जयपुर. राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने बीफ और मनुस्मृति का मुद्दा उठाकर भाजपा को घेरा. उन्होंने राजस्थान की भाजपा सरकार के बजट पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने चुनावी नतीजों के बाद शेयर बाजार में तेजी आने के दावे वाले पीएम और गृहमंत्री के बयान पर भी निशाना साधा और कहा कि इससे निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपए डूब गए.
शांति धारीवाल ने कहा कि आप गोमाता की रक्षा की बात करते हैं. सरकार ने तो अपने बजट भाषण में गोमाता की रक्षा के लिए लोन देने की भी घोषणा की है. ये प्रशंसनीय है, लेकिन कत्लखाने तो चल रहे हैं उनको तो रोको. धारीवाल ने कहा कि भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने अपने लेटर हेड पर तीन किलो गोमांस बांग्लादेश ले जाने की अनुमति देने की अनुशंसा बीएसएफ के कमांडर से की है. भाजपा वालों को कम से कम यह तो कहना चाहिए कि मंत्री पर कार्रवाई के लिए हम प्रधानमंत्री को लिखेंगे. आप अपने आप को गोरक्षक कहते हो, यह तो आपका धर्म बनता है.
मनुस्मृति को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहते : मनुस्मृति को लेकर शांति धारीवाल ने कहा कि बाबा साहब ने 25 जुलाई 1927 को आग लगाई थी. उस समय और उससे पहले मनुस्मृति की अनुपालन की जाती थी. उन्होंने उसे आग लगाई, क्योंकि उसमें महिलाओं और दलितों को लेकर अपमानजनक शब्द लिखे हुए थे. दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के लोग इकट्ठा हुए और एक प्रस्ताव पास किया कि कानून की शिक्षा में मनुस्मृति को शामिल किया जाना चाहिए. ये आरएसएस से जुड़े हुए लेक्चरर और प्रोफेसर थे. हालांकि, वाइस चांसलर और शिक्षा मंत्री ने साफ मना कर दिया कि मनुस्मृति को कानून के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा.
परफॉर्मेंस ऐसी कि 11 सीट हाथ से निकली : शांति धारीवाल ने कहा कि इस बजट में दस संकल्प लिए गए हैं. दसों संकल्प गुड गवर्नेंस के हैं. गुड गवर्नेंस में आपने परफॉर्म बता दिया, रिफार्म बता दिया और ट्रांसफॉर्म बता दिया. जहां तक परफॉर्मेंस की बात है, 8 फरवरी को अंतरिम बजट आया, उसके ठीक तीन महीने बाद लोकसभा चुनाव आ गया, जिसमें 11 सीट आप लगातार दो बार से जीत रहे थे. वो सभी सीटें आपके हाथ से निकल गईं. इससे आपकी परफॉर्मेंस तो दिख गई. पीएम मोदी की गारंटी भी हवा हो गई और आपका बजट भी हवा हो गया. एक मंत्री ने तो खराब परफॉर्मेंस की वजह से विधानसभा में आना ही छोड़ दिया.
पीएम की रैलियों से हुआ भाजपा को नुकसान : उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री ने 17 रैलियां की और 14 सीटों पर कांग्रेस जीती है. राजस्थान में प्रधानमंत्री आठ जगह पहुंचे, जिनमें से महज तीन सीट ले पाए. बाकी पांच सीट कांग्रेस ने जीती है. ये आपकी परफॉर्मेंस है. रिफॉर्म हुआ और मुख्य सचिव जगह-जगह जाकर हाजिरी रजिस्टर चेक करते हैं. मोबाइल से फाइल के फोटो लेते हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. फाइलों की पेंडेंसी अभी भी है और लोग काम के लिए धक्के खा रहे हैं. भाजपा ने अपने दफ्तर में जनसुनवाई शुरू की थी, जो दो दिन चली और तीसरे दिन बंद करनी पड़ी.
निवेशकों को 30 लाख करोड़ रुपए का नुकसान : उन्होंने कहा कि आप ट्रांसफॉर्म की बात करते हैं. शासन की बागडोर मुख्यमंत्री और मंत्रियों के हाथ में होनी चाहिए, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है. असल में शासनपति तो ब्यूरोक्रेट्स हो रहे हैं. सारे काम दिल्ली से हो रहे हैं. आपने बजट में 70 हजार करोड़ रुपए का राजकीय घाटा बताया है. साल 1952 से लेकर 2014 तक जितनी भी सरकारें रहीं, देश पर 55 लाख करोड़ का कर्जा लिया था, लेकिन 2014 से 2024 तक दस साल में 112 लाख करोड़ रुपए का कर्जा लिया गया. शांति धारीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने एक इंटरव्यू दिया था और दावा किया कि 4 जून को लोकसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद शेयर बाजार में तेजी आएगी. निवेशकों को 30 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया. ये दोनों तो शेयर ब्रोकर हो गए और जनता को लूट लिया.
गोल्फ-पोलो क्लब का कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे : उन्होंने कहा कि 1999 में सेंट्रल पार्क सरकार के कब्जे में आया था. जब हम इस पर कब्जा ले रहे थे तब पोलो भी चल रहा. तब हमने कहा कि पोलो क्लब जेडीए के अधीन रहेगा, लेकिन पोलो क्लब वाले अतिक्रमण करने के आदी हैं. गोल्फ की जांच करवा लेना, लेकिन गोल्फ क्लब और पोलो क्लब का कुछ नही बिगाड़ पाएंगे. धारीवाल के बयान पर यूडीएच मंत्री ने कहा कि यह मामला कोर्ट में लंबित है. हमने इसकी जांच की घोषणा कर दी है. हमारी न तो किसी से दोस्ती है और न ही किसी से बैर, लेकिन कुछ गलत किया है तो कार्रवाई होगी.
डार्क जोन से डगमाया चित्तौड़गढ़ का औद्योगिक विकास- विधायक आक्या : वहीं, विधायक आक्या ने सदन में चित्तौड़गढ़ जिले को डार्क जोन से निकालने की बात करते हुए कहा कि चित्तौड़गढ़ जिले को पूर्व पानी की कमी बताते हुए डार्क जोन में रखा गया था. जिले में हिन्दूस्तान जिंक लि., मार्बल इण्ड्रस्टीज सहित अनेक ओद्यौगिक संस्थान हैं. डार्क जोन में होने के कारण इन ओद्यौगिक संस्थानों के साथ किसानों व आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नए उद्योग भी नहीं लग पा रहे हैं और ट्यूबवेल बोर लगाने के लिए भी स्वीकृति लेनी पड़ रही है. वर्तमान भौगोलिक परिस्थिति में चित्तौड़गढ़ जिले का वाटर लेवल बढ़ गया है. इसलिए चित्तौड़गढ़ जिले को डार्क जोन में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता है.