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रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट बीजेपी का है अभेद्य किला, कांग्रेस को करिश्मे की उम्मीद, जानिए इस सीट का सफरनामा

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर 13 तारीख को उपचुनाव होंगे. बीजेपी के दबदबे वाली सीट का सियासी सफर जान लीजिए.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

BY ELECTIONS ON NOVEMBER 13
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का सियासी सफर (ETV Bharat)

रायपुर: कभी रायपुर टाउन के नाम से जानी जाने वाली सीट अब रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती है. बीजेपी का इस सीट पर सालों से दबदबा बरकरार है. इस विधानसभा सीट के सियासी सफर को देखें तो 1977 के चुनाव में इस सीट पर जनता दल का कब्जा रहा. 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन सीट पर जनता दल और रायपुर सीट पर जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. 1977 के चुनाव में रायपुर टाउन सीट से बीजेपी ने अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. यह सीट जनता पार्टी के खाते में गई. जनता पार्टी से रजनी डीपी उपासने ने जीत दर्ज की. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे.

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का सियासी सफरनामा: 1977 में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे तब देश में छात्र आंदोलन का पूरा असर था. रायपुर टाउन सीट पर जनता दल जीती तो रायपुर सीट पर जनता पार्टी ने विजय हासिल की. जनता पार्टी की उम्मीदवार रजनी डीपी उपासने को 17 हजार 925 वोट मिले जो की कुल मतदान का 41.6 फीसदी रहा. इसी सीट से खड़े कांग्रेस के उम्मीदवार रघुवीर प्रसाद को 30.3 फीसदी वोट मिले.

पहली बार बीजेपी ने 1980 में यहां चुनाव लड़ा: 1980 में पहली बार भाजपा ने रायपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी खड़ा किया. 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन और रायपुर रुरल दोनों सीटों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1980 में भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर टाउन की सीट पर पहली बार अपना प्रत्याशी खड़ा किया. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 1980 से ही बीजेपी ने इस सीट पर अपनी पकड़ को मजबूत करना शुरु कर दिया. पार्टी को 1980 में 27 फीसदी वोट हासिल हुए. बीजेपी की ओर से बालू भाई पटेल मैदान में थे.

1985 में दोनों सीटों पर कांग्रेस ने किया कब्जा: 1985 के विधानसभा चुनाव में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रायपुर टाउन और रायपुर ग्रामीण दोनों सीटों पर जीत दर्ज की.1980 में बेहतर प्रदर्शन करने वाली बीजेपी ने 1985 में भी बेहतर प्रदर्शन किया और अपनी पकड़ और मजबूत की. भारतीय जनता पार्टी की और से मैदान में उतरे वीरेंद्र पांडे चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे. साल 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में टाउन सीट बीजेपी के खाते में गई. आपको बता दें वर्तमान में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पहले रायपुर टाउन सीट और रायपुर ग्रामीण सीट के रूप में बंटी रही.

बृजमोहन अग्रवाल ने खिलाया 1990 में कमल: 1990 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के बृजमोहन अग्रवाल ने इस सीट को जीतकर बीजेपी का परचम लहराया. साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी से बृजमोहन अग्रवाल मैदान में उतरे और कमल खिलाया. 1998 में भी बृजमोहन अग्रवाल ने जीत दर्ज की. राज्य का बंटवारा होने के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा कायम रहा. बृजमोहन अग्रवाल फिर विजय बने. बीजेपी की पकड़ इस सीट पर लगातार बढ़ती गई.

2008 तक रायपुर में सिर्फ 2 विधानसभा सीटें थी: 2008 तक रायपुर में सिर्फ दो विधानसभा सीट हुआ करती थी जो रायपुर टाउन और रायपुर रूरल सीट थी. 2008 में रायपुर को कुल चार विधानसभा सीटों में बांट दिया गया जिसमें रायपुर ग्रामीण, रायपुर सिटी वेस्ट, रायपुर सिटी नॉर्थ, और रायपुर सिटी साउथ में बांटा गया. 2013 के विधानसभा चुनाव में भी यह सीट भाजपा के खाते में ही गई. बीजेपी ने जो जीत का जो सिलसिला शुरु किया वो लगातार आगे भी जारी रहा. साल 1990 के बाद बृजमोहन अग्रवाल इस सीट से विजयी योद्धा बन गए. हर बार जीत उनके ही खाते में जाते रही.

अजेय योद्धा बने बृजमोहन अग्रवाल, कमल का बन गया किला: बृजमोहन अग्रवाल ने जो जीत का सिलसिला शुरु किया वो सिलसिला 2024 तक जारी रहा. अब 13 नवंबर को रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है. मतदान की तारीख आने के बाद अब उम्मीद है जल्द ही प्रत्याशियों के नाम भी सामने आ जाएंगे. अब देखना ये है कि जो विरासत जीत की बृजमोहन अग्रवाल ने खड़ी की है वो बरकरार रहती है या फिर कांग्रेस कोई करिश्मा करती है. नतीजे तो जनता के हाथों ही तय होना है.

