटी में दिग्गज कांग्रेसी परिवार के रूप में ओला नाम की पहचान रही है. वरिष्ठ नेता स्वर्गीय शीशराम ओला के बाद उनके बेटे बृजेंद्र ओला चार बार सीट का नेतृत्व कर चुके हैं, तो इस बार उनकी पत्नी राजबाला ओला और पुत्र अमित ओला का नाम सुर्खियों में है. गौरतलब है कि खुद बृजेंद्र ओला झुंझुनू से सांसद हैं और उन्हीं की जीती गई सीट यहां खाली की गई थी. बृजेंद्र की बहू और अमित ओला की पत्नी आकांक्षा ओला भी दिल्ली में कांग्रेस नेता के रूप में सक्रिय हैं. बीते विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने मॉडल टाउन से प्रत्याशी बनाया था.
दौसा में मुरारी लगाएंगे पार : दौसा सीट पर मौजूदा सांसद मुरारी लाल मीणा और उनके परिवार को लेकर दावेदारी सामने आ रही है. मुरारी लाल मीणा तीन बार दौसा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस सीट पर मुरारी लाल मीणा की पत्नी सरिता मीणा और बेटी निहारिका के नाम की भी चर्चा हो रही है. हालांकि, बीजेपी के टिकट का एलान होने के बाद कांग्रेस रणनीतिक रूप से इस सीट पर किसी और चेहरे पर भी दांव खेल सकती है, लेकिन मुरारी लाल मीणा के परिवार की टिकट को लेकर दावेदारी प्रमुखता से रखी जा रही है.
जुबेर के भरोसे रामगढ़ का रण : दशकों से मेवात में अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में जुबेर खान और उनके परिवार की पहचान रही है. कांग्रेस ने भी इस पहचान के दम पर कई बार इस सीट पर फतह हासिल की है. 1990, 1993, 2003 और 2023 में जुबेर खान इस सीट से जीते, तो 2018 में जुबेर खान की पत्नी साफिया खान ने इस सीट पर कांग्रेस के खाते में विजय पताका फहराया था. इस बार भी जुबेर खान के परिवार के सदस्य को टिकट मिलना तय है, जिसमें प्रमुख रूप से दावेदार के रूप में उनके छोटे बेटे आर्यन जुबेर खान का नाम आगे आ रहा है. वहीं, बड़े बेटे आदिल और पत्नी साफिया के नाम की भी चर्चा है.
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देवली-उनियारा की राह कठिन : टोंक जिले में सचिन पायलट के प्रभुत्व वाली देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर हरीश मीणा और उनके परिवार की दावेदारी रही है. हरीश मीणा 2018 और 2023 में इस सीट से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. फिलहाल, टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद हैं. इसके पहले 2003 और 2008 में उनके भाई नमो नारायण मीणा भी टोंक सवाई माधोपुर से सांसद रह चुके हैं. इस दफा हरीश मीणा के एमपी बनने के बाद उनके परिवार की मजबूत दावेदारी सीट पर सामने आई है. दावेदारों में नमो नारायण मीणा का नाम अग्रिम पंक्ति में है, तो हरीश मीणा के बेटे हनुमंत मीणा का नाम भी दावेदारों में शुमार है.
खींवसर से मिर्धा परिवार के दावेदार : नागौर जिले की परंपरागत जाट सीट के रूप में खींवसर विधानसभा क्षेत्र की पहचान रही है. बीते डेढ़ दशक से इस सीट पर हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी आरएलपी का दबदबा रहा है. प्रदेश की राजनीति में सिरमौर नेता के रूप में रामनिवास मिर्धा की राजनीतिक विरासत भी इस सीट पर वक्त वक्त पर दावेदारी जताती रही है. रामनिवास मिर्धा के पुत्र हरेंद्र मिर्धा हनुमान बेनीवाल से इस सीट पर चुनाव हार चुके हैं. एक उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने भी उन्हें शिकस्त दी थी.
हरेंद्र मिर्धा पहले मुंडवा से विधायक रहे थे और वर्तमान में नागौर से एमएलए हैं. इस बार खींवसर से उनके परिवार में राघवेंद्र मिर्धा का नाम भी चर्चा में है, लेकिन माना जा रहा है कि जीताऊ चेहरे के रूप में कांग्रेस यहां किसी नए नाम पर दांव खेल सकती है. 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने तेजपाल मिर्धा को मौका दिया था, जिन्हें हनुमान बेनीवाल के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. कांग्रेस इस दफा चेहरा बदल सकती है, लेकिन परंपरागत रूप से मिर्धा परिवार की दावेदारी इस सीट पर रहेगी.
आदिवासी गढ़ में दो सीटों पर परिवारवाद : मेवाड़ और बागड़ की सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए अगले महीने 13 तारीख को वोट डाले जाएंगे. कांग्रेस बीते डेढ़ दशक से इन सीटों पर कांग्रेस जीत तलाश कर रही है. बीते कुछ चुनाव में सलूंबर से मेवाड़ के जाने-माने आदिवासी चेहरे रघुवीर मीणा और उनकी पत्नी बसंती मीणा अपना दावा जताते रहे हैं, तो पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा और उनके परिवार की दावेदारी चौरासी सीट पर नजर आती है. इस बार भी सलूंबर में रघुवीर मीणा के परिवार को टिकट मिलने की चर्चा है. जबकि चौरासी विधानसभा सीट पर पूर्व सांसद भगोरा के बेटे महेंद्र और भतीजी निमिषा के नाम चल रहे हैं. ताराचंद 2023 में कांग्रेस के प्रत्याशी रह चुके हैं और उसके पहले बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट के सांसद भी निर्वाचित हो चुके हैं.