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रायपुर: कभी रायपुर टाउन के नाम से जानी जाने वाली सीट अब रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के नाम से जानी जाती है. बीजेपी का इस सीट पर सालों से दबदबा बरकरार है. इस विधानसभा सीट के सियासी सफर को देखें तो 1977 के चुनाव में इस सीट पर जनता दल का कब्जा रहा. 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन सीट पर जनता दल और रायपुर सीट पर जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. 1977 के चुनाव में रायपुर टाउन सीट से बीजेपी ने अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. यह सीट जनता पार्टी के खाते में गई. जनता पार्टी से रजनी डीपी उपासने ने जीत दर्ज की. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे.

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का सियासी सफरनामा: 1977 में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे तब देश में छात्र आंदोलन का पूरा असर था. रायपुर टाउन सीट पर जनता दल जीती तो रायपुर सीट पर जनता पार्टी ने विजय हासिल की. जनता पार्टी की उम्मीदवार रजनी डीपी उपासने को 17 हजार 925 वोट मिले जो की कुल मतदान का 41.6 फीसदी रहा. इसी सीट से खड़े कांग्रेस के उम्मीदवार रघुवीर प्रसाद को 30.3 फीसदी वोट मिले.

पहली बार बीजेपी ने 1980 में यहां चुनाव लड़ा: 1980 में पहली बार भाजपा ने रायपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी खड़ा किया. 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन और रायपुर रुरल दोनों सीटों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1980 में भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर टाउन की सीट पर पहली बार अपना प्रत्याशी खड़ा किया. आंकड़ों पर गौर करें तो साल 1980 से ही बीजेपी ने इस सीट पर अपनी पकड़ को मजबूत करना शुरु कर दिया. पार्टी को 1980 में 27 फीसदी वोट हासिल हुए. बीजेपी की ओर से बालू भाई पटेल मैदान में थे.

1985 में दोनों सीटों पर कांग्रेस ने किया कब्जा: 1985 के विधानसभा चुनाव में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रायपुर टाउन और रायपुर ग्रामीण दोनों सीटों पर जीत दर्ज की.1980 में बेहतर प्रदर्शन करने वाली बीजेपी ने 1985 में भी बेहतर प्रदर्शन किया और अपनी पकड़ और मजबूत की. भारतीय जनता पार्टी की और से मैदान में उतरे वीरेंद्र पांडे चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे. साल 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में टाउन सीट बीजेपी के खाते में गई. आपको बता दें वर्तमान में रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पहले रायपुर टाउन सीट और रायपुर ग्रामीण सीट के रूप में बंटी रही.

बृजमोहन अग्रवाल ने खिलाया 1990 में कमल: 1990 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के बृजमोहन अग्रवाल ने इस सीट को जीतकर बीजेपी का परचम लहराया. साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी से बृजमोहन अग्रवाल मैदान में उतरे और कमल खिलाया. 1998 में भी बृजमोहन अग्रवाल ने जीत दर्ज की. राज्य का बंटवारा होने के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में रायपुर टाउन विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा कायम रहा. बृजमोहन अग्रवाल फिर विजय बने. बीजेपी की पकड़ इस सीट पर लगातार बढ़ती गई.

2008 तक रायपुर में सिर्फ 2 विधानसभा सीटें थी: 2008 तक रायपुर में सिर्फ दो विधानसभा सीट हुआ करती थी जो रायपुर टाउन और रायपुर रूरल सीट थी. 2008 में रायपुर को कुल चार विधानसभा सीटों में बांट दिया गया जिसमें रायपुर ग्रामीण, रायपुर सिटी वेस्ट, रायपुर सिटी नॉर्थ, और रायपुर सिटी साउथ में बांटा गया. 2013 के विधानसभा चुनाव में भी यह सीट भाजपा के खाते में ही गई. बीजेपी ने जो जीत का जो सिलसिला शुरु किया वो लगातार आगे भी जारी रहा. साल 1990 के बाद बृजमोहन अग्रवाल इस सीट से विजयी योद्धा बन गए. हर बार जीत उनके ही खाते में जाते रही.

अजेय योद्धा बने बृजमोहन अग्रवाल, कमल का बन गया किला: बृजमोहन अग्रवाल ने जो जीत का सिलसिला शुरु किया वो सिलसिला 2024 तक जारी रहा. अब 13 नवंबर को रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है. मतदान की तारीख आने के बाद अब उम्मीद है जल्द ही प्रत्याशियों के नाम भी सामने आ जाएंगे. अब देखना ये है कि जो विरासत जीत की बृजमोहन अग्रवाल ने खड़ी की है वो बरकरार रहती है या फिर कांग्रेस कोई करिश्मा करती है. नतीजे तो जनता के हाथों ही तय होना है.

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर होगा कांटे का मुकाबला, बीजेपी और कांग्रेस की होगी जोरदार फाइट
